Tarun Tejpal Case: तरुण तेजपाल यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों से हुए बरी, गोवा फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया फैसला – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • तहलका के पूर्व एडिटर इन चीफ तरुण तेजपाल यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों से बरी
  • गोवा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया फैसला, तेजपाल को यौन उत्पीड़न केस में बड़ी राहत
  • नवंबर 2013 का है मामला, महिला सहकर्मी ने तेजपाल पर यौन उत्पीड़न का लगाया आरोप

पणजी
समाचार मैगजीन तहलका के पूर्व एडिटर इन चीफ तरुण तेजपाल यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों से बरी हो गए हैं। गोवा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तरुण तेजपाल को बड़ी राहत दी। तहलका के पूर्व प्रधान संपादक पर 2013 में गोवा के एक लग्जरी होटल में लिफ्ट के भीतर एक महिला सहकर्मी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था।

अडिशनल सेशन कोर्ट ने तहलका के फाउंडर तरुण तेजपाल को गोवा के एक होटल में अपनी सहकर्मी से यौन उत्पीड़न के कथित मामले में बरी कर दिया है। कोर्ट से बरी होने के आदेश के बाद तरुण तेजपाल ने कहा कि ‘नवंबर 2013 में उन्हें एक महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में फंसाया था और आज गोवा में अडिशनल सेशन जज की ट्रायल कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया।’

इस केस में पिछले साल कई ट्विस्ट देखने को मिले। आगे पढ़िए इस केस में कब क्या हुआ-

7- 8 नवंबर 2013- एक महिला ने नॉर्थ गोवा स्थित होटल में तहलका की ओर से आयोजित इवेंट के दौरान तरुण तेजपाल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।

22 नवंबर 2013- गोवा पुलिस ने मामले में संज्ञान लेते हुए तरुण तेजपाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। तेजपाल 28 नवंबर को गोवा वापस लौटे और अंतरिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद 30 नवंबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

19 मई 2014- अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए तेजपाल अंतरिम जमानत पर बाहर आए थे और तब से वह बाहर ही थे। जुलाई 2014 में उन्हें जमानत मिल गई।

सितंबर 2017- में मापुसा कोर्ट ने तेजपाल के खिलाफ जूनियर सहकर्मी के साथ उत्पीड़न के मामले में आरोप तय किए। तेजपाल ने खुद को निर्दोष बताया और मामले की सुनवाई शुरू हुई।

21 अक्टूबर 2019- से मामले में पीड़िता से जिरह शुरू हुई। इससे पहले तेजपाल ने एक आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन के माध्यम से अडिशनल डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशंस कोर्ट की ओर से तय आरोपों को चुनौती दी थी।

20 दिसंबर 2019- को गोवा में बॉम्बे हाई कोर्ट की बेंच ने तेजपाल की याचिका खारिज कर दी।

इस मामले में पहले 27 अप्रैल और फिर 19 मई को फैसला सुनाया जाना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण फैसले की तारीख आगे बढ़ाकर 21 मई कर दी गई थी।

इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ था केस
तेजपाल पर आईपीसी की धारा 341 (गलत तरीके से रोकने), 342 (गलत तरीके से रोककर रखना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से प्रताड़ना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), 354 बी (महिला पर हमला या आपराधिक रूप से बल का इस्तेमाल), 376 (2) (एफ) (महिला से ऊंचे पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा बलात्कार) और 376 (2) (के) (ऊंचे पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत मुकदमा चलाया गया था।

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