हां, उनकी नाराजगी कम करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने उनके उस फेसबुक पोस्ट का मान रखा जिसमें उन्होंने लिखा था ‘अब थोड़ा मुझे अपने बेटे-बेटियों, जिन्होंने मेरी ही गलतियों वश राजनीति की ओर कदम बढ़ा दिए या मेरी ढिलाई समझ लीजिए, प्रोत्साहन तो मैंने कभी दिया नहीं, लेकिन मेरी ढिलाई के कारण वे भी इस काम में लग गए, उनकी चिंता होती है, क्योंकि उनके प्रति भी मेरा दायित्व है।’
सीएम पद के दावेदार हरीश रावत के परिजनों को टिकट का विरोध हो रहा था। लेकिन नई लिस्ट में हरिद्वार ग्रामीण सीट से उनकी बेटी अनुपमा रावत (Harish Rawat daughter Anupama Rawat) को कांग्रेस का उम्मीदवार बना दिया गया है। शायद इससे हरीश रावत की नाराजगी दूर हो जाए। वहीं रणजीत सिंह रावत को भी रामनगर सीट नहीं दी गई है ताकि कोई गलत मैसेज न जाए। पार्टी ने उन्हें सल्ट सीट से ही टिकट दिया है। रणजीत सिंह रावत ने कहा था कि उन्होंने रामनगर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली थी। वाहिद अली वाहिद की कविता पढ़ते हुए उन्होंने विद्रोह का बिगुल कुछ यूं बजाया था.. ‘द्वन्द्व कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए, तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए
पांच बार सांसद रहे हरीश रावत जब विजय बहुगुणा के खिलाफ नाराजगी के बाद सीएम बनाए गए थे तब धारचूला का विधानसभा उपचुनाव उन्होंने जीता था। 2017 में वो हरिद्वार ग्रामीण और किच्चा दो क्षेत्रों से लड़े और दोनों ही हार गए। 1980 से लेकर 1999 तक उन्होंने अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र का लगातार पांच बार प्रतिनिधित्व किया। 2009 में हरिद्वार से जीते और 2019 में अजय भट्ट ने उन्हें नैनीताल सीट से हरा दिया।