पायलट अब भी बन सकते हैं CM: विवाद से सबसे ज्यादा फायदा मिला; जानिए- सचिन के पॉलिटिकल फ्यूचर की क्या-क्या है… – Dainik Bhaskar

जयपुरएक घंटा पहलेलेखक: निखिल शर्मा

राजस्थान के सियासी क्रिकेट मैच में अब सबकी नजरें सचिन पायलट पर हैं। अशोक गहलोत और उनके खेमे की ओर से यॉर्कर भी डाल दी गई है और गुगली भी। वहीं, सचिन पायलट ने अब तक बैटिंग शुरू नहीं की है।
भास्कर ने कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं और पॉलिटिकल एनालिस्ट से बात की। उनका कहना था कि भले ही सचिन ने अभी तक बैटिंग शुरू नहीं की हो, लेकिन इस सियासी मैच में सबसे ज्यादा रन उन्हीं की टीम ने स्कोर किए हैं। पायलट के लिए ये गेन इन लॉस जैसा होगा। भास्कर ने जाना कि इस मैच के बाद सचिन पायलट का राजनीतिक भविष्य क्या होगा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

पहली संभावना : सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनें
सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं अब भी जिंदा हैं, क्योंकि प्रभारी अजय माकन के बयानों से यह साफ होता है कि हाईकमान रविवार को हुए पूरे घटनाक्रम से नाराज है। ऐसे में इसका अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पायलट को मिलेगा।

संभावना है कि हाईकमान इस एपिसोड के बाद भी कांग्रेस पार्टी के चेहरे के रूप में पायलट को CM बनाने का फैसला करे। बहुत सारे विधायक पार्टी से बगावत नहीं करना चाहेंगे। ऐसे में एक बार फिर पायलट के पक्ष में समीकरण बन सकते हैं।

दूसरी संभावना : PCC अध्यक्ष और अगले चुनाव के लिए चेहरा
इस पूरे विवाद को निपटाने और कांग्रेस को नुकसान से बचाने के लिए आलाकमान यह निर्णय भी कर सकता है कि पायलट को PCC चीफ बना दिया जाए। गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री रहें और कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई और बने।

वहीं 2023 चुनाव के लिए सचिन पायलट को फ्री हैंड दिया जाए। मगर इसकी संभावना कम लगती है, क्योंकि लगता नहीं पायलट इसके लिए राजी होंगे। इसके अलावा एक समस्या ये भी है कि अगर उनके नेतृत्व में पार्टी हार जाती है तो ये उनके लिए नुकसानदायक होगा।

तीसरी संभावना : पायलट दिल्ली की राजनीति करें
राजस्थान में विकट स्थिति को देखते हुए हाईकमान सचिन पायलट को दिल्ली बुला सकता है। संभावना है कि वहां उन्हें संगठन में अहम जगह दी जाए और फिर वे दिल्ली की ही राजनीति करें। मगर इसकी संभावना काफी कम लगती है, क्योंकि पायलट राजस्थान में ही अपना राजनीतिक भविष्य बनाना चाहते हैं।

चौथी संभावना : पायलट BJP जॉइन करें या अलग पार्टी बनाएं
यह भी कहा जा रहा है कि पायलट BJP जॉइन कर सकते हैं। यह कहा जा रहा है कि पायलट या तो अपने साथ कुछ और विधायकों को जोड़कर BJP के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं या फिर अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं। मगर ये दोनों ही संभावनाएं काफी कम हैं।

क्योंकि एक तो पायलट के पास विधायकों की संख्या ज्यादा नहीं है। दूसरी पायलट जिस तरह की राजनीति करते हैं, उसके साथ BJP में रह पाना मुश्किल है। वहीं BJP में पहले से ही CM पद को लेकर कई दावेदार हैं। वहीं नई पार्टी बनाने से पायलट को कम से कम दो चुनाव संघर्ष करना पड़ेगा। ऐसे में इसके बजाय पायलट कांग्रेस में ही रहकर खुद का भविष्य मजबूत करना ज्यादा प्रिफर करेंगे।

तस्वीर रविवार शाम की है, जब गहलोत गुट के 90 विधायक बसों में सवार होकर सीपी जोशी के पास पहुंचे थे।

तस्वीर रविवार शाम की है, जब गहलोत गुट के 90 विधायक बसों में सवार होकर सीपी जोशी के पास पहुंचे थे।

पूरे वाकये से अशोक गहलोत की इमेज को नुकसान
रविवार को हुए पूरे घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के कई नेताओं का यह कहना है कि इस वाकये से अशोक गहलोत को बड़ा राजनीतिक नुकसान होगा। अशोक गहलोत की अब तक गांधी परिवार के प्रति वफादार और कांग्रेस के सच्चे सिपाही की छवि थी। माना जाता था कि गहलोत कभी भी गांधी परिवार के फैसले के खिलाफ नहीं जाएंगे।

मगर रविवार को जो हुआ उसे कांग्रेसी नेता गहलोत का आत्मघाती गोल मान रहे हैं। नेताओं का मानना है कि इस घटना के बाद अशोक गहलोत की छवि को नुकसान पहुंचेगा। कांग्रेस में जिस तरह उन्हें गांधी परिवार के बाद सबसे सशक्त नेता माना जा रहा था, उनका वह कद घट जाएगा। कई नेताओं का यह भी कहना है कि इस घटना के बाद संभव है कि गहलोत अब अध्यक्ष न बनें, साथ ही उनसे मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छिन जाए।

गहलोत ने अपनी पकड़ तो साबित की है
इस पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस पार्टी या सचिन पायलट खेमा जैसे भी देखें, मगर अशोक गहलोत के खेमे के लोगों और कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि इस बहाने राजस्थान में गहलोत ने विधायकों पर अपनी पकड़ तो साबित की है। गहलोत ने एक तरह से यह बता दिया कि विधायक किस कदर उनसे जुड़े हैं।

गहलोत ने यह भी साबित किया कि उनकी खातिर उनके विधायक हाईकमान के फैसले के इतर भी जा सकते हैं। इससे गहलोत की राजस्थान में मजबूत राजनीतिक पकड़ सामने आई है। वहीं, इस बहाने यह भी बताने की कोशिश की गई है कि अब भी सचिन पायलट के साथ ज्यादा विधायक नहीं हैं।

काफी कुछ कहता है अजय माकन का बयान
इस पूरे घटनाक्रम के बाद राजस्थान के प्रभारी अजय माकन ने बयान दिया कि विधायकों के इस एक्ट को अनुशासनहीनता माना जा रहा है। माकन ने कहा कि विधायकों ने प्रस्ताव दिया कि 19 अक्टूबर के बाद ही प्रदेश में मुख्यमंत्री को लेकर निर्णय किया जाए, मगर यह कॉन्फलिक्ट ऑफ इंटरस्ट होगा, क्योंकि अगर वे अध्यक्ष चुन लिए जाएंगे तो खुद का ही निर्णय अशोक गहलोत कैसे करेंगे। माकन ने कहा कि इस पूरे मामले की रिपोर्ट वे मंगलवार को सोनिया गांधी को सौंप देंगे।

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इन हालातों के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या…

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