Conversion Racket News: प्रियंका से फातिमा…चंद्रकला को बनाया कनीज! दिल्ली से लखनऊ तक फैला है धर्मांतरण रैकेट का जाल – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • देश में फैले कथित धर्मांतरण रैकेट का लखनऊ कनेक्शन आया सामने
  • लखनऊ की दो युवतियों का भी इसी रैकेट ने कराया था धर्म परिवर्तन
  • प्रियंका और चंद्रकला नाम की युवतियां अब परिवार से अलग रहती हैं
  • उमर का एक वीडियो भी आया सामने, विदेश यात्राओं की कर रहा बात

लखनऊ
देशभर में धर्मांतरण का रेकैट फैलाने वाले उमर गौतम और जहांगीर का लखनऊ कनेक्शन भी बेनकाब हुआ है। पता चला है कि लखनऊ की प्रियंका सेन और चंद्रकला यादव का भी धर्म परिवर्तन इसी रैकेट ने करवाया था। इसके बाद वे अब धर्म बदलकर परिवार से अलग रह रही हैं। इनमें से प्रियंका अलीगंज के मेंहदी टोला की रहने वाली है, जबकि चंद्रकला का परिवार तेलीबाग में रहता है।

2010 तक दिल्ली रहता था प्रियंका का परिवार
प्रियंका मुस्लिम बनने के बाद फातिमा मोहम्मद फारूक के नाम से जानी जाती है। जहांगीर के यहां से एटीएस ने जो दस्तावेज बरामद किए हैं, उसमें प्रियंका का पता 532 केएनए….336 मेंहदी टोला अलीगंज लिखा हुआ है। प्रियंका के मेंहदी टोला स्थित घर में उसकी मां माया सेन और भाई रहता है। प्रियंका अब कहां और किस हाल में है इस बात का पता प्रियंका के परिवार वालों को नहीं है। मां माया सेन ने बताया कि वर्ष 2010 तक वह लोग दिल्ली में पूरे परिवार संग रहते थे। उनके पति भगवती सेन की करंट लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद वह अपने बेटे नितिन और बेटी प्रियंका के साथ अलीगंज के मेहंदी टोला में अपने पुश्तैनी मकान में आकर रहने लगी। बेटी प्रियंका ने सॉफ्टवेयर से डिप्लोमा किया था।

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चंद्रकला अब कनीज फातिमा, परिवार ने तोड़ा नाता
तेलीबाग के राजीव नगर घोसियाना में रहने वाली चंद्रकला अब कनीज फातिमा के नाम से जानी जाती है। चंद्रकला के पिता ओपी यादव सेना से सूबेदार के पद से रिटायर हैं। परिवार में चंद्रकला समेत तीन बेटियां है। चंद्रकला दूसरे नंबर की बेटी है। करीब 33 वर्षीय चंद्रकला ने बी फार्मेसी की पढ़ाई की है। वह जयपुर में निजी संस्थान में पढ़ाने का काम करती है। घरवालों का कहना है कि अब उससे हमारा कोई संबंध नहीं है।












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मलिहाबाद की एक संस्था में पदाधिकारी है उमर गौतम
धर्मांतरण का मुख्य आरोपी मोहम्मद उमर गौतम लखनऊ से संचालित अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन में भी पदाधिकारी है। एटीएस को आशंका है कि इस संस्था से भी फंडिंग की जा रही थी। उमर इस संस्था में उपाध्यक्ष के पद पर है। अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन लखनऊ के मलिहाबाद के रहमानखेड़ा में एक स्कूल संचालित कर रहा है। दसवीं तक के सीबीएसई बोर्ड के इस स्कूल में 500 बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने की भी बात कही जाती है।

18 बार इंग्लैंड, 4 बार अमेरिका गया था उमर
अवैध धर्मांतरण का कथित नेटवर्क चलाने वाले मोहम्मद उमर गौतम ने धर्म परिवर्तन के कार्यक्रमों के लिए 18 बार इंग्लैंड, 4 बार अमेरिका, सिंगापुर, पोलैंड व अफ्रीका के कई देशों की यात्राएं की। उसने विदेश में भी कई लोगों का धर्मांतरण करवाया था। उमर के सामने आए दो वीडियो से यह खुलासा हुआ है। उधर, उमर और जहांगीर के पास से बरामद दस्तावेज से लखनऊ के अलीगंज के मेंहदी टोला व तेलीबाग की दो लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाए जाने की बात सामने आई है।












