गुजरात में पटेल सरकार का कैबिनेट विस्तार, 5 कैबिनेट मंत्रियों ने एक साथ ली शपथ – News18 हिंदी

गांधीनगर. गुजरात (Gujarat) में भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) के मंत्रिमंडल विस्तार के क्रम में मंत्रियों ने शपथ ली. गुजरात विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी और भाजपा की प्रदेश इकाई के पूर्व अध्यक्ष जीतू वघानी समेत 24 मंत्रियों ने बृहस्पतिवार को यहां गुजरात सरकार के मंत्रियों के तौर पर शपथ ग्रहण की. राज्यपाल देवव्रत आचार्य मंत्रियों को शपथ दिला रहे हैं. इससे पहले 5 कैबिनेट मंत्रियों ने एक साथ शपथ ली.
पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व वाले पूर्ववर्ती मंत्रिमंडल के किसी मंत्री को नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 10 कैबिनेट मंत्रियों और 14 राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई, जिनमें पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री शामिल हैं. राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में सोमवार को शपथ ग्रहण करने वाले भूपेंद्र पटेल राजभवन में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान रूपाणी के साथ मौजूद थे. रूपाणी के शनिवार को पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद नए मंत्रिमंडल का गठन किया गया है.

शपथ लेने वाले मंत्रियों में राजेंद्र त्रिवेदी, जीतू वघानी, ऋषिकेश पटेल, पूर्णेश मोदी, राघवजी पटेल ने मंत्री के तौर पर शपथ ली. वहीं, कनुभाई देसाई, किरीट सिंह राणा, नरेश पटेल, प्रदीप परमार, अर्जुन सिंह चौहान ने भी मंत्री पद की शपथ ली. बता दें कि ये शपथ ग्रहण कार्यक्रम बुधवार को होना था, लेकिन कुछ कारणों की वजह से टल गया था. शपथ ग्रहण के बाद शाम 4.30 बजे नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कैबिनेट की पहली बैठक होगी.

इससे पहले बीजेपी की गुजरात इकाई के अध्यक्ष सीआर पाटिल (CR Patil) ने बुधवार सुबह कहा था कि नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण ‘दोपहर 2 और 4 बजे के बीच लगभग फाइनल है.’ खबर के अनुसार, बुधवार को दोपहर 3:30 बजे तक लिंबड़ी विधायक किरितसिंह राणा के समर्थक सुरेंद्रनगर से राजभवन पहुंच चुके थे. उन्हें खबर मिली थी कि उनके विधायक नए मंत्रियों में शामिल होंगे. हालांकि, तब तक आयोजन स्थल से कार्यक्रम के पोस्टर हटा लिए गए थे.

कुछ ही मिनटों बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से ट्वीट किया गया कि नए कैबिनेट का शपथ ग्रहण गुरुवार को 1:30 बजे होगा. इस पोस्ट को डिलीट कर दिया और बाद में राजभवन के आयोजन स्थल होने की जानकारी के साथ दोबारा जारी किया गया.

विजय रुपाणी सरकार में मंत्री रहे एक विधायक ने कहा कि कुछ मंत्रियों को जब यह पता चला कि वे नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हैं, तो उन्होंने विरोध किया. पूर्व मंत्री ने कहा, ‘सभी वरिष्ठ मंत्रियों को हटाया जाना था. नए काउंसिल में एक को भी दोबारा नहीं लिया जाना था. इसके चलते हमें अपनी आवाज उठानी पड़ी.’ रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि पाटिल निकाय चुनावों में टिकट वितरण में सख्त मानदंड तय किए हैं. इसमें यह भी शामिल है कि जो उम्मीदवार तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा. ‘मौजूदा विधायकों और मंत्रियों को डर है कि इससे उनका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा.’

रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी के एक शीर्ष सूत्र ने कहा, ‘केंद्र और राज्य के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार दोपहर को बाहर जा रहे सभी मंत्रियों को एक-एक कर बुलाया था और अलग-अलग बैठक की थी. बताया गया कि उन्हें मंत्रिमंडल में फॉर्मूला का हिस्सा होने के चलते जगह नहीं दी जाएगी.’ सूत्र ने कहा कि बुधवार को राज्य मंत्रियों को तलब किया गया और उन्हें भी यही चीज कही गई. गांधीनगर से एक शीर्ष नेता ने कहा कि तारीख में बदलाव इसलिए हुआ था, क्योंकि ‘महूर्त सही नही था.’ जब उनसे नाराज नेताओं को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘अगर वे हैं भी, तो क्या इसे सहन किया जाएगा?’

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पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि किसी की भी तरफ से कोई विशेष विरोध है. और ऐसे मौके पर जब चुनाव लगभग एक साल में होने वाले हैं, तो विरोध करना राजनीतिक रूप से चतुराई नहीं है. कार्यक्रम का टलना किसी विरोध के चलते तो बिल्कुल नहीं था.’ एक अन्य पार्टी नेता ने कहा कि कुछ विधायकों ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए परिवार के पहुंचने के चलते समय की मांग की थी. यह कार्यक्रम टालने का एक कारण हो सकता है. एक पदाधिकारी ने इसे नेतृत्व को लगा था कि नामों का चुनाव दोपहर तक पूरा हो जाएगा, लेकिन जाति और धार्मिक संतुलन की बात को भी ध्यान में रखना जरूरी थी, जिसमें समय लगता है.

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