नीतीश कुमार ने लल्लन सिंह को बनाया जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष – BBC हिंदी

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बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने शनिवार को दिल्ली में आयोजित हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शीर्ष जदयू नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह को पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुन लिया है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया है.

जनता दल यूनाइटेड ने ट्वीट करके लिखा है, “जदयू के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर जदयू परिवार की ओर से ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं.”

जदयू नेता संजय सिंह ने कहा है, “मैं नीतीश कुमार के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ कि उन्होंने लल्लन सिंह जी को पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. इससे पार्टी को लाभ होगा. ये पार्टी के भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत है. इसे जाति के मसले से मत जोड़िए. वह एक वरिष्ठ संसद सदस्य हैं.”

मुंगेर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को नीतीश कुमार के सबसे ख़ास लोगों में गिना जाता है.

साल 1980 के दौर से नीतीश कुमार के साथ रहे लल्लन सिंह हाल ही में एलजेपी में दरार पड़ते समय चर्चा में आए थे.

इससे पहले लोजपा के एकमात्र विधायक को जदयू में लेकर आने का श्रेय भी ललन सिंह को ही दिया जाता है.

जदयू को बिहार में पिछड़ी जाति कुर्मी की पार्टी कहा जाता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसी जाति से हैं. हालाँकि जदयू को बिहार में सवर्ण जातियाँ भी वोट करती रही हैं.

लालू प्रसाद यादव के एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को नीतीश कुमार ने ग़ैर-यादव ओबीसी और सवर्ण जातियों को गठजोड़ के दम पर भी चुनौती दी थी.

लल्लन सिंह भूमिहार जाति से हैं. इससे पहले आरसीपी सिंह के हाथ में पार्टी की कमान थी लेकिन उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय इस्पात मंत्री बनाया गया है. आरसीपी सिंह भी कुर्मी जाति से ही ताल्लुक रखते हैं.

नीतीश कुमार

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लल्लन सिंह को सांत्वना सम्मान?

जदयू के सर्वोच्च नेता नीतीश कुमार ने चौथी बार बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद पार्टी की कमान आरसीपी सिंह को सौंप दी थी.

इसके बाद आरसीपी सिंह को ही मंत्रिमंडल में फेरबदल से पहले केंद्र सरकार से मोल-भाव करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.

केंद्र सरकार से मोल-भाव की प्रक्रिया में पार्टी जहाँ “आनुपातिक प्रतिनिधित्व” की बात करते हुए कम से कम दो मंत्री पदों के लिए संघर्ष कर रही थी.

वहाँ, उसे मात्र एक मंत्री पद से संतोष करना पड़ा और ये मंत्री पद भी आरसीपी सिंह को मिला.

इससे पहले लल्लन सिंह के भी केंद्र में मंत्री बनने के कयास लगाए जा रहे थे.

लेकिन सिर्फ़ एक मंत्री पद मिलने से लल्लन सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने की संभावनाएं फ़िलहाल के लिए ख़त्म हो गई हैं.

ऐसे में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है.

लेकिन क्या इसे लल्लन सिंह के राजनीतिक प्रमोशन के रूप में देखा जाना चाहिए?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो ललन सिंह के लिए ये एक सांत्वना पुरस्कार जैसा ही है.

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