‘गद्दारों को पुरस्कार बर्दाश्त नहीं,’ राजस्थान में थम नहीं रहा संकट, अब क्या करेगा कांग्रेस आलाकमान? – Aaj Tak

राजस्थान में अशोक गहलोत खेमे के विधायकों के बगावती तेवरों पर कांग्रेस हाईकमान सख्ती बरतने के मूड़ में देखा जा रहा है. सोमवार को पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी ने जयपुर गए दोनों पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. उसके बाद कार्रवाई के संकेत दिए हैं. वहीं, मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी और कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल ने पहली बार खुलकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन के खिलाफ आरोप लगाए और बड़ा हमला बोला है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि माकन जयपुर में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाकर काम कर रहे थे और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का मिशन लेकर आए थे. वे विधायकों को भरोसे में लेने में जुटे थे. धारीवाल ने सचिन पायलट पर भी हमला बोला और बिना नाम लिए गद्दार कहकर संबोधित किया. 

मंत्री शांति धारीवाल ने कहा- ‘ये 100% सीएम (अशोक गहलोत) को हटाने की साजिश थी और प्रभारी महासचिव (अजय माकन) इसका हिस्सा थे. मैं किसी और की बात नहीं कर रहा हूं. खड़गे पर कोई आरोप नहीं हैं, बल्कि प्रभारी महासचिव पर चार्ज लगा रहा हूं. सीएम गहलोत ने हमेशा हाईकमान के निर्देशों का पालन किया है. हाईकमान ने उनसे गलत लोगों (2020 में बगावत के बाद सचिन पायलट समेत विधायकों को शामिल करने पर) को समायोजित करने के लिए कहा था और उन्होंने जो कहा था, उसे स्वीकार किया.’

‘जिन्होंने सरकार का दावा किया था, अब उन्हें सीएम बनाया जा रहा’

धारीवाल ने कहा कि 2020 में जब राज्य कांग्रेस मुश्किल में थी, हमारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि सरकार को किसी भी कीमत पर बचाया जाए. राजस्थान में सीएम होने के बावजूद विद्रोहियों ने दावा किया कि सरकार गिर गई है. सत्र बुलाए जाने पर ही वापस आए, उन्हें अब सीएम बनाया जा रहा है. 

पढ़िए शांति धारीवाल का पूरा बयान…

‘पार्टी महासचिव खुद विधायकों को भरोसे में ले रहा है और ऐसे लोगों को सीएम बनाने का मिशन लेकर आया है, जिन्होंने 2020 में पार्टी के खिलाफ बगावत की थी. यही वजह है कि विधायकों की भावनाएं भड़क गईं. विधायकों का नाराज होना स्वभाविक था. बाद में नाराज विधायकों के मेरे पास फोन आए. उन्होंने कहा कि हमारी पूरी बात सुनी जाए. हमने तीन घंटे तक उनकी बात सुनी. उनकी नाराजगी सुनी. वो क्या चाहते हैं, ये सुना. वो चाहते हैं कि कांग्रेस के निष्ठावान 102 विधायकों में से किसी को भी सीएम बना दिया जाए. जिसे सोनिया जी कहेंगी, उसी को बना दिया जाए. सोनियाजी के निर्णय को कोई चेलैंज नहीं कर सकता. लेकिन गद्दारी करने वालों को पुरस्कार दिया जाए, ये यहां का विधायक कभी बर्दाश्त नहीं करेगा. धारीवाल ने कहा कि षड्यंत्र रचा जा रहा था. इस षड्यंत्र में जनरल सेक्रेट्री शामिल थे. मैं ये आरोप लगा रहा हूं और मेरे पास इसके सबूत भी हैं. ये आरोप खड़गे साहब पर नहीं है.’

इस्तीफा देना गलत, मैं हाईकमान के साथ हूं: जितेंद्र सिंह

शांति धारीवाल के घर इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायक जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस्तीफा का काम गलत है. मैं आलाकमान के साथ हूं, चाहे जिसे मुख्यमंत्री बनाए- मैं साथ दूंगा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मैं विधायक दल की बैठक के लिए मुख्यमंत्री निवास गया था, जहां से फोन कर बुला लिया गया.

