Vijay Mallya News: विजय माल्या को ब्रिटिश कोर्ट ने दिवालिया घोषित किया, भारतीय बैंकों ने जीता केस – Navbharat Times

हाइलाइट्स

  • ब्रिटिश हाईकोर्ट ने विजय माल्या को दिवालिया घोषित किया
  • अब माल्या को कर्ज देने वाले बैंक उसकी संपत्तियों को कर सकेंगे जब्त
  • माल्या के शेयरों को बेचकर वसूली कर रहे हैं भारतीय बैंक

लंदन
भगोड़े भारतीय कारोबारी विजय माल्या को लंदन हाईकोर्ट ने सोमवार को दिवालिया घोषित कर दिया। इस फैसले के बाद भारतीय बैंक विजय माल्या की संपत्तियों पर आसानी से कब्जा कर सकेंगी। माल्या के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में भारतीय बैंकों के एक संघ ने ब्रिटिश कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

माल्या के पास अपील का एक मौका
इस याचिका में माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए लोन की वसूली के लिए माल्या को दिवालिया घोषित करने की मांग की गई थी। माल्या के पास लंदन हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए अभी एक मौका बाकी है। माना जा रहा है कि माल्या के वकील जल्द ही इस फैसले को चुनौती देने के लिए याचिका दाखिल करेंगे।

माल्या के शेयरों से बैंकों को मिले 792.12 करोड़
जुलाई में ही विजय माल्या को कर्ज देने वाले बैंकों ने उनके शेयर बेचकर 792.12 करोड़ रुपये हासिल किए थे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई वाले बैंकों के कंसोर्शियम की तरफ से डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल ने माल्या के शेयर बेचे गए थे। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इन शेयरों को जब्त कर लिया था। उसके बैंकों के पैसा रिकवर करने के लिए ऐसा किया था। ईडी ने हाल में डीआरटी को इन शेयरों को बेचने की इजाजत दी थी।

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माल्या ने क्यों लिया था बैंकों से भारी भरकम कर्ज?
माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस (Kingfisher Airlines) की सेवाएं जारी रखने के लिए एसबीआई और दूसरे बैंकों से 9,990 रुपये का लोन लिया था। फिर किंगफिशर की हालत बिगड़ने के बाद कंपनी डूब गई थी। माल्या यह पैसा बैंकों को नहीं लौटा सका। उसने बैंकों से लोन के रूप में मिले पैसे का इस्तेमाल लग्जरी एयरक्राफ्ट और दूसरी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए भी किया था।

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भारत में तीन केस लड़ रहा है माल्या
भारत में तीन केस माल्या लड़ रहा है- माल्या का कॉम्प्रोमाइज सेटलमेंट ऑफर जो भारत के सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है, जजमेंट डेट पर लगाए जा रहे 11.5 फीसदी ब्याज को माल्या की चुनौती और भगोड़ा आर्थिक अपराधी कार्यवाही को चुनौती। मार्शल ने आगे कहा कि भारत में वकीलों को निर्देश देने की अनुमति नहीं देना और फिर शिकायत करना कि भारत में इन मुकदमों में प्रगति नहीं हुई है, यह ठीक नहीं है। भारत में प्रोसिडिंग्स आगे नहीं बढ़ने के पीछे वजह फंड की कमी और महामारी है।

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