सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले को ट्रांसफर क्‍यों किया, क्‍या यह मुस्लिम पक्ष की जीत है? एक-एक पॉइंट को समझिए – Navbharat Times

Supreme Court order related to transferring of Gyanvapi case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi case) में शुक्रवार को अहम आदेश दिया। कोर्ट ने सुनवाई को ट्रांसफर कर दिया है। सिविल जज (Civil Judge) के बजाय अब जिला जज केस की सुनवाई करेंगे। कई इसे मुस्लिम पक्ष की जीत के तौर पर देख रहे हैं। कारण है कि अभी तक केस में जो आदेश दिए गए हैं वो सिविल जज ने ही दिए हैं। मुस्लिम पक्ष इसे लेकर आपत्ति जताता आया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने केस को ट्रांसफर करते हुए जो कुछ कहा है उससे साफ हो जाता है कि इसे किसी की जीत-हार से जोड़कर देखना गलत है। आइए, समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले को ट्रांसफर करने का फैसला क्‍यों दिया है और क्‍यों यह किसी पक्ष की हार-जीत का विषय नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्‍यों ट्रांसफर किया केस?
मामले से जुड़े वकीलों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि यह मामला काफी जटिल और संवेदनशील है। इसे ज्‍यादा अनुभवी जज की मॉनिटरिंग की जरूरत है। इसी को देखते हुए मामले की सुनवाई को सिविल जज के पास से जिला जज के पास ट्रांसफर क‍िया गया है।

सिविल जज के हाथों से ज्ञानवापी मामला ट्रांसफर, अब जिला जज करेंगे सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या दिया है आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले की सुनवाई जिला जज को ट्रांसफर करने के साथ कई अहम बातें कहीं हैं। उसने डिस्ट्रिक्‍ट जज से कहा है कि वह प्रॉयरिटी बेसिस पर इसकी सुनवाई करें। जो भी प्रोसीडिंग्‍स सिविल जज के पास लंबित थीं अब वो सभी डिस्‍ट्रि‍क्‍ट जज के पास ट्रांसफर होंगी। कोर्ट ने कहा है कि जिला जज वाराणसी पहले हिंदू भक्तों की ओर से कागजात के हस्तांतरण पर दायर दीवानी मुकदमे की सुनवाई का फैसला करेंगे। शीर्ष अदालत ने वाराणसी के जिलाधिकारी से ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा करने वाले मुसलमानों के लिए ‘वजू’ की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि मस्जिद परिसर में जहां से शिवलिंग निकलने का दावा हुआ है उसकी सुरक्षा और मुसलमानों को नमाज अदा करने की अनुमति पर उसके पहले के निर्देश लागू रहेंगे।

क्‍या सिविल जज पर सुप्रीम कोर्ट को नहीं था भरोसा?
नहीं, यह समझना गलत है। यहां भरोसे की बात बिल्‍कुल नहीं है। यहां पूरा मामला अनुभव का है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने केस को ट्रांसफर करते हुए यह साफ भी किया। उन्‍होंने कहा कि वो सिविल जज (सीनियर डिवीजन) पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं जो पहले मुकदमे को देख रहे थे। वो सिर्फ यह समझते हैं कि इसे कोई ज्‍यादा अनुभवी देखे।

image

Gyanvapi Verdict: वजू का इंतजाम, सीनियर जज से सुनवाई… ज्ञानवापी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

क्‍या सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम पक्ष के लिए जीत है?
यह निष्‍कर्ष निकालना गलत है। मामला सिर्फ ट्रांसफर हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें किसी के पक्ष की बात नहीं की है। केस की जटिलता और संवेदनशीलता को देखते हुए उसने इसे ज्‍यादा अनुभवी जज के पास ट्रांसफर किया है। अब उन्‍हें इस मामले में फैसला सुनाना है। इस तरह कह सकते हैं कि गेंद सिविल जज के पाले से जिला जज के पाले में आ गई है। इसे किसी भी पक्ष की जीत-हार से जोड़ना सही नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कुल मिलाकर मामले में संतुलन बनाने की कोशिश की है। अब जिला जज तय करेंगे कि क्‍या सही है क्‍या गलत है।

मुस्लिम पक्ष को जिला कोर्ट पर कितना भरोसा?
सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने बार-बार यह दलील दी कि किसी तरह की शरारत को रोकने के लिए ही 1991 का ऐक्‍ट बनाया गया था। इस पूरे मामले से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ रहा है। इसे केवल एक सूट की दृष्टि से न देखा जाए। देशभर में इसके प्रभावों को देखा जाए। हालांकि, इस दलील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया। उसने कहा कि सूट की एक प्रक्रिया है। इससे कानून का उल्‍लंघन कैसे हो सकता है। जो नियम हैं, उनका पालन करना जरूरी है। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट उसमें हस्‍तक्षेप नहीं कर सकता है।

Related posts