खाचरियावास ने कहा था- सरकार बचाने के लिए खून बहा देंगे

इससे पहले गहलोत के एक और करीबी और मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने खुलकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि ‘ED, CBI की टीमें राजस्थान की सड़कों पर उतरने वाली हैं. हमको ED, CBI और IT के नोटिस आते ही रहे हैं. उनका भी जवाब दे देंगे. परिवार (कांग्रेस) के नोटिस का भी जवाब दे देंगे. नोटिस का कोई टेंशन है क्या? लेकिन अब केंद्रीय जांच एजेंसियों के नोटिस आने शुरू हो गए हैं. आईटी की टीम ने मंत्री राजेंद्र यादव के घर छापा मारा है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़कों पर लड़ना पड़ेगा. सड़कों पर बराबर का मुकाबला करेंगे. बीजेपी लाठी चलाएगी तो लाठी का जवाब देंगे. बीजेपी गोली चलाएगी तो गोली का जवाब देंगे. बीजेपी जुल्म करेगी तो जुल्म का जवाब देंगे. बीजेपी एजेंसी भेजेगी तो एजेंसी का जवाब देंगे. लेकिन, राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को बचाने के लिए एक-एक विधायक और कार्यकर्ता कल भी एक था, आज भी एक है.’

अफवाह है तो क्लीयर कीजिए

प्रताप सिंह ने आगे कहा था- ‘सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी के आह्वान पर खून बहा देंगे सड़कों पर, जब वो आवाज देंगे. लेकिन, लोकतंत्र है. अचानक विधायकों को पता चलता है कि मीटिंग हो गई और कोई अफवाह फैलती है तो क्लीयर कर दीजिए. परिवार का मामला है. बात क्लीयर हो जाएगी. लेकिन बीजेपी जो साजिश कर रही है सरकार गिराने की, उसे षड्यंत्र से बचाने के लिए कोई बात करें तो वो बात सुनी जानी चाहिए.’

पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के बाद होगा एक्शन

वहीं, राजस्थान के घटनाक्रम पर केंद्रीय आलाकमान भी सक्रिय हो गया है. दिल्ली में सोमवार को कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने लगातार पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक की. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के नामांकन तक (30 सितंबर) राजस्थान में यथास्थिति बनी रहेगी. यानी पार्टी नामांकन के बाद सीएम पद पर कोई फैसला लेगी. वहीं, बगावत करने वाले गहलोत समर्थक विधायकों पर भी अभी एक्शन नहीं लिया जा रहा है. पार्टी हाईकमान पहले पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट देखेगा, उसके बाद कार्रवाई पर फैसला करेगा.

अभी सीएम फेस पर यथास्थिति बनी रहेगी

सोनिया गांधी ने राजस्थान के पर्यवेक्षकों से पूरे घटनाक्रम की लिखित और विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. सूत्रों के मुताबिक, पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी और बागी विधायकों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा सकता है. हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन तक राजस्थान में सीएम फेस को लेकर यथास्थिति बरकरार रहेगी. 

माकन हाईकमान को रिपोर्ट सौंपेंगे

बताते चलें कि AICC पर्यवेक्षक आज कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. इससे पहले सोनिया गांधी से मुलाकात कर लौटे अजय माकन ने कहा था कि मैंने और खड़गेजी ने सोनिया गांधी को सीएलपी बैठक की जानकारी दी, जिसके लिए हम राजस्थान गए थे. हमें हर विधायक से बात करनी थी और फिर वह रिपोर्ट सोनिया गांधी को देनी थी. विधायकों ने 3 शर्तें लगाई थी, जिसका हमने विरोध किया. हमने कहा कि यह कैसे संभव हो सकता है, क्योंकि यह हितों का टकराव है. 

इस्तीफे की पर्यवेक्षकों तक को नहीं लग सकी थी भनक

मंगलवार को सोनिया गांधी से वन-टू-वन किसी की मुलाकात नहीं होगी. बताते हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत के अप्रत्याशित कदम से बगावत की स्थिति बनी. इसकी भनक जयपुर में साथ बैठे पर्यवेक्षकों तक को नहीं लग सकी. बता दें कि जब विधायक बगावत कर इस्तीफे तैयार कर रहे थे, तब मुख्यमंत्री हाउस में सीएम अशोक गहलोत, पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे, अजय माकन, सचिन पायलट और गुजरात प्रभारी रघु शर्मा भी बैठे थे. ये सभी लोग विधायक दल की बैठक लेने के लिए एकत्रित हुए थे. हालांकि, गहलोत के समर्थक विधायक यहां नहीं पहुंचे. बाद में मंत्री शांति धारीवाल के घर जुटे विधायकों के इस्तीफे की खबरें आने पर पायलट सीएम हाउस से बाहर निकल आए थे.

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