अफगानिस्तान पर UNSC की आपात बैठक, अमेरिका ने तालिबान को चेताया, जानें भारत क्या बोला? – Navbharat Times

न्यूयॉर्क
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बने हालात को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपात बैठक जारी है। इस बैठक की अध्यक्षता भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर कर रहे हैं। बैठक में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने तालिबान से शांति बनाए रखने की अपील की। वहीं अमेरिका ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसके नागरिकों या मिशन पर कोई भी खतरा हुआ तो सैन्य कार्रवाई की जाएगी।

यूएन महासचिव ने क्या कहा?
यूएन चीफ गुटेरेस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना चाहिए कि अफगानिस्तान फिर कभी आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह न बन सके। साथ ही उन्होंने तालिबान सहित सभी पक्षों से शांति बरतने की भी अपील की।

अमेरिकी को खरोंच भी आई तो छोड़ेंगे नहीं
यूएनएससी की बैठक में अमेरिकी प्रतिनिधि ने साफ शब्दों में कहा कि सभी अफगान नागरिक और अंतरराष्ट्रीय नागरिक जो देश छोड़ना चाहते हैं उन्हें सुरक्षित रूप से ऐसा करने की अनुमति देनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति बाइडन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी कार्रवाई जो अमेरिकी कर्मियों या हमारे मिशन को खतरे में डालती है तो उसके खिलाफ त्वरित और मजबूत सैन्य प्रतिक्रिया दी जाएगी।

भारत बोला- अफगानिस्तान में भय का माहौल
भारत की ओर से बैठक में शामिल हुए स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान के एक पड़ोसी के रूप में, वहां के लोगों के दोस्त के रूप में देश में मौजूदा स्थिति भारत में हमारे लिए बहुत चिंता का विषय है। अफगान पुरुष, महिलाएं और बच्चे लगातार भय की स्थिति में जी रहे हैं। वर्तमान संकट सामने आने से पहले, भारत की ओर से अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से प्रत्येक में विकास परियोजनाएं चल रही थीं। हम संबंधित पक्षों से कानून और व्यवस्था बनाए रखने, संयुक्त राष्ट्र के राजनयिक और कांसुलर कर्मियों सहित सभी संबंधितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं।

काबुल एयरपोर्ट के हालात दुर्भाग्यपूर्ण: भारत
उन्होंने यह भी कहा कि हमने काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण दृश्य देखा है जिससे लोगों में व्यापक दहशत है। महिलाएं और बच्चे परेशान हैं। हवाई अड्डे सहित शहर से गोलीबारी की घटनाएं सामने आई हैं। यदि आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में शून्य-सहिष्णुता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी समूहों द्वारा किसी अन्य देश को धमकाने या हमला करने के लिए नहीं किया जाए। इससे अफगानिस्तान के पड़ोसी देश और क्षेत्र सुरक्षित महसूस करेंगे।

अफगानिस्तान के दूत ने बयां किया दर्द
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में शामिल हुए अफगानिस्तान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि गुलाम एम इसाकजई ने अपने देश के हालात बयां किए। उन्होंने कहा कि आज मैं अफगानिस्तान के लाखों लोगों की ओर से बोल रहा हूं। मैं उन लाखों अफगान लड़कियों और महिलाओं की बात कर रहा हूं जो स्कूल जाने और राजनीतिक-आर्थिक और सामाजिक जीवन में भाग लेने की स्वतंत्रता खोने वाली हैं।

तालिबान खोज रहा वांछित लोग: अफगान दूत
उन्होंने यह भी बताया कि कि तालिबान ने पहले ही कुछ वांछित लोगों की सूची बनाकर उनके घरों की तलाशी शुरू कर दी है। तालिबान दोहा और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने बयानों में किए गए अपने वादों और प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं कर रहा है। निवासी पूर्ण भय में जी रहे हैं।

फ्रांस बोला- युद्धविराम और कानूनों का सम्मान हो
बैठक में शामिल फ्रांसीसी दूत ने कहा कि हम तत्काल युद्धविराम और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करने का आह्वान कर रहे हैं। महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। दुर्व्यवहार करने वालों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। फ्रांस अफगान लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।

Related posts