रूस-यूक्रेन संकट को समझिए सात सवालों के जवाब से – BBC हिंदी

  • पॉल किर्बी
  • बीबीसी न्यूज़

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क्या रूस की सेना यूक्रेन पर हमले की तैयारी में जुटी है? यूक्रेन से लगी अपनी सीमा पर रूस ने एक लाख से अधिक सैनिक तैनात किए हैं. रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण करने की किसी योजना से इनकार किया है लेकिन इसे लेकर तनाव बढ़ रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन में सैनिक कार्रवाई की आशंका जताई है. बाइडन ने बुधवार को कहा कि उन्हें लगता है कि उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में ‘हस्तक्षेप करेंगे’, लेकिन एक ‘मुकम्मल जंग’ से बचना चाहेंगे. असल में उन्होंने रूसी सेना के ‘छोटे-से हस्तक्षेप’ की आशंका जताई है.

हालांकि बाइडन के इस बयान के बाद यूक्रेन में उनकी आलोचना होने लगी. उसके बाद गुरुवार को दिए एक भाषण में राष्ट्रपति बाइडन अपने पहले के बयान से पीछे हट गए. और उन्होंने कहा कि यूक्रेन में रूस की सेना के किसी भी घुसपैठ को “हमला” ही माना जाएगा.

अमेरिका की ओर से यूक्रेन को सैन्य मदद की मंज़ूरी मिलने के बाद इसी सप्ताह हथियारों की पहली खेप यूक्रेन पहुंची है और इसमें सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए हथियार भी शामिल हैं.

इधर ब्रितानी विदेश मंत्रालय का कहना है कि रूस यूक्रेन में ऐसा नेता चाहता है जो उसका समर्थन करते हो. मंत्रालय ने यूक्रेन के चार पूर्व नेताओं का नाम जारी करते हुए कहा है कि इन नेताओं के संबंध रूसी ख़ुफ़िया विभाग से है और रूस इन्हें संभावित उम्मादवार के तौर पर देख रहा है.

रूस से ब्रिटेन और अमेरिका के आरोपों को फर्जी और झूठा करार दिया है.

गौरतलब है कि यूक्रेन को लेकर रूस ने पश्चिमी देशों के सामने कई मांगें रखी हैं. उसने ज़ोर देकर कहा है कि यूक्रेन को कभी नेटो का सदस्य नहीं बनने देना चाहिए और नेटो गठबंधन को पूर्वी यूरोप में अपनी सभी सैन्य गतिविधि छोड़ देनी चाहिए.

ऐसे हालात में आगे ऐसा क्या हो सकता है, जिससे यूरोप का पूरा सुरक्षातंत्र ख़तरे में पड़ जाए. रूस और यूक्रेन के ताज़ा तनाव को यहां हम सात सवालों के जवाबों से समझने की कोशिश करते हैं.

पिछले साल के मार्च में रूस ने क्राइमिया में सैन्य अभ्यास किया था

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1- रूस आख़िर यूक्रेन को क्यों धमका रहा है?

यूक्रेन की सीमा पर एक लाख से भी अधिक जुटाने के बावजूद रूस हमले की किसी योजना से इनकार कर रहा है. रूस बहुत पहले से यूरोपीय संस्थाओं ख़ासकर नेटो के साथ यूक्रेन के जुड़ाव का विरोध करता रहा है.

यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोपीय देशों और पूर्व में रूस के साथ लगती है. हालांकि पूर्व सोवियत संघ के सदस्य और आबादी का क़रीब छठा हिस्सा रूसी मूल के होने के चलते यूक्रेन का रूस के साथ गहरा सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव है.

यूक्रेन ने 2014 में जब अपने रूस समर्थक राष्ट्रपति को उनके पद से हटा दिया तो इस बात से नाराज़ होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्राइमिया प्रायद्वीप को अपने क़ब्ज़े में ले लिया.

साथ ही, वहां के अलगाववादियों को अपना समर्थन दिया, जिन्होंने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया. तब से रूस समर्थक विद्रोहियों और यूक्रेन की सेना के बीच चल रही लड़ाई में 14 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.

दिसंबर में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की सीमा पर अपने सैनिकों से मिलते हुए

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2- हमले का ख़तरा आख़िर कितना बड़ा है?

रूस लगातार कह रहा है कि यूक्रेन पर हमले की उसकी कोई योजना नहीं है. रूसी सेना के प्रमुख वालेरी गेरासिमोव ने हमले की योजना से संबंधित ख़बरों को झूठ क़रार दिया है.

लेकिन दोनों पक्षों के बीच तनाव अपने चरम पर है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि पश्चिमी ताक़तों का आक्रामक व्यवहार ऐसा ही बना रहा तो “उपयुक्त जवाबी क़दम” उठाए जाएंगे.

नेटो महासचिव ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन को लेकर संघर्ष का ख़तरा वास्तविक है. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन भी मानते हैं कि रूस आगे बढ़ सकता है. अमेरिका ने कहा कि उसे यूक्रेन की सीमा पर रूसी बलों के कुछ ही समय में जमा होने की कथित योजना के बारे में पता है.

अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच संघर्ष बीते कई सालों से जारी है. हालांकि फ़िलहाल दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम चल रहा है.

चिंता की बात यह है कि यूक्रेन की सीमा के पास रूस के लाख से अधिक सैनिक इकट्ठा हैं. अमेरिका ने बताया है कि रूस ने इस सैनिक जमावड़े को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है. वहीं अब रूसी सेना अभ्यास के लिए बेलारूस की ओर भी जा रही है.

रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने मौजूदा हालात की तुलना 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट से की है. उस दौरान अमेरिका और सोवियत संघ परमाणु संघर्ष के क़रीब पहुंच गए थे.

पश्चिमी ख़ुफ़िया एजेंसियों का मानना है कि रूस का यूक्रेन पर हमला 2022 के शुरू में होने की प्रबल आशंका है.

रूस-यूक्रेन संकट

3. रूस नेटो से चाहता क्या है?

रूस ने नेटो से अपने रिश्ते को नया रूप देने के लिए अपना पक्ष रखा है. रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा, “हमारे लिए यह तय करना बहुत ज़रूरी है कि यूक्रेन कभी भी नेटो का सदस्य न बने.”

नेटो देशों पर रूस का आरोप है कि वे यूक्रेन को लगातार हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं और अमेरिका दोनों देशों के बीच के तनाव को भड़का रहा है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि “रूस अब पीछे नहीं हटने जा रहा. आप क्या सोचते हैं कि हम ऐसे ही बैठे रहेंगे?”

असल में, रूस चाहता है कि नेटो की सेनाएं 1997 के पहले की तरह सीमाओं पर लौट जाए. उसकी मांग है कि नेटो गठबंधन पूर्व में अब अपनी सेना का और विस्तार न करे और पूर्वी यूरोप में अपनी सै​न्य ​गति​विधियां बंद कर दे.

इसका मतलब ये होगा कि नेटो को पोलैंड और बाल्टिक देशों एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया से अपनी सेनाएं वापस बुलानी होगी. साथ ही पोलैंड और रोमानिया जैसे देशों में वो मिसाइलें तैनात नहीं रख सकेगा.

रूस ने अमेरिका से एक समझौता करने का भी प्रस्ताव दिया है जिसके तहत वो अपने देश के इलाक़ों के बाहर परमाणु हथियारों की तैनाती पर रोक लगाएगा.

रूस समर्थक विद्रोही 2014 से पूर्वी यूक्रेन में यूक्रेनी सेना से लड़ रहे हैं

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4. यूक्रेन से रूस की मांग क्या है?

रूस ने 2014 में क्राइमिया पर यह कहते हुए क़ब्ज़ा कर लिया कि उस प्रायद्वीप पर उसका ऐतिहासिक दावा रहा है. यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा रह चुका है.

वहीं 1991 में सोवियत संघ के पतन को व्लादिमीर पुतिन ‘ऐतिहासिक रूस का विघटन’ कहकर याद करते हैं.

पिछले साल एक लंबे आलेख में उन्होंने रूसी और यूक्रेनी लोगों को ‘समान राष्ट्रीयता वाले’ बताया था. जानकारों का मानना है कि इस बात से पुतिन की सोच का पता चलता है. उस आलेख में पुतिन ने यह भी कहा कि यूक्रेन के मौजूदा नेता ‘रूस विरोधी प्रोजेक्ट’ चला रहे हैं.

रूस पूर्वी यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के लिए 2015 में हुए मिंस्क शांति समझौते के पूरा न होने से भी नाराज़ है.

मुख्य भूमि से अलग इलाक़ों के चुनावों की स्वतंत्र निगरानी के लिए अब तक कोई समझौता नहीं हो सका है. रूस उन आरोपों से इनकार करता रहा है कि यह सब लंबे संघर्ष का हिस्सा है.

यूक्रेन के वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने जून 2021 में डोनबास इलाक़े में रूस समर्थक विद्रोहियों से लड़ रहे अपने सैनिकों के साथ

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5. क्या रूस की सैनिक कार्रवाई को रोका जा सकता है?

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कई बार कहा है कि जो बाइडन के साथ और दूसरी उच्चस्तरीय वार्ताएं जारी रहनी चाहिए. हालांकि रूसी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि उनकी प्रमुख मांगों को ठुकराने के नतीज़े ख़तरनाक होंगे.

अब सवाल ये है कि रूस आख़िर कहां तक जाएगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन पर ‘पूर्ण आक्रमण’ के रूस के लिए गंभीर परिणाम होंगे. लेकिन, रूस के ‘छोटे-से हस्तक्षेप’ पर ख़ुद बाइडन ने कहा कि ऐसा होने पर पश्चिमी देशों के बीच ‘असहमति पैदा हो सकती है कि इससे निपटा कैसे जाए’.

