कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर गंभीर असर? सरकार बोली, कोई प्रमाण नहीं – Navbharat Times

नई दिल्ली
कोरोना की तीसरी लहर में बच्‍चों पर सबसे ज्‍यादा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, सरकार का कहना कुछ अलग है। एम्‍स के डायरेक्‍टर रणदीप गुलेरिया ने रविवार को कहा कि इसका कोई सुबूत नहीं है।

गुलेरिया ने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में बच्चों में संक्रमण बहुत कम देखा गया है। इसलिए अब तक ऐसा नहीं लगता है कि आगे जाकर कोविड की तीसरी लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण देखा जाएगा।

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जानकारों का क्‍‍‍‍या रहा है कहना?
कई जानकार तीसरी लहर में बच्‍चों के संक्रमित होने की आशंका जता चुके है। हालांकि, एम्‍स के डायरेक्‍टर ने कहा कि इस तरह की आशंका जताने के पीछे जानकारों ने कुछ चीजों को आधार बनाया है। जैसे, पहली और दूसरी लहर में बच्‍चे प्रभावित नहीं हुए हैं, उन्‍हें वैक्‍सीन नहीं लगी है। ऐसे में तीसरी लहर आई तो वे सबसे ज्‍यादा चपेट में आ सकते हैं। लेकिन, इसका कोई प्रमाण नहीं है।

डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि मानव कोशिकाओं के जिन ‘एस रिसेप्‍टर’ से संक्रमण फैलाने वाला वायरस खुद को जोड़ता है, वे बड़ों के मुकाबले बच्‍चों में अपेक्षाकृत कम होते हैं। यही कारण है कि उनके गंभीर रूप से संक्रमित होने की आशंका कम है।

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इन बाताें से हुआ बच्चाें काे नुकसान
वहींं ,केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि भारत में पिछले 17 दिनों से कोविड-19 के मामलों में तेजी से कमी आ रही है। मंत्रालय ने कहा कि पिछले 15 हफ्तों में नमूनों की जांच में 2.6 गुना की वृद्धि की गई है। जबकि पिछले दो हफ्ते से साप्ताहिक संक्रमण दर में तेजी से गिरावट आ रही है।

महामारी के बच्चों और युवाओं पर होने वाले असर के बारे में बात करते हुए दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने रेखांकित किया, ‘ बच्चों को महामारी के बीच मानसिक तनाव, स्मार्टफोन की लत और शैक्षणिक चुनौतियों से अतिरिक्त नुकसान हुआ है।’

(भाषा के इनपुट के साथ)

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