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वीडियो में उमर कह रहा है कि वह 18 बार इंग्लैंड जा चुका है, जिस यूनिवर्सिटी में वह पढ़ता था, वहां भी उसने सात लोगों का धर्मांतरण करवाया था, इनमें उसका गोरखपुर का एक यादव मित्र भी है। वह कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी की एक हिंदू छात्रा का भी धर्मांतरण करवाए जाने का दावा कर रहा है। वीडियो में वह स्वीकार कर रहा है कि उसके दिल्ली के इस्लामिक दावाह सेंटर से धर्मांतरण के करीब एक हजार से ज्यादा सर्टिफिकेट जारी किए हैं। सेंटर से हर माह करीब 15 सर्टिफिकेट जारी किए जाते थे। इसी तरह उसने पोलैंड, पुर्तगाल, जर्मनी, सिंगापुर, अमेरिका से इंग्लैंड में भी धर्मांतरण करवाने के बाद उन्हें विधिक भी मजबूती दिलवाई। विडियों में वह कई शादियां करवाने और धर्मांतरण करवाने वालों की मदद करने की अपील भी कर रहा है।

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साइन लैंग्वेज के जानकार भी शामिल
यूपी एटीएस ने उमर और जहांगीर को बुधवार को कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी। हालांकि दोनों ने एटीएस के सवालों के जवाब में कहा कि धर्मांतरण अल्लाह का काम है और इसका आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है। जांच टीम में दो अलग-अलग साइन लैंग्वेज के जानकारों को भी जोड़ा गया है। ताकि उन मूक-बधिरों से भी पूछताछ हो सके जिनका धर्मांतरण करवाया गया।

एटीएस ने मांगा पिछले 5 साल का रेकॉर्ड
कथित धर्म परिवर्तन गैंग के पर्दाफाश के बाद एटीएस लगातार कानपुर में अलग-अलग जगहों पर पहुंच कर तफ्तीश कर रही है। बुधवार को एक टीम बिठूर के ज्योति मूक-बधिर विद्यालय पहुंची। टीम ने स्कूल मैनेजर और प्रिंसिपल से पिछले 5 साल का रेकॉर्ड मांगा है। स्कूल प्रबंधन ने गुरुवार सुबह तक सारे दस्तावेज देने का आश्वासन दिया है।












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कानपुर के आदित्य उर्फ अब्दुल से पूछताछ में एटीएस को पता चला था कि धर्म परिवर्तन के लिए सबसे पहले उससे बिठूर के ज्योति मूक-बधिर विद्यालय में संपर्क किया गया था। इसके बाद बुधवार सुबह कुछ पुलिसकर्मी स्कूल पहुंचे। प्रिंसिपल रामदास पाल से पिछले साल में यहां प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों और शिक्षकों की पूरी जानकारी मांगी। कोविड के कारण स्कूल बंद होने का हवाला देते हुए प्रिंसिपल ने बताया कि सारी जानकारियां स्कूल प्रबंधक कमलेश के पास हैं। मैनेजर ने फोन पर एटीएस को आश्वासन दिया है कि गुरुवार सुबह तक सारी जानकारियां उपलब्ध करवा दी जाएंगी। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने सारे मौजूदा शिक्षकों को बुलाकर जानकारियां इकट्ठा करना शुरू कर दिया है।

नोएडा से आए ट्रेनर पर शक
सूत्रों के अनुसार एटीएस को मिली कुछ जानकारियों को केंद्र में रखकर काम किया जा रहा है। मसलन अप्रैल-2019 से मार्च-2020 के बीच नोएडा डेफ सोसायटी का एक शिक्षक ज्योति मूक-बधिर विद्यालय में पढ़ाने के लिए आया था। पासआउट होने के बावजूद आदित्य उर्फ अब्दुल उनसे मिलना आता था। बताया जा रहा है कि क्लास के बाद भी वह बच्चों को अलग से समय देता था। शुरुआत में माना गया कि वह बच्चों को कौशल विकास के बारे में कुछ सिखाता है, लेकिन बाद में पता चला कि वह धर्म प्रचार कर रहा था। वह ट्रेनर विद्यालय प्रबंधन ने बुलाया था।

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हाई कोर्ट ने धर्मांतरण कानून पर सरकार से जवाब मांगा
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जवाब के लिए सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी। यह आदेश चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। दाखिल याचिकाओं में धर्मांतरण कानून के दुरुपयोग की आशंका जताई गई थी। साथ ही कोर्ट ने धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली चार याचिकाओं को खारिज भी किया है। कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण अध्यादेश अब कानून बन चुका है।

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