कोरोना वायरस की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस (Black Fungus) बीमारी के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। देशभर के विभिन्न राज्यों में आठ हजार से ज्यादा ब्लैक फंगस के मामले मिल चुके हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड का गलत तरीके से इस्तेमाल भी ब्लैक फंगस (Mucormycosis) की एक वजह बन सकती है। एक्सपर्ट्स की इन राय के दौरान लोगों के मन में यह भी सवाल उठ रहा है कि कोरोना से संक्रमित होने के कितने दिनों तक ब्लैक फंगस का खतरा सबसे ज्यादा बना रहता है। इस सवाल का दिल्ली स्थित एम्स के सीनियर न्यूरोसर्जन ने जवाब दिया है। एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. पी सरत चंद्रा ने बताया है कि कोरोना से संक्रमित हो चुके मरीजों को छह हफ्तों तक ब्लैक फंगस का खतरा सबसे अधिक होता है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पी. सरत चंद्रा ने कहा, ”फंगल इंफेक्शन कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह महामारी के अनुपात में कभी नहीं हुआ है। हम सटीक कारण नहीं जानते कि यह महामारी के अनुपात में क्यों पहुंच रहा है लेकिन हमारे पास यह मानने के लिए कई कारण हैं।” उन्होंने आगे बताया कि ब्लैक फंगस होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारणों में अनियंत्रित डायबिटीज, इलाज के दौरान टोसीलिज़ुमैब के साथ स्टेरॉयड का ठीक तरीके से नहीं इस्तेमाल, वेंटिलेशन पर रहने वाले मरीज और सप्लीमेंट ऑक्सीजन लेना शामिल हैं। कोरोना इलाज के छह हफ्तों के भीतर यदि इनमें से कोई फैक्टर हैं तो मरीज में ब्लैक फंगस होने का सबसे ज्यादा रिस्क है। डॉक्टर ने आगाह किया कि सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना मरीजों के लिए काफी खतरनाक हो सकता है।
डॉ. चंद्रा ने ब्लैक फंगस के बारे में बताया, ”सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना बहुत खतरनाक है। 2-3 सप्ताह के लिए मास्क का इस्तेमाल करना भी ब्लैक फंगस को बुलावा देने जैसा हो सकता है। इस तरह की घटनाओं को कम करने के लिए उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को एंटी-फंगल दवा पॉसकोनाजोल दी जा सकती है।” बता दें कि पिछले कुछ दिनों में विभिन्न राज्यों में ब्लैक फंगस के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा समेत दक्षिण भारत के भी राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले बढ़े हैं। सरकार ने राज्यों से इसे महामारी घोषित करने की अपील की थी, जिसके बाद कई राज्यों में इसका ऐलान किया जा चुका है। इस बीच, दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में छोटी आंत के ब्लैक फंगस के दुर्लभ मामले सामने आए हैं।
Fungal infections are not new. But It has never happened in epidemic proportions. We don’t know the exact reason why it is reaching to epidemic proportions. But we’ve reason to believe that there could be multiple reasons: Professor of Neurosurgery at AIIMS Dr P Sarat Chandra pic.twitter.com/tLHSKbgvBH
— ANI (@ANI) May 22, 2021
यह फंगल इंफेक्शन, आमतौर पर मिट्टी, पौधे, खाद और सड़े हुए फलों और सब्जियों में पाए जाते हैं। यह दिमाग, साइनस, फेफड़ों पर असर डालता है और डायबिटीज से पीड़ित एवं कम इम्यून सिस्टम वाले मरीजों के लिए घातक हो सकता है। इससे पहले, मेदांता ग्रुप के चेयरपर्सन डॉ. नरेश त्रेहन ने बताया था कि ब्लैक फंगस को रोकने में सबसे महत्वपूर्ण स्टेरॉयड्स का सही से इस्तेमाल और डायबिटीज पर अच्छा कंट्रोल है। वहीं, एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि किस प्रकार की ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर कई तरह के फेक मैसेजेस चल रहे हैं कि जैसे रॉ फूड खाने से यह हो सकता है, जबकि सच्चाई यह है कि अभी तक का कोई भी डाटा यह बात नहीं बता रहा है।