रामदेव के खिलाफ अर्ज़ी पर HC ने DMA से कहा- फिज़ूल बहस से अच्छा, कोरोना के इलाज में समय लगाएं – News18 इंडिया

योग गुरु बाबा रामदेव.

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि रामदेव पतंजलि की कोरोनिल दवा के बारे में गलत बयानबाज़ी कर रहे हैं और भ्रामक सूचनाएं फैला रहे हैं. इस मामले में उच्च न्यायालय ने आज गुरुवार को सुनवाई की.

  • Share this:

नई दिल्ली. योग गुरु स्वामी रामदेव द्वारा एलोपैथी के खिलाफ बयानबाज़ी और आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल के मामले में हाई कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि यह किसी की व्यक्तिगत राय है, इस मामले में कोर्ट में मुकदमा करने का क्या औचित्य है? इस बारे में आरोप लगाने वाली दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) को गुरुवार को हाई कोर्ट ने फटकार लगाई. आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल के बारे में गलत प्रचार से रामदेव को रोकने के संबंध में डीएमए ने जो अर्ज़ी दायर की थी, उस पर सुनवाई करते हुए डीएमए को इस मामले में कोई पार्टी ही न मानते हुए कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि यह कोर्ट और मेडिकल फोर्स का समय बर्बाद करना ही है.

दिल्ली हाईकोर्ट में डीएमए की तरफ से कहा गया था कि स्वामी रामदेव के द्वारा दिए गए बयान से तमाम डॉक्टर आहत हुए हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ‘क्या एलोपैथी इतना कमज़ोर साइंस है कि किसी के बयान देने पर कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी जाए? एलोपैथी इतना कमज़ोर पेशा नहीं है. आप लोगों को कोर्ट का समय बर्बाद करने के बजाय महामारी का इलाज खोजने में समय लगाना चाहिए.’

ये भी पढ़ें : बाबा रामदेव के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची मेडिकल एसोसिएशन

delhi high court, baba ramdev criminal case, baba ramdev vs ima, delhi news, दिल्ली हाई कोर्ट, दिल्ली न्यूज़, बाबा रामदेव क्रिमिनल केस, बाबा रामदेव बनाम आईएमए

दिल्ली हाई कोर्ट ने डीएमए को गैर ज़रूरी हस्तक्षेप न करने की नसीहत दी.

कोरोनिल मामले में कोर्ट ने दी नसीहत

आगे पढ़ें

आखिर किस तरह चली बहस?

दोनों पक्षों के तर्कों को सुनकर हाई कोर्ट ने अपना रुख साफ किया. DMA ने दलील रखी कि कोरोनिल को कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं हुआ इसलिए जब तक सर्टिफिकेट नहीं मिल जाए इसे इलाज के तौर पर पेश न किया जाए.. रामदेव को आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करने से रोका जाए. कोर्ट ने कहा, ‘वो तो पहले ही इंटरनेट पर है.’ कोर्ट ने पूछा कि आप क्या चाहते हैं तो DMA ने कहा कि रामदेव बिना शर्त माफी मांगे तो कोर्ट ने कहा कि यह अंतरिम स्तर पर नहीं हो सकता. वहीं, बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि DMA ने आयुष मंत्रालय के बयान के बाद कोर्ट का रुख किया. कोर्ट ने कहा कि यह कहना भी कोर्ट का काम नहीं है कि कोरोनिल का इलाज सही है या नहीं, यह विशेषज्ञों का मामला है.

आखिर किस तरह चली बहस?

आगे पढ़ें

Related posts