लौट के मुकुल रॉय TMC आए, खुद ममता बनर्जी ने कराई घर वापसी, भाजपा को लगा करारा झटका – Hindustan

पश्चिम बंगाल में बीते कई सालों से बीजेपी का अहम चेहरा रहे मुकुल रॉय ने अब टीएमसी का दामन थाम लिया है। उन्हें खुद तृणमूल कांग्रेस सुप्रीम ममता बनर्जी ने घर वापसी कराई। इस दौरान उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी भी मौजूद थे। मुकुल रॉय के साथ ही उनके बेटे सुभ्रांशु रॉय ने भी टीएमसी जॉइन की है। मुकुल रॉय ने तृणमूल कांग्रेस में वापसी करते हुए कहा कि मुझे अपने घर में लौटकर बेहद खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि मुझे अपने लोगों से मिलकर साथ आकर अच्छा लग रहा है। यही नहीं उन्होंने दीदी को देश और भविष्य का नेता भी बताया। मुकुल रॉय ने कहा कि फिलहाल बंगाल की जो स्थिति है, उसमें कोई भी बीजेपी में नहीं रुक सकता है।

वहीं ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी में हालत बेहद खराब है। वहां कोई भी व्यक्ति सही से नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि मुकुल रॉय अभी यहां आए तो उनकी हालत काफी खराब लग रही थी। उन्हें पार्टी में वापस लिए जाने को लेकर ममता ने कहा कि उनसे मेरी कभी बिगड़ी नहीं। ममता बनर्जी ने कहा कि मुकुल रॉय ने कभी भी मुझ पर हमला नहीं किया और चुनाव में भी हमारे बारे में कुछ नहीं कहा। इसके साथ ही दीदी ने कहा कि जिन लोगों ने हमारे साथ गद्दारी की है, उन्हें पार्टी में नहीं लेंगे। 

बीजेपी को लगा करारा झटका, कई नेताओं को लेकर आए थे मुकुल
हाल ही में खत्म हुए विधानसभा चुनावों के बाद मुकुल रॉय के पार्टी छोड़ने से करारा झटका लगा है। 2017 में टीएमसी छोड़ बीजेपी में आने वाले मुकुल रॉय को ममता बनर्जी के उन करीबी नेताओं में शुमार किया जाता रहा है, जिन्हें भगवा दल तोड़ने में कामयाब रहा था। उनके आने के बाद बड़ी संख्या में टीएमसी के नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा था। लेकिन अब मुकुल रॉय के ही पार्टी छोड़ने से कई नेताओं के बीजेपी से निकलने की बात कही जा रही है। 

दिलीप घोष से थे मुकुल रॉय के मतभेद
बीजेपी के सूत्रों और मुकुल रॉय के करीबी लोगों का कहना है कि वह उम्मीद से कम अहम भूमिका मिलने से नाराज थे। दरअसल 2017 में बीजेपी में आने के बाद जब 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को 18 सीटें मिलीं तो उसका क्रेडिट ज्यादातर दिलीप घोष को ही मिला और वह एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए।

शुभेंदु की एंट्री के बाद से उपेक्षित महसूस कर रहे थे मुकुल रॉय
इसके बाद 2021 में चुनाव से पहले शुभेंदु अधिकारी की एंट्री के बाद से वह और किनारे लगा महसूस कर रहे थे। चुनावों के बाद भी इसका असर दिखा। एक तरफ वह विधायक और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के ही रोल में रहे तो वहीं शुभेंदु अधिकारी को पार्टी ने नेता विपक्ष का रोल दे दिया। खासतौर पर नंदीग्राम सीट से ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव में उतरने और जीत हासिल करने के चलते भी शुभेंदु अधिकारी का कद बढ़ा, जबकि मुकुल रॉय हाशिये पर दिखे।

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