कश्मीरी पंडितों के खास मंदिर में दर्शन, हजरतबल में भी हाजिरी…J&K में चुनाव से पहले क्या साधने पहुंचे राहुल गांधी? – Navbharat Times

हाइलाइट्स

  • कश्मीर घाटी के दौरे पर राहुल गांधी ने कई धार्मिक स्थलों में किया दर्शन
  • गांदरबल में क्षीर भवानी मंदिर में लगाई हाजिरी, श्रीनगर में हजरतबल भी जाएंगे राहुल
  • अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर का दौरा अहम

श्रीनगर
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी आर्टिकल 370 के अंत के बाद पहली बार कश्मीर के दौरे पर पहुंचे हैं। दिल्ली में तुगलक लेन के अपने आवास से श्रीनगर की गुप्कार रोड तक के अपने इस सफर में राहुल गांधी तमाम कार्यक्रमों में शरीक हो रहे हैं। भले ही इस कार्यक्रम को किसी खास यात्रा की कवरेज ना मिल सकी हो, लेकिन राहुल के इस सफर के सियासी मायने काफी अहम हैं।

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कश्मीर का ये दौरा ऐसे वक्त में किया है, जबकि राज्य में परिसीमन निर्धारण की प्रक्रिया जारी है और अगले साल विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इन स्थितियों के बीच जम्मू-कश्मीर में पार्टी संगठन की नब्ज टटोलने और आपसी गुटबाजी का अंत करने के लिए राहुल यहां पहुंचे हैं।

इससे पहले आर्टिकल 370 के अंत के बाद राहुल गांधी सोमवार को पहली बार कश्मीर घाटी के दौरे पर पहुंचे। 2019 में आर्टिकल 370 के अंत के बाद 24 अगस्त को वह दिल्ली से श्रीनगर जाना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली। राहुल का वो दौरा जिस रोज प्रस्तावित था, उसके 20 दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के सभी प्रावधान हटाए गए थे। इस घटना के दो साल बाद अब डल के किनारों पर सियासत का रुख बदल गया है। राहुल गांधी इन्हीं परीस्थितियों में कश्मीर पहुंचे हैं, जिसे सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर में राहुल का दौरा विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस के ‘फर्स्ट मूव्ड स्टेप’ के रूप में देखा जा रहा है। राहुल गांधी ने अपने दौरे का जो स्वरूप रखा है, वह अहम है। राहुल कश्मीर पहुंचने के बाद अपनी पार्टी की हाइलेवल मीटिंग कर चुके हैं। इस मीटिंग में राहुल के अलावा कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर, पूर्व मंत्री रमण भल्ला, NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन समेत कई नेता शामिल हुए। हालांकि कांग्रेस के कोटे से कभी सीएम रहे गुलाम नबी आजाद ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया।

कश्मीरी पंडितों के सबसे महत्वपूर्ण मंदिर में गए राहुल
दौरे के दूसरे दिन राहुल गांधी घाटी में कश्मीरी पंडितों की सबसे महत्वपूर्ण देवस्थान क्षीर भवानी मंदिर पहुंचे। श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर तुलमुला गांव में स्थित इस मंदिर को घाटी के हिंदुओं खासकर कश्मीरी पंडितों की आस्था के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है। साल 1912 में इस मंदिर का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने शुरू कराया था, जिसे बाद में डोगरा वंश के प्रमुख राजा हरि सिंह ने पूरा कराया। कश्मीर के इस खास मंदिर में तमाम स्थानीय राजनेता दर्शन के लिए आते रहे हैं। हालांकि एक लंबे वक्त के बाद यहां पर कोई राष्ट्रीय नेता दर्शन के लिए पहुंचा है, जिसे एक बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

हजरतबल से मुस्लिमों को साधने की कोशिश
ऐसा नहीं है कि राहुल ने इस बार सिर्फ मंदिर दर्शन की ही योजना बनाई है। क्षीर भवानी मंदिर के अलावा राहुल गांधी श्रीनगर की हजरतबल दरगाह भी पहुंचे हैं। घाटी में हजरतबल को मुस्लिम समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण स्थान के रूप में माना जाता है। हजरतबल को शाब्दिक रूप में जानें तो कश्मीरी भाषा में बल का अर्थ ‘स्थान’ होता है। हजरतबल को पैगंबर हजरत मोहम्मद के स्थान के रूप में जाना जाता है और हर रोज यहां मुस्लिम समुदाय से जुड़े तमाम लोग नमाज के लिए आते हैं। माना जा रहा है कि हजरतबल में हाजिरी लगाकर राहुल ने यहां के मुस्लिम समुदाय के बीच भी विश्वास पैदा करने की कोशिश की है। इससे पहले राहुल गांधी साल 2011 में भी हजरतबल आए थे। अपनी इस यात्रा में राहुल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि मैं आपके दर्द को समझता हूं क्योंकि मैं भी एक कश्मीरी हूं।



2015 में कश्मीर यात्रा के दौरान हजरतबल दरगाह में राहुल गांधी

आंतरिक गुटबाजी खत्म करने की कोशिश
राहुल इस दौरे पर कांग्रेस के कार्यालय का उद्घाटन करने वाले हैं। इसके अलावा वो गुलाम अहमद मीर (कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष) के बेटे के निकाह में भी हिस्सा लेंगे। कश्मीर में राजनीति को करीब से समझने वाले लोग कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद की नाराजगी के बीच जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस पार्टी के भीतर आंतरिक मतभेद की स्थितियां हैं। आजाद उन नेताओं में रहे हैं, जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व परिवर्तन के लिए बीते महीनों एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी के मीडिया में आने पर राहुल गांधी ने ही सबसे अधिक नाराजगी जताई थी।

कांग्रेस से आजाद की दूरी की खबरें?
आजाद के राज्यसभा से जाने के बाद ये माना जा रहा था कि वो जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की कमान संभालेंगे। हालांकि दिल्ली से लौटने के बाद आजाद हाल में सक्रिय नहीं दिख रहे। ऐसे में ये माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले संभावित चुनाव से पहले राहुल ने जम्मू-कश्मीर जाकर हर गुट को एक साथ काम कराने की कोशिश की है। इसके अलावा राहुल ने गुलाम अहमद मीर को अपना विश्वासपात्र बताने की भी कोशिश की है, जिससे कि कश्मीर में इसका सियासी लाभ मिल सके।

कभी खुद किंग तो हमेशा किंग मेकर रही कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी को एक जमाने में जम्मू-कश्मीर की सियासत में सबसे महत्वपूर्ण दल के रूप में देखा जाता था। हालांकि इतिहास को देखें तो 1965 राज्य में मुख्यमंत्री पद की व्यवस्था लागू होने के बाद कांग्रेस के समर्थन से ही तमाम मुख्यमंत्रियों ने शपथ ली। राज्य के प्रमुख क्षेत्रीय दल पीपल्स डेमॉक्रैटिक पार्टी का गठन करने वाले मुफ्ती मोहम्मद सईद भी एक जमाने में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने और बाद में सीएम और गृहमंत्री तक का शपथ तय किया। वहीं नैशनल कॉन्फ्रेंस की तीन पीढ़ियों के नेता शेख अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को भी सीएम बनाने में प्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस की ही भूमिका रही।

क्षीर भवानी मंदिर में दर्शन के दौरान राहुल गांधी


क्षीर भवानी मंदिर में दर्शन के दौरान राहुल गांधी

Related posts