अंकिता भंडारी मर्डर केस: ग़म में डूबा परिवार और सड़कों पर दिखा आम लोगों का ग़ुस्सा – BBC हिंदी

  • शहबाज़ अनवर
  • श्रीनगर (उत्तराखंड) से, बीबीसी हिंदी के लिए

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उत्तराखंड के श्रीनगर में एनआईटी घाट पर रविवार को अंकिता भंडारी का अंतिम संस्कार कर दिया गया. ऋषिकेश में उनकी कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी. पूर्व में बीजेपी के नेता रहे विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य पर अंकिता की हत्या का आरोप है. पुलिस ने इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ़्तार भी किया है.

अंकिता के शव का पोस्टमॉर्टम शनिवार देर रात ऋषिकेश एम्स में हुआ. इसके बाद अंकिता का परिवार शव के अंतिम संस्कार के लिए ऋषिकेश से लगभग चार घंटे की दूरी पर अपने पैतृक गांव पहुँचा. परिवार वाले अंकिता के शव को लेकर जैसे ही अपने गांव पहुँचे, नाते रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया था.

जैसे-जैसे घंटे बीते और लोगों का आना-जाना बढ़ने लगा, अंकिता के अंतिम संस्कार करने का परिवार का इरादा भी बदल गया. परिवार ने पुलिस प्रशासन के सामने तीन माँगें रखीं और उनके पूरा ना होने पर अंकिता का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया.

उनकी माँग थी कि अंकिता की मौत का परिवार को उचित मुआवज़ा मिले, परिवार के एक सदस्य के लिए सरकरी नौकरी मिले और फास्ट-ट्रैक कोर्ट में मामले की जल्द सुनवाई कर अभियुक्तों को फांसी की सज़ा मिले. प्रशासन और परिवार के बीच रविवार पूरे दिन इन माँगों को लेकर बहस चलती रही.

इसके अलावा भीड़ में मौजूद प्रदर्शनकारी अंकिता के परिवार की उस मांग का समर्थन कर रहे थे जिसमें परिवार दोबारा पोस्टमॉर्टम कराने की मांग कर रहा था और अंकिता की पोस्टमॉर्टम की विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग भी की जा रही थी.

अंकिता भंडारी की मौत

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शाम लगभग साढ़े पांच बजे के आस-पास अचानक कुछ पुलिस अधिकारी मोर्चरी (शव गृह) के गेट से निकल कर दावा करते हैं कि अंकिता के पिता से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की बात हो चुकी है.

कुछ ही पल में चारों तरफ खड़े पुलिसकर्मी मोर्चरी को घेर लेते हैं और वहां से अंकिता के शव को एक एंबुलेंस में रखकर पिता वीरेंद्र सिंह और भाई अजय सिंह को बिठाकर अंतिम संस्कार करवाने के लिए रवाना हो जाते हैं. प्रशासन का दावा है कि परिवार की सभी मांगें मान ली गई हैं.

इस बारे में एडिशनल एसपी शिखर सुयाल ने बीबीसी को बताया, “घरवालों की जो मांगें थीं, उसको लेकर सीएम साहब और अंकिता के पिता के बीच फोन पर बात हो गई थी, क्या बात हुई ये बात सीएम साहब या अंकिता के पिता को ही मालूम है, लेकिन वह (अंकिता के पिता) बेटी के अंतिम संस्कार के लिए तैयार हो गए थे.”

हालांकि पुलिस के इस रवैये पर अंकिता के रिश्तेदारों में नाराज़गी दिखी.

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अंतिम संस्कार पर बदला फ़ैसला

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अंकिता रहने वाली तो श्रीनगर (उत्तराखंड) के गांव श्रीकोट की थीं पर वह ऋषिकेश स्थित रिजॉर्ट में नौकरी करने लगी थीं. उनका शव भी ऋषिकेश रिजॉर्ट से कुछ किलोमीटर दूर बैराज की तरफ ऋषिकेश-हरिद्वार रोड पर चीला नहर में मिला था.

शव के अंतिम संस्कार पर अंकिता के परिवार वालों के इनकार के बाद प्रशासन ने अंकिता के पार्थिव शरीर को श्रीनगर में श्रीकोट नाम के ही एक दूसरे स्थान पर एक अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया और यहीं रविवार को प्रशासन और परिजनों व प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ जो शाम तक चला.

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क्या कहना है परिवार वालों का

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अंकिता हत्याकांड के मामले में अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह और भाई अजय सिंह शुरू से ही पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में छेड़छाड़ होने का शक जता रहे थे. इसलिए वह अंकिता का पोस्टमॉर्टम दोबारा कराने की मांग कर रहे थे.

इसके अलावा वे इस बात पर भी नाराज़ थे कि अभियुक्त पुलकित आर्य के रिजॉर्ट पर प्रशासन की ओर से तुरंत ही बुलडोज़र चला दिया गया जबकि वहां अंकिता के कमरे में कई सबूत मिल सकते थे. परिजनों ने साक्ष्यों को मिटाने के लिए रिज़ॉर्ट ध्वस्त करने का शक ज़ाहिर किया था.

