गलवान हिंसा के 1 साल बाद चीन-भारत में होड़ और दुविधा बढ़ी, 5 संकेत – Quint Hindi

भारत के 5जी इकोसिस्टम से चीन को बाहर रखने का हालिया फैसला, इसका उदाहरण है. पर ऐसे में इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि लचीलापन और वैकल्पिक क्षमता निर्माण तुरत-फुरत में नहीं किया जा सकता. बेशक, राजनैतिक इच्छाशक्ति दिखाई दे रही है, फिर भी इसमें समय लगेगा, और यह भी देखना होगा कि हम किस हद तक इसमें सफल होते हैं.

भारत और चीन क्या कदम उठाएंगे

पांचवां, इन सबके बावजूद दोनों देशों के बीच का भूगोल और उनकी महत्वाकांक्षाएं संरचनात्मक समीकरण तैयार करने का काम करती रही हैं. पड़ोसी के रूप में दोनों के पास कोई और चारा नहीं है. इसी तय होता है कि दोनों कौन सा कदम उठाएंगे.

पिछले साल पीएलए के दुस्साहस ने इस बात का संकेत दिया था कि बीते कुछ दशकों से विवादित सीमा पर यथास्थिति बरकरार रहने वाली नहीं. दूसरी तरफ हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की अनुकूल स्थिति और वहां चीन के बढ़ते कदमों ने दोनों देशों के बीच एक नई गतिशीलता पैदा की है.

समान हित

इसी के साथ ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां दोनों के हित एक समान हैं. जैसे भारत हांगकांग, तिब्बत और शिनजियांग पर चीन की नीति पर टिप्पणी करने में हमेशा सतर्कता बरतता रहा है. ताइवान हो या कोविड-19 की उत्पत्ति की जांच का मामला, भारत ने हमेशा संयम बनाए रखा है.

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