रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने फिर किया साबित, भारत है खास दोस्त – आज तक

स्टोरी हाइलाइट्स

  • पुतिन और पीएम मोदी की छोटी लेकिन अहम मुलाकात
  • कई देशों के ऊपर भारत को तरजीह दी है पुतिन ने

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत पहुंच गए हैं.  हालांकि, पुतिन का ये दौरा बस कुछ घंटों का ही है और वह सोमवार की रात को ही लौट जाएंगे. भले ही पुतिन का ये दौरा काफी छोटी अवधि का है लेकिन फिर भी कई तरह से खास है. लगभग दो सालों में पुतिन ने किसी विदेशी धरती का दौरा नहीं किया है. कोरोना महामारी के चलते पुतिन जी-20 और सीओपी26 जैसे ग्लोबल सम्मेलन में भी शामिल नहीं हो पाए थे. इस साल वे केवल अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से कुछ देर मिलने के लिए 16 जून को जेनेवा गए थे. हालांकि, उस दौरान भी पुतिन किसी तीसरे ही देश में बाइडेन से मुलाकात कर रहे थे. 

लेकिन भारत के साथ रूस के गहरे संबंधों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पुतिन ने भारत आकर द्विपक्षीय मुलाकात करने का फैसला किया है. माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी और पुतिन कई अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे. इस मुलाकात से पहले भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु और विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के बीच भी नई दिल्ली में वार्ता हुई. एस जयशंकर ने एक ट्वीट में ये भी बताया कि उनकी और सर्गेई शोईगु की ये इस साल चौथी मुलाकात है.

राष्ट्रपति पुतिन का दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस में उथलपुथल का माहौल है. यूक्रेन की सीमा पर रूस के सैनिकों की तैनाती हो रही है और रूस में कोविड-19 के केसों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. तमाम समस्याओं के बीच पुतिन ने भारत आने के लिए समय निकाला है. इससे साफ होता है कि रूस के लिए भारत कितना अहम देश है. बता दें कि पुतिन की इस यात्रा के दौरान रक्षा, व्यापार, अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और संस्कृति में सहयोग को गहरा करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है. 

कई रक्षा सौदों पर हो सकते हैं समझौते

एएनआई के मुताबिक, पुतिन पीएम मोदी को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का मॉडल भी सौंपने वाले हैं. ये वही मिसाइल्स हैं जिनके चलते भारत पर अमेरिका के प्रतिबंधों का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि भारत सिर्फ एस-400 मिसाइल्स ही नहीं बल्कि इसके अलावा एके-203 राइफल्स को लेकर भी 5100 करोड़ का बड़ा कॉन्ट्रेक्ट भी रूस के साथ कर सकता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कॉन्ट्रेक्ट से भारतीय सेना को 7.5 लाख राइफल्स मिलने की उम्मीद हैं और ये राइफल्स तीस साल पुरानी आईएनएसएएस राइफल्स की जगह ले सकती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों ही देश इग्ला-एस शॉल्डर फायर्ड मिसाइल पर भी चर्चा कर सकते हैं. 

तालिबान पर रूस और भारत का अलग-अलग रूख?

इसके अलावा भी कई फ्रंट पर रूस और भारत के बीच जरूरी चर्चा हो सकती हैं. पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री मोदी के बीच इससे पहले अक्टूबर 2018 में मुलाकात हुई थी.इसके बाद से ही अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं जिनमें अफगानिस्तान में तालिबान का राज प्रमुख है. रूस और भारत का तालिबान को लेकर नजरिया एक जैसा नहीं है. रूस तालिबान के साथ बेहतर रिश्ते चाहता है जबकि भारत तालिबान पर पाकिस्तान के प्रभाव को लेकर चिंतित है. शायद यही कारण है कि रूस ने अफगानिस्तान को लेकर वार्ता (एक्सटेन्डेड ट्रोइका) में चीन और पाकिस्तान को तो बुलाया लेकिन भारत को न्योता नहीं दिया था. हालांकि भारत कहता रहा है कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर रूस के साथ संपर्क में हैं. रूस इसके अलावा भारत और अमेरिका की नजदीकियों को लेकर भी चिंतित है. 

क्वाड में भारत की भागीदारी से चिंतित रूस

दरअसल भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की सदस्यता वाले क्वाड समूह में शामिल हैं. इस समूह ने हाल ही में कोरोना महामारी से मुकाबला करने में एक-दूसरे का सहयोग किया. इसके साथ ही चीन के समुद्री क्षेत्रों में दावों को चुनौती भी दी. रूस क्वाड की आलोचना कर चुका है और इसे एशियाई नाटो कह चुका है. रूस के चीन के साथ गहरे संबंध हैं. वहीं, रूस और अमेरिका के रिश्तों में तल्खी देखी जा सकती है. भारत के इस मामले में संबंध एकदम विपरीत है. भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय से सीमा विवाद तेज हुआ है जबकि अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में मजबूती देखने को मिली है. ऐसे में रूस भारत के अमेरिका के साथ करीबी रिश्तों पर भी नजर रखे हुए है.

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