G-23 को सोनिया गांधी की नसीहत: मैं ही हूं कांग्रेस की फुलटाइम प्रेसिडेंट; मुझसे मीडिया के जरिए बात न करें – Dainik Bhaskar

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नई दिल्ली12 मिनट पहले

सोनिया गांधी अभी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं। पार्टी के कुछ नेता मांग कर रहे हैं कि चुनाव के जरिए स्थाई अध्यक्ष नियुक्त होना चाहिए।- फाइल फोटो।

दिल्ली में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी ने पार्टी के G-23 नेताओं को साफ संदेश दिया है कि वे ही पार्टी की फुल टाइम प्रेसिडेंट हैं। बता दें G-23 से आशय कांग्रेस के उन 23 नेताओं से है जिन्होंने पिछले साल सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कांग्रेस में बड़े बदलाव और फुल टाइम प्रेसिडेंट की जरूरत बताई थी। सोनिया ने बिना नाम लिए पार्टी नेताओं को ये नसीहत भी दी है कि वे साफगोई की समर्थक हैं, लेकिन उनसे मीडिया के जरिए बात न करें।

सोनिया ने ये भी कहा कि संगठन चुनावों का शेड्यूल तैयार है और वेणुगोपाल जी इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी देंगे। सोनिया ने कहा है कि पूरा संगठन चाहता है कि कांग्रेस फिर से खड़ी हो, लेकिन इसके लिए एकता और पार्टी हितों को सबसे ऊपर रखना जरूरी है। इससे भी ज्यादा जरूरत खुद पर काबू रखने और अनुशासन की है।

बता दें कांग्रेस के G-23 ने पिछले साल सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलावों और प्रभावी नेतृत्व की जरूरत बताई थी। इनमें आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। G-23 के कई नेता सोनिया को याद भी दिला चुके हैं कि जमीनी स्तर पर अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है और कांग्रेस का ग्राफ लगातार नीचे की तरफ जा रहा है। पार्टी को पंजाब से लेकर छत्तीसगढ़ तक संकट का सामना भी करना पड़ा है।

दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में सोनिया गांधी की अध्यक्षता में वर्किंग कमेटी की मीटिंग चल रही है।

राज्यों के चुनावों पर भी चर्चा होगी
आज होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में अनुशासन से जुड़े मुद्दों पर तो चर्चा के आसार नहीं हैं, लेकिन राज्यों में अगले साल होने वाले चुनावों की रणनीति पर बात जरूर होगी। साथ ही लखीमपुर खीरी की घटना पर सरकार को घेरने के लिए आगे की स्ट्रैटजी पर भी बात हो सकती है, क्योंकि UP में भी अगले साल चुनाव होने हैं।

अंदरूनी कलह से निपटना बड़ी चुनौती
कांग्रेस को कई राज्यों में अंदरूनी कलह के चलते संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसी के चलते बीते एक साल में कई बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं या दूरी बना चुके हैं। राहुल गांधी के करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले साल कांग्रेस छोड़कर BJP में चले गए, तो इस साल जितिन प्रसाद BJP में शामिल हो गए।

उधर राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट के बीच खींचतान जारी है। तो पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी विवाद थमे नहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस के सामने अंदरूनी कलह से निपटना एक बड़ी चुनौती है।

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