प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर किए गए एक ताजा सर्वे में ज्यादातर लोगों ने आर्टिकल 370 के खात्मे को सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है। इसी सर्वे में कोरोना संकट से सही से न निपट पाने को लोगों ने मोदी सरकार की सबसे बड़ी नाकामी बताया है।
एबीपी न्यूज-सी वोटर के सर्वे में पूछा गया कि मोदी 2.0 सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है? इस सवाल के जवाब में 54 प्रतिशत शहरी और 45 प्रतिशत ग्रामीण लोगों ने आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने को सबसे बड़ी उपलब्धि बताया।
वहीं 20 प्रतिशत शहरी और 25 प्रतिशत ग्रामीण आबादी ने राम मंदिर को मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। तीन तलाक को 6 प्रतिशत लोगों ने मौजूदा सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। इसी तरह सीएए को 5 प्रतिशत शहरी और 6 प्रतिशत ग्रामीण लोग मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं।
पीएम मोदी के कामकाज से कितने संतुष्ट
सर्वे में सवाल पूछा गया कि आखिरकार पीएम मोदी के कामकाज से कितने लोग संतुष्ट हैं। यहां पर मोदी सरकार कुछ नाखुश जरूर होगी। लोकप्रियता के मामले में मोदी का चेहरा हमेशा से ही 60 फीसदी से ऊपर होता था मगर इस बार इसमें कमी आ गई। मोदी सरकार के कामकाज से 37 फीसदी बहुत संतुष्ट, 25 फीसदी कम संतुष्ट और असंतुष्ट 36 फीसदी। यानी कि अब अगर आप बहुत संतुष्ट और कम संतुष्ट को मिला दें कि 62 फीसदी लोग मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट है।
राहुल गांधी के कामकाज पर कितने संतुष्ट
राहुल गांधी के कामकाज से 18 फीसदी लोग बहुत संतुष्ट, 22 फीसदी लोग कम संतुष्ट और 41 फीसदी लोग असंतुष्ट नजर आएं। इस सवाल में 19 फीसदी लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कह नहीं सकते में जवाब दिया। मतलब अगर बहुत संतुष्ट और कम संतुष्ट को मिला दिया जाए तो 40 फीसदी लोग संतुष्ट हैं मगर 41 फीसदी लोग अभी भी असंतुष्ट हैं।
अमित शाह के कामकाज पर कितने संतुष्ट
अमित शाह के कामकाज से 28 फीसदी लोग बहुत संतुष्ट, 22 फीसदी लोग कम संतुष्ट और 37 फीसदी लोग असंतुष्ट नजर आएं। इस सवाल में 13 फीसदी लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कह नहीं सकते में जवाब दिया। मतलब अगर बहुत संतुष्ट और कम संतुष्ट को मिला दिया जाए तो 50 फीसदी लोग संतुष्ट हैं।
केंद्र सरकार के कामकाज से कितना संतुष्ट
इस सवाल के जवाब में लोगों ने कहा कि 31 फीसदी लोग बहुत संतुष्ट हैं। 28 फीसदी लोग कम संतुष्ट हैं और 37 फीसदी लोग अंसुष्ट हैं। 4 फीसदी लोगों ने कहा कि वो कह नहीं सकते।