अंकिता के भाई अजय सिंह भंडारी ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए ये भी कहा, “पुलिस प्रशासन ने शुरू से ही इस मामले में चूक की है. हमें इस बात का शक़ है कि अंकिता की प्राइमरी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में फेरबदल किया जा सकता है, इसलिए बहन का दोबारा पोस्टमॉर्टम करने की मांग की गई थी.”

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पुलिस की ओर से एएसपी कोटद्वार शेखर सुयाल ने इस बारे में कहा, “रविवार को परिजनों की मांग ये थी कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के साथ कुछ ग़लत न हुआ हो, वो तसल्लीबख्श हो. प्रारंभिक रिपोर्ट में अंकिता के शरीर पर चोट के निशान और डूबने से मौत की बात बताई गई है. संभवतः अंकिता के साथ पहले मारपीट की गई और फिर उसे नहर में फेंका गया.”

रिज़ॉर्ट तोड़े जाने और साक्ष्यों को मिटाने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “ये सब ग़लत है. 22 सितंबर को ही पुलिस और फोरेंसिक टीम ने रिज़ॉर्ट में उस स्थान की वीडियोग्राफ़ी की है जिस स्थान पर अंकिता रह रही थीं. सारे साक्ष्य एकत्रित किए गए हैं. मामले में एसआईटी का गठन भी किया जा चुका है.”

प्रदर्शन के दौरान अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह ने मीडिया से 19 सितंबर को ही बेटी की शिकायत दर्ज करने को लेकर मुद्दा उठाया था, उन्होंने आरोप लगाया था कि स्थानीय थाने में उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई थी और ना ही पुलिस ने उनकी बेटी की तलाश को लेकर त्वरित कोई कार्रवाई की थी.

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प्रदर्शन में शामिल लोगों की मांग

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प्रदर्शन के दौरान भीड़ में यही एक सवाल बार-बार उठ रहा था. प्रदर्शन में मौजूद एक लड़की कविता ने कहा, “सवाल ये नहीं है कि अंकिता के हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया गया है बल्कि सवाल ये उठता है कि आख़िर उन की गिरफ्तारी में इतना वक़्त कैसे लग गया.”

वहीं परिवार की दूसरी रिश्तेदार मोनिका बिष्ट ने बीबीसी से कहा, “अंकिता मेरी रिश्ते की बहन थी. वह बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी होनहार थी. उसने 10वीं और 12वीं कक्षा में शानदार अंक हासिल किए थे. बाद में होटल मैनेजमेंट के कोर्स में प्रवेश लिया. वह चाहती थी कि अपने ग़रीब परिवार का सहारा बने पर उसकी हत्या कर दी गई.”

प्रदर्शन करने वालों में शामिल नेहा बिष्ट ने बताया, “अंकिता भंडारी अब सिर्फ वीरेंद्र भंडारी, उनकी पत्नी सोनी देवी की ही बेटी नहीं है, बल्कि अब वह पूरे उत्तराखंड की बेटी बन गई है. हम उसे इंसाफ़ दिलाने के लिए कई दिन से लड़ रहे हैं, देखना जल्द ही अभियुक्तों को उनके किए की सज़ा भी मिलेगी.”

नेहा ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि बीच में शांति सिंह माइक हाथ में लेकर कहती हैं, “अंकिता के हत्यारों को फांसी की सज़ा से कम कुछ भी स्वीकार नहीं.”

अंकिता को इंसाफ दिलाने की माँग करने वालों में कई लोगों के हाथ में ‘जस्टिस फॉर अंकिता’ का स्लोगन लिखा प्लेकार्ड था.

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पूरा मामला क्या है?

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  • ऋषिकेश स्थित वंतरा रिज़ॉर्ट से 18 सितंबर को श्रीनगर के गांव श्रीकोट की रहने वाली 19 वर्षीय युवती अंकिता भंडारी लापता हो गई थीं.
  • बाद में अंकिता की हत्या का आरोप भाजपा नेता और पूर्व राज्य मंत्री डॉक्टर विनोद आर्य के पुत्र पुलकित आर्य पर लगा. वह रिज़ॉर्ट के संचालक भी हैं.
  • इसके अलावा रिज़ॉर्ट के दो कर्मचारियों के नाम भी इस हत्या में शामिल हैं. 20 सितंबर को अंकिता के लापता होने की ख़बर परिवार को मिली थी.
  • 24 सितंबर को सुबह चीला नहर से अंकिता का शव मिला. राज्य सरकार ने पुलकित आर्य सहित तीन लोगों को गिरफ़्तार करने के बाद अब इस मामले में एसआईटी गठित कर दी है.

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पूर्व मुख्यमंत्री ने भी उठाए सवाल

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अंकिता की मौत के मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सवाल उठाए हैं.

उन्होंने कहा, “अंकिता हत्याकांड मामले में पुलिस प्रशासन की शुरू से लापरवाही दिख रही है. अंकिता का शव खोजने में देरी की गई, कहीं ये साक्ष्य मिटाने की तो कोशिश तो नहीं. रिज़ॉर्ट पर भी बुलडोज़र तुरंत चलवा दिया गया जबकि वहां से कई सबूत जुटाए जा सकते थे.”

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