बिहार में शराबबंदी किस कदर विफल साबित हो रही है, उसका उदाहरण मंगलवार को विधानसभा परिसर में ही देखने को मिला। यहां उस समय सनसनी फैल गई जब शराब की कई खाली बोतल मिलीं। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव खुद उस जगह पर गए, जहां शराब की बोतलें पड़ी थीं। तेजस्वी ने इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमले करते हुए उन्हें घेरने की कोशिश की।
तेजस्वी ने कहा कि ऐसे समय जब विधानसभा की सुरक्षा इतनी कड़ी है। तब शराब के बोतलें मिलना साफ़ करता हैं कि बिहार में शराबबंदी नाकाम है। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा परिसर में कितने धड़ल्ले से शराब की बोतल पहुंच गई। अगर बिहार विधानसभा में बोतल पहुंच गई तो सीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए। जहां सीएम खुद बैठे हैं, वहां से यह स्थान 100 मीटर भी नहीं होगा।
तेजस्वी ने कहा कि बिहार विधानसभा के अंदर शराब की बोतल कहां से आई ?मुख्यमंत्री को खुद मुआयना करना चाहिए। शराब माफिया के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर हमने देखी है। नीतीश कुमार के मंत्रियों को अपराध करने की छूट है। CM को बिहार की जनता से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बेराजगारी, चिकित्सा, पलायन आदि मामलों में इस सरकार ने बिहार को बदनाम कर दिया है।
बिहार विधानसभा के अंदर शराब की बोतल कहां से आई ?मुख्यमंत्री को खुद मुआयना करना चाहिए। शराब माफिया के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर हमने देखी है। नीतीश कुमार के मंत्रियों को अपराध करने की छूट है। CM को बिहार की जनता से माफी मांगनी चाहिए: RJD नेता तेजस्वी यादव, पटना pic.twitter.com/ShHWR57fCh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 30, 2021
बिहार में जहरीली शराब से 70 से ज्यादा मौतों को लेकर आलोचना झेल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में स्वीकार किया था कि राजधानी पटना में शराब बिक भी रही है औऱ लोग पी भी रहे हैं। शराबबंदी के मामले में नीतीश को अपने ही सहयोगी दल बीजेपी की भी आलोचना का सामना करना पड़ा रहा है।
बिहार भाजपा अध्यक्ष और लोकसभा सांसद संजय जायसवाल ने कुछ समय पहले कहा था कि पुलिस की मिलीभगत के बिना राज्य में अवैध शराब की बिक्री नहीं हो सकती। जायसवाल ने कहा कि निश्चित रूप से इस नीति की समीक्षा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा था कि स्थिति भयावह है। पुलिस प्रशासन की मदद से ही पूर्वी चंपारण क्षेत्र में शराब का कारोबार हो रहा है।
हालांकि नीतीश कुमार ने शराब बंदी को कड़ाई से लागू करने के लिए पिछले हफ्ते कई फैसले भी लिये थे। चौकीदार से लेकर आला अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय की गई थीं। लेकिन इस कड़ाई का असर नहीं दिख रहा है।