व्हाइट हाउस ने ज़ोर दिया कि रूस और यूक्रेन की सीमा पर किसी भी तरह की कार्रवाई को हमला माना जाएगा, लेकिन ध्यान रहे कि रूस के पास साइबर हमले और पैरामिलिट्री कार्रवाई जैसे दूसरे उपाय भी हैं.

अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि रूस यूक्रेन की पूर्वी सीमा पर लड़ रहे अपने समर्थक विद्रोहियों पर हमले करवा सकता है, ताकि उसका बहाना लेकर यूक्रेन पर चढ़ाई कर सके. हालांकि रूस ने ऐसे आरोपों को ख़ारिज़ किया है.

रूस पर ये भी आरोप है कि उसने विद्रोहियों के क़ब्ज़े वाले इलाक़े में 5 लाख पासपोर्ट भी बांटे हैं, ताकि उसकी मंशा पूरी न होने पर वो अपने नागरिकों की सुरक्षा की आड़ में किसी भी कार्रवाई को सही ठहरा सके.

यदि रूस का एकमात्र लक्ष्य नेटो को अपने पड़ोस से हटने को बाध्य करना है, तो लगता नहीं कि वो इसमें सफल हो पाएगा. नेटो ने भविष्य में अपने हाथ बांधने की किसी कोशिश को ख़ारिज़ कर दिया है.

अमेरिका के उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमन ने कहा, “हम नेटो की ‘ओपेन डोर पॉलिसी’ पर किसी को धक्का पहुंचाने नहीं देंगे.”

उधर यूक्रेन नेटो में शामिल होने की स्पष्ट समयसीमा चाह रहा है और नेटो भी कह चुका है कि रूस को “इस प्रक्रिया में दखल देने का कोई वीटो या हक़ नहीं है.”

स्वीडन और फ़िनलैंड, जो नेटो के सदस्य नहीं हैं, ने भी नेटो के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करने से रोकने की रूस की कोशिश को ख़ारिज़ कर दिया है. फिनलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा, “हम पैंतरेबाज़ी को स्वीकार नहीं करेंगे.”

जो बाइडन

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6. पश्चिमी देश यूक्रेन का कहां तक साथ देंगे?

अमेरिका ने कहा है कि वो यूक्रेन की ‘संप्रभुता’ को सुरक्षित करने में उसकी मदद के लिए प्रतिबद्ध है. वो हथियारों के रूप में यूक्रेन की सैन्य मदद भी कर रहा है.

तनाव को कम करने के लिए पश्चिमी देशों के मुख्य हथियार ‘प्रतिबंध’ और हथियारों और सलाहकारों के रूप में ‘सैन्य मदद’ हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने रूस को चेतावनी दी है कि रूस ने यदि यूक्रेन पर हमला किया तो उस पर ऐसे प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जिनके बारे में कभी देखा-सुना न गया हो. लेकिन ऐसे प्रतिबंध क्या हो सकते हैं?

रूस के लिए सबसे बड़ा आर्थिक झटका ये हो सकता है कि रूस के बैंकिंग सिस्टम को अंतरराष्ट्रीय स्विफ़्ट पेमेंट सिस्टम से काट दिया जाए. ख़ैर ये आख़िरी उपाय हो सकता है लेकिन लातविया ने कहा है कि ऐसा करने से रूस को कड़ा संदेश मिलेगा.

रूस के साथ एक और सख़्ती ये भी की जा सकती है कि जर्मनी में रूस के नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को चालू करने से रोक दिया जाए. जर्मनी इसे मंज़ूरी देने पर विचार कर रहा है. जर्मनी के विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने साफ़ कहा है कि रूस ने यदि कोई सैनिक कार्रवाई की तो इस पाइपलाइन पर काम शुरू नहीं हो पाएगा.

रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फ़ंड या रूबल को विदेशी मुद्रा में बदलने वाले बैंकों पर प्रतिबंध लगाने वाले क़दम भी अपनाए जा सकते हैं.

यूक्रेन

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7. क्या पश्चिमी ताक़तें मिलकर उठाएंगी क़दम?

अमेरिका ने कहा है कि वो अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच मतभेद हैं.

यूरोपीय नेता ज़ोर देकर कह रहे हैं कि रूस अपने भविष्य को केवल अमेरिका के साथ मिलकर तय नहीं कर सकता. फ्रांस का प्रस्ताव है कि यूरोपीय शक्तियों को नेटो के साथ मिलकर चलना चाहिए और तब रूस के साथ बात होनी चाहिए.

यूक्रेन के राष्ट्रपति चाहते हैं कि इस संकट का समाधान तलाशने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया जाए, जिसमें रूस के साथ फ्रांस और जर्मनी भी शा​मिल हों.

इन चारों देशों के नेता नियमित तौर पर मुलाक़ातें करते रहे हैं, जिसे नॉरमैंडी क्वाट्रेट या’नॉरमैंडी चौकड़ी’ कहा जाता है. लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मांग है कि यूक्रेन पर कोई भी समझौता तभी होगा, जब नेटो से संबंधित उनकी मांगें मानी जाएंगी.

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