नई दिल्ली:
महाराष्ट्र विधानसभा में सोमवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपनी ताकत साबित करेंगे. राज्यपाल के आदेश के अनुसार विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के दूसरे दिन यानी आज फ्लोर टेस्ट होगा, जिसमें एकनाथ शिंदे को ये साबित करना होगा कि वे बहुमत से सरकार में हैं. हालांकि, कल हुए अध्यक्ष पद के चुनाव में अपनी गुट के उम्मीदवार और बीजेपी विधायक राहुल नार्वेकर की जीत के बाद फ्लोर टेस्ट का रास्ता शिंदे के लिए आसान है. ऐसा इसलिए क्योंकि कल ये स्पष्ट हो चुका है कि कितने विधायक नई सरकार के पक्ष में हैं.
महाराष्ट्र में जारी सियासी घटनाक्रम
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कल हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में शिंदे गुट और बीजेपी के संयुक्त उम्मीदवार राहुल नार्वेकर को कुल 164 वोट मिले. जबकि उद्धव खेमे के उम्मीदवार राहुल साल्वे के पक्ष में 107 वोट ही पड़े. ऐसे में तस्वीर साफ है.
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महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 288 है, जिसमें से एक विधायक का निधन हो चुका है. वहीं, शिवसेना के 39 बागी सदस्यों को निकालने के बाद कुल सदस्यों की संख्या 248 हो जाती है, जिसके बाद बहुमत का आंकड़ा 125 रह जाता है.
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स्पीकर के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार राहुल नार्वेकर को 164 वोट मिले हैं. अगर इनमें से 39 सदस्यों के वोट घटा दिए जाएं तो भी आंकड़ा 125 आता है.
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ऐसे में अगर वोटिंग में हिस्से ना लेनी वाली पार्टियां सपा, एआईएमआईएम और सीपीएम के विधायक और जेल में बंद एनसीपी विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक भी उद्धव गुट के पक्ष में वोट डालते हैं, तो भी उनकी संख्या 125 तक नहीं पहुंच पाएगी.
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इधर, महाराष्ट्र विधानसभा में एकनाथ शिंदे सरकार के बहुमत परीक्षण से एक दिन पहले उद्धव ठाकरे धड़े को बड़ा झटका देते हुए रविवार रात को महाराष्ट्र विधानसभा के नवनियुक्त अध्यक्ष ने शिवसेना विधायक अजय चौधरी को पार्टी विधायक दल के नेता पद से हटा दिया.
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विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के कार्यालय द्वारा जारी पत्र में शिंदे को शिवसेना के विधायक दल के नेता के रूप में बहाल किया गया और ठाकरे गुट से संबंधित सुनील प्रभु को हटाकर शिंदे खेमे के भरत गोगावले को शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त किया गया.
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इस बीच, शिवसेना (उद्धव खेमा) ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी. शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता और सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि वे इस ‘‘असंवैधानिक” फैसले को अदालत में चुनौती देंगे.
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सावंत ने कहा, ‘‘लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. अचारी ने व्यवस्था दी है कि पार्टी नेता (प्रमुख) को उस पार्टी के विधायक दल के नेता को नियुक्त करने का अधिकार है. आप कैसे कह सकते हैं कि वह (एकनाथ शिंदे) पार्टी के (विधायक दल) के नेता हैं?” उन्होंने कहा, ‘‘हम इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. निर्णय रविवार देर रात को लिया जाता है जो दर्शाता है कि यह फैसला किस तरह लिया गया.”
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16 विधायक वाले उद्धव ठाकरे गुट के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वे सोमवार को होने वाले विश्वास मत के लिए गोगावले द्वारा जारी किए जाने वाले व्हिप से बंधे होंगे. अगर ये 16 विधायक व्हिप का पालन करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है.
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मालूम हो कि बीते महीने शिवसेना नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 38 के साथ बगावत कर दी थी. इसके बाद कई दिनों चले सियासी उठापटक के बाद राज्य के तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद टीम शिंदे ने बीजेपी से हाथ मिलाकर नई सरकार बना ली. एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बने और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री.