ज्ञापवापी मामले में याचिकाकर्ता सोहन लाल एक टीवी चैनल की चर्चा में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि इस बात को साफ-साफ देखा जा सकता है कि काले पत्थर पर ऊपर से कुछ सीमेंट से जोड़ा गया है। मस्जिद कमिटी के लोगों से जब पूछा गया कि अगर यह फव्वारा है तो इसे चालू कर दीजिए। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि यह खराब है। जब पूछा गया कि कब से खराब है तो बताया गया कि वर्षों से। उसे पूरी तरह साफ करने के बाद भी ऐसा कुछ नहीं मिला कि वहां पाइप से कुछ आ रहा है। न किसी अंडरग्राउंड पाइप का सुराग मिला। इस पर कमिटी के लोगों से पूछा गया क्या और कोई अंडरग्राउंड पाइप आता है तो उन्होंने कहा नहीं। उनसे कहा गया कि फिर यह फव्वारा कैसे हुआ। इसे लेकर उनका कहना था कि ऐसा बताया गया है। सच तो यह है कि वहां पानी आने-जाने का कोई रास्ता नहीं था।
शिवलिंग में छेद है क्या?
सोहन लाल ने बताया कि सर्वे के दौरान जांच कमिश्नर विशाल सिंह मौजूद थे। वह झाड़ू की सींक खोजकर लाए। उन्होंने देखना चाहा कि ऊपर से यह कितना गहरा है। जब उन्होंने सींक को डाला तो वह सिर्फ 6 इंच अंदर चली गई। फिर लाइट मंगाई गई और फोटोग्राफी की गई। 6 इंच से ज्यादा कुछ नहीं था। इसका भी जवाब मस्जिद कमिटी के लोग नहीं दे सके।
कैसे प्रकट हुआ शिवलिंग?
सोहन लाल ने बताया जहां से शिवलिंग मिला वहां 25 बाई 25 का वजूखाना है। वो पूरा पानी से लबालब भरा हुआ था। जैसे ही पानी खाली कराया गया यह शिवलिंग सरीखी आकृति उभरकर सामने आई। यहां ध्यान रखने वाली बात है कि पूरी साफ सफाई प्रशासनिक अधिकारियों ने कराई। एक प्रशासनिक अधिकारी ने इस बात पर गौर किया कि वह आकृति एक ही पत्थर से बनी हुई है। इसका रंग काला है। यह शिवलिंग सरीखा लगता है। शिवलिंग के ऊपर चौकोर तरीके से कुछ जोड़ा गया है। अगर उसे हटा दिया जाए तो वो पूरी तरह से शिवलिंग ही दिखाई पड़ता है।