अफगानिस्तान पर वेट एंड वॉच की भूमिका में भारत, PAK पर भरोसा अमेरिका को ले डूबाः अनिल त्रिगुण्यात – News18 हिंदी

नई दिल्ली. अफगानिस्तान (Afghanistan) की स्थिति बदल चुकी है. काबुल में तालिबान (Taliban) का राज है और भारत सहित तमाम देश अपने लोगों को सुरक्षित निकालने में जुटे हुए हैं. ऐसे में भारत की रणनीति अब क्या होगी इस बारे में पूर्व राजनयिक और अफगानिस्तान मामलों के जानकार अनिल त्रिगुण्यात ने कहा कि भारत सरकार अभी वेट एंड वॉच की भूमिका में है. भारत ने हमेशा से अफगानिस्तान की मदद की है. काबुल के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंध रहे हैं. अफगानिस्तान, भारत का ऐतिहासिक साझेदार रहा है. साथ ही केंद्र सरकार ने कहा है कि अफगानिस्तान के विकास के लिए जो हो सकेगा, किया जाएगा.

अनिल त्रिगुण्यात ने कहा कि भारत सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है, वहां भी भारत की भूमिका होगी, लेकिन अभी वेट एंड वॉच की स्थिति है. भारत का कहना है कि समावेशी सरकार होनी चाहिए यानी जो लोग मुख्य साझेदार हैं, वे लोग सरकार में शामिल होने चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत की मुख्य चिंता है कि पाकिस्तान के माध्यम से भारत में आतंकवाद ना बढ़े.

‘भारत की तालिबान से लड़ाई नहीं’
उन्होंने कहा कि तालिबान की भारत से कोई लड़ाई नहीं है, ना ही भारत की सीधे तौर पर तालिबान से कोई लड़ाई है. भारत ने अब तक अपने बयानों में भी तालिबान का नाम नहीं लिया है. भारत ने सभी साझेदारों से बात की है. तालिबान पर आरोप भी नहीं लगाया है. पाकिस्तान, चीन और रूस तालिबान के साथ पहले से संपर्क में हैं. चीन की नजर अफगानिस्तान की खनिज संपदा पर है.

‘पहले और अब के तालिबान में है फर्क’
पूर्व राजनयिक ने कहा, “तालिबान कहता है कि अपनी जमीन से आतंकवाद नहीं बढ़ने देंगे. वहीं तालिबान की घरेलू नीति के बारे में सबको पता है कि क्या होगा. शरिया को लागू करेंगे, लेकिन 20 साल पहले के और अभी के तालिबान के फर्क है. तालिबान के लोग भी बहुत स्मार्ट हो गए हैं, इसलिए हिंदुस्तान के मीडिया से भी उनके प्रवक्ता बात कर रहे हैं. तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा बने रहना चाहता है और तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मदद भी चाहिए.”

उन्होंने कहा, “भारत को मानना होगा कि तालिबान एक सच्चाई है. सरकार को देखना होगा कि उनके साथ कैसे संबंध बनाए जाएं. तत्काल रूप से मित्रतापूर्ण व्यवहार हो, इसकी उम्मीद भी नहीं कर सकते. देखना होगा कि तालिबान हमारे अंदरूनी मसलों पर दखल ना दें और जो आतंकवादी संगठन भारत में सक्रिय हैं उनको हवा न दें.”

‘तालिबान ने भारत के निवेश पर हमला नहीं किया’
अनिल त्रिगुण्यात ने कहा, ‘तालिबान ने हमेशा से भारत के सहयोग को सराहा है. तालिबान ने कभी नहीं कहा कि भारत का निवेश हमें नहीं चाहिए और इतने सालों की लड़ाई में तालिबान ने कभी भी भारत के 400 फीसदी निवेश पर सीधे हमला नहीं किया. दरअसल भारत को खतरा पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों से है. तालिबान ने कभी भी भारतीय हितों को निशाना नहीं बनाया.’

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‘पाकिस्तान पर भरोसा अमेरिका को ले डूबा’
अफगानिस्तान में अमेरिकी असफलता के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “जो बाइडन प्रशासन का कहना बिल्कुल सही है कि सारी जिंदगी अफगानिस्तान में नहीं रह सकते हैं. अमेरिका आतंकवाद को काउंटर करने के लिए अफगानिस्तान आया था, ना कि राष्ट्र निर्माण के लिए. फिर भी अमेरिका की रणनीति बिल्कुल गलत रही है. यह अमेरिकी खुफिया विभाग की असफलता थी और यह चिंता का विषय है. मुझे लगता है कि अमेरिका ने पाकिस्तान की खुफिया जानकारी पर ज्यादा भरोसा किया.”

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