SCO समिट में मोदी की नसीहत: प्रधानमंत्री ने कहा- बढ़ती कट्टरता क्षेत्रीय समस्याओं की मुख्य वजह, अफगानिस्तान… – Dainik Bhaskar

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नई दिल्ली4 मिनट पहले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशाम्बे में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट को शुक्रवार को वर्चुअली संबोधित किया। मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और चीन के राष्ट्रपति शी-जिनपिंग की मौजूदगी में कट्टरपंथ पर तीखा हमला बोला। मोदी ने कहा, ‘मेरा मानना है इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और भरोसे से संबंधित हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ कट्टरपंथ है। अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है। इस मुद्दे पर SCO को पहल कर कार्य करना चाहिए।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र मॉडरेट और प्रगतिशील संस्कृति और मूल्यों का गढ़ रहा है। सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपीं और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं। इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं। मध्य एशिया की इस ऐतिहासिक धरोहर के आधार पर SCO को कट्टरपंथ और चरमपंथ से लड़ने का साझा टेम्पलेट डेवलप करना चाहिए।

मोदी ने ये भी कहा कि भारत में और SCO के लगभग सभी देशों में इस्लाम से जुड़ी मॉडरेट, टॉलरेंट और इन्क्लूसिव संस्थाएं और परंपराएं हैं। SCO को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। SCO की बीसवीं वर्षगांठ का जिक्र करते हुए मोदी बोले कि ये खुशी की बात है कि हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं। मैं ईरान का स्वागत करता हूं। तीनों नए डायलॉग पार्टनर सऊदी अरब, इजिप्ट और कतर का भी स्वागत करता हूं।

SCO समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान फिजिकली मौजूद हैं।

विदेश मंत्री एस जयशंकर SCO समिट में फिजीकली मौजूद
SCO की बैठक में शामिल होने के विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही दुशांबे पहुंच चुके थे। वे इस मीटिंग में फिजिकली शामिल हैं। SCO के सदस्य देशों की ये 21वीं बैठक है जिसकी अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान कर रहे हैं। बता दें शंघाई सहयोग संगठन अपनी स्थापना की 20वीं वर्षगांठ भी मना रहा है। 15 जून 2001 को इस संगठन की स्थापना हुई थी और 2017 में भारत इसका पूर्णकालिक सदस्य बना था।

एस जयशंकर ने की चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात
SCO की बैठक से अलग विदेश मंत्री एस जयशंकर गुरुवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर चुके हैं। इसके बाद एस जयशंकर ने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि इस मुलाकात में भारत-चीन बॉर्डर पर डिसएंगेजमेंट पर चर्चा हुई और जोर दिया गया कि सीमा पर शांति के लिए डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना जरूरी है। साथ ही वैश्विक विकास पर भी चर्चा की गई और चीन से कहा कि वह भारत के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से न देखे।

मोदी से संबोधन से पहले चीन-पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने बैठक की
SCO में मोदी के संबोधन से पहले चीन, ईरान, पाकिस्तान और रूस के विदेश मंत्रियों ने मुलाकात की थी। चीन, ईरान, पाकिस्तान और रूस के विदेश मंत्रियों ने मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि रूसी विदेश मंत्री सर्गे लेवरोव के साथ चर्चा में व्यापार, निवेश, ऊर्जा और रक्षा से जुड़े मुद्दों पर बात हुई है।

चीन के रुख पर भी रहेगी नजर
SCO समिट में चीन के रुख पर भी नजर रहेगी, क्योंकि एक दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका और ब्रिटेन के साथ परमाणु-ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां बनाने के लिए सुरक्षा समूह बनाया है। इस समझौते से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को कंट्रोल किया जा सकेगा। ऑस्ट्रेलियाई PM स्कॉट मॉरिसन ने ब्रिटिश PM बोरिस जॉनसन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ संयुक्त रूप से गुरुवार को इसका ऐलान किया। इसके बाद चीन ने कहा था कि इन देशों को शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर आना चाहिए।

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