हाइलाइट्स
- पिछले साल नवंबर-दिसंबर से ही हुई थी डेल्टा की शुरुआत, मगर असर था बेहद कम
- जीनोम सिक्वेसिंग से साफ हुई संक्रमण की तस्वीर , अप्रैल से जुलाई तक पकड़ ली पीक
- दिल्ली में इस वेरिएंट से नई लहर की आशंका कम, इससे भी खतरनाक वेरिएंट आए तो चिंता
विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
दिल्ली में जीनोम सीक्वेंसिंग के बाद यह साफ हो गया है कि यहां कोरोना की पिछली लहर की वजह डेल्टा वेरिएंट ही था। 80 पर्सेंट से भी ज्यादा मामलों में संक्रमण की वजह यही वेरिएंट था। हालांकि, दिल्ली में डेल्टा वेरिएंट की शुरुआत पिछले साल नवंबर-दिसंबर से ही हो चुकी थी, लेकिन उस समय इसका असर बेहद कम था। जनवरी में यह बढ़कर 20 पर्सेंट, मार्च में 30 पर्सेंट हो गया। यह बढ़ता ही चला गया और अप्रैल से लेकर जुलाई के बीच लगभग 80 से 90 पर्सेंट मामलों में डेल्टा ही मिला।
दिल्ली में हुए जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के बारे में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि देश की दूसरी और दिल्ली की चौथी कोरोना लहर में भी 80 पर्सेंट से ज्यादा डेल्टा वेरिएंट के केस सामने आए थे। हमने उस समय के और उसके बाद के सैंपलों की सीक्वेंसिंग करवाई है, दोनों में करीब 80 पर्सेंट में डेल्टा वेरिएंट ही मिले हैं। पहले सैंपल आईसीएमआर के पास जाते थे, उन्होंने भी डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि की थी। इसके अलावा दूसरी लहर के दौरान भी डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई थी।
जैन ने कहा कि ताजा मामलों में भी 80 पर्सेंट से ज्यादा डेल्टा वेरिएंट के ही सामने आ रहे हैं। भारत और दिल्ली में डेल्टा वेरिएंट आ चुका है। जिन देशों में ये अब पहुंच रहा है, उनके लिए यह चिंताजनक है। आईएलबीएस अस्पताल में 380 सैंपल की जांच की गई। इनमें से अधिकांश सैंपल पुराने थे, क्योंकि अभी दिल्ली में कोविड के मामले बहुत कम आ रहे हैं। नवंबर से लेकर जून व जुलाई के पुराने सैंपल थे। डॉक्टर ने बताया कि नवंबर-दिसंबर के सैंपल में भी डेल्टा वेरिएंट मिले हैं, लेकिन उस समय बहुत कम था। अप्रैल, मई, जून व जुलाई में तो लगभग 100 पर्सेंट केस में डेल्टा ही आ रहा था।
बाकी वेरिएंट मिले, मगर वे चिंताजनक नहीं
डॉक्टर ने कहा कि ट्रैकिंग के लिए ही जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है। अभी भी ट्रैकिंग जारी है, अगर वेरिएंट में कोई बदलाव होता है तो उसका पता चल जाएगा और समय पर इससे बचाव के तरीके अपनाए जा सकते हैं। दिल्ली में डेल्टा और अल्फा के अलावा भी कई वेरिएंट मिले हैं, हालांकि वे वेरिएंट चिंताजनक नहीं हैं। दिल्ली में ओवरऑल 6,132 सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की गई। इसमें से 1,820 डेल्टा और 951 अल्फा वेरिएंट थे। बाकी सैंपल में अन्य वेरिएंट थे। दिल्ली में फिलहाल डेल्टा प्लस का कोई केस नहीं मिला है।
अप्रैल में लगभग 53 पर्सेंट डेल्टा, 12 पर्सेंट अल्फा और बाकी अन्य वेरिएंट मिले, जिसका पर्सेंटेज काफी ज्यादा है। मई में डेल्टा 81 पर्सेंट, अल्फा 3 पर्सेंट और बाकी अन्य वेरिएंट थे। जून में 88 पर्सेंट डेल्टा, 2 पर्सेंट अल्फा और 9 पर्सेंट अन्य वेरिएंट। जुलाई में 83.3 पर्सेंट डेल्टा था और बाकी 16.7 अन्य थे। अल्फा पूरी तरह से खत्म हो चुका था। यानी दिल्ली में अभी भी जो मामले आ रहे हैं, उसमें अधिकांश डेल्टा ही हैं। इसी आधार पर एक्सपर्ट्स की राय है कि अगर पूरी दुनिया में नई लहर की वजह डेल्टा है और यह दिल्ली में पहले ही आ चुका है, तो फिलहाल नई लहर की आशंका कम है। लेकिन, एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हुए कहते हैं कि अगर इसमें कोई बदलाव हो गया और वह डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक हो, तभी दिल्ली में नई लहर आने का खतरा हो सकता है।