DNA Analysis: कोरोना के Singapore वेरिएंट से क्यों डरा भारत? इस वर्ग को बचाने की हो रही तैयारी – Zee News Hindi

नई दिल्ली: भारत में कोरोना की तीसरी लहर के अनुमान के बीच Singapore में कोरोना के एक नए Strain ने पूरी दुनिया को डरा दिया है. ये नया Strain बच्चों पर ज़्यादा तेज़ी से हमला कर रहा है और ये दुनिया के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

Singapore में रविवार के दिन संक्रमण के 38 नए मामले दर्ज हुए. वहां पिछले एक साल में नए मामलों की ये सबसे ज़्यादा संख्या है. हालांकि आपको लग रहा होगा कि 38 मामले एक दिन में ज़्यादा तो नहीं है. क्योंकि हमारे देश के कई गांवों में इससे ज़्यादा मरीज़ इस वायरस से संक्रमित हुए हैं. लेकिन इन 38 मामलों ने ही Singapore की सरकार को चिंतित कर दिया है.

सिंगापुर में 4 बच्चों को हुआ कोरोना

इस चिंता का कारण ये है कि इन 38 मरीज़ों में चार बच्चे हैं, जो कोरोना (Coronavirus) के नए वेरिएंट से संक्रमित हुए हैं. ऐसा दावा है कि ये वैरिएंट B-One Six One Seven से मिलता जुलता है. ये कोरोना का वही सट्रेन है, जिसे Indian Variant कहा जाता है क्योंकि इसका पहला मामला भारत में ही मिला था. हालांकि एक तथ्य ये भी है कि ये वैरिएंट UK स्ट्रेन के Mutate होने से बना. लेकिन ये बात कोई नहीं कहता.

Singapore की Health Authorities ने बताया है कि ये सभी बच्चे एक दूसरे के सम्पर्क में थे और इसी वजह से उन्हें ये संक्रमण हुआ.

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इसी को देखते हुए वहां अब स्कूलों को बन्द कर दिया गया है. एक आधिकारिक बयान में ये बात भी कही गई है कि वायरस का ये नया वेरिएंट बच्चों को ज़्यादा प्रभावित कर सकता है और ये काफ़ी संक्रामक भी है. यानी वहां कोरोना ने बच्चों के लिए नया ख़तरा पैदा कर दिया है, जिसे देखते हुए 16 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाने की योजना पर Singapore में काम शुरू हो गया है.

सिंगापुर की उड़ानें रोकी जाएं-केजरीवाल

आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी Singapore में मिले वेरिएंट को बच्चों के लिए ख़तरनाक बताया और केन्द्र सरकार से अपील करते हुए Singapore के साथ हवाई सेवाएं तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की. अब यहां कुछ डॉक्टर्स ये बात भी कह रहे हैं कि सम्भव है कि Singapore में मिले वायरस का वेरिएंट Mutate हो गया हो यानी बदल गया हो और अब इसके निशाने पर बच्चे हो सकते हैं

Singapore के अलावा ब्राज़ील में भी हालात अच्छे नहीं हैं. ब्राज़ील में पिछले कुछ महीनों में कोरोना वायरस (Coronavirus) से 5 साल से कम उम्र के 2200 बच्चों की मौत हुई है. पूरी दुनिया में इस बीमारी से मरने वाले बच्चों की ये सबसे ज़्यादा संख्या है. समझने वाली बात ये है कि वहां इस संक्रमण से अजन्मे बच्चों को भी ख़तरा माना गया है. ये ट्रेंड पूरी दुनिया के लिए बुरी ख़बर है.

ताईवान में भी स्कूल बंद किए गए

इसे आप Taiwan की तस्वीरों से भी समझ सकते हैं. Taiwan ने अब तक कोरोना वायरस (Coronavirus) के ख़िलाफ़ शानदार जंग लड़ी लेकिन अब वहां पर भी संक्रमण तेज़ी से फैलने लगा है. रविवार को Taiwan में 333 नए मरीज़ों की कोरोना रिपोर्ट Positive आई, जिसके बाद बच्चों को इस संक्रमण से बचाने के लिए राजधानी Taipei (ताइपे) और Red Zone वाले इलाक़ों में स्कूल बन्द कर दिए गए.

कुछ ऐसा ही Hong Kong में हुआ. वहां चार महीने का एक बच्चा कोरोना से संक्रमित हो गया, जिसके बाद स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए नियम सख़्त कर दिए गए. अब वहां सभी बच्चों का कोरोना टेस्ट करना अनिवार्य होगा और एक Class में बैठने वाले बच्चों की संख्या भी कम होगी.

कोरोना के निशाने पर छोटे बच्चे

इन देशों के ये हालात एक ही संकेत दे रहे हैं और वो ये कि अब संक्रमण (Coronavirus) के निशाने पर छोटे बच्चे हैं और हमारे देश के लिए ये अच्छी ख़बर नहीं है. भारत की कुल आबादी में 30 प्रतिशत हिस्सा 18 साल से कम उम्र के बच्चों का है. ऐसे में अब हमारे देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है इन बच्चों को कोरोना के इस नए ख़तरे से बचाना. वैज्ञानिक भी कह चुके हैं कि वायरस की तीसरी लहर आनी निश्चित है और इसमें बच्चों को सबसे ज़्यादा ख़तरा होगा.

इन 4 पॉइंट पर काम करे सरकार

इस ख़तरे से निपटने के लिए हमारे देश की क्या तैयारी होनी चाहिए? वो हम आपको चार Points में बताते हैं.

पहला Point– बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए विशेष Task Force बननी चाहिए, जो नए मामलों की समीक्षा करके भविष्य के ख़तरों से सावधान कर सके.

दूसरा Point- सभी स्तर पर अस्पतालों में बच्चों के इलाज के लिए Beds की व्यवस्था करके रखनी चाहिए.

तीसरा Point- ज़रूरी दवाइयों की पर्याप्त Supplies तैयार रखनी चाहिए.

और आख़िरी Point- बच्चों के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन की उपलब्धता पर ज़ोर देना चाहिए.

व्यवस्थाओं की पोल खोल रहा है वायरस

हमने आपसे पहले भी कहा था कि ये जो कोरोना वायरस (Coronavirus) है, ये व्यवस्थाओं की पोल खोलता है. जब इसकी पहली लहर आई थी तो देश में मास्क, PPE किट और अस्पतालों में ICU Beds की काफ़ी कमी थी. जब इन सभी कमियों को दुरुस्त कर लिया गया तो कोरोना की दूसरी लहर आई और इस लहर में 45 साल से कम उम्र के लोग ज़्यादा मर रहे हैं. उन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत भी ज्यादा पड़ रही है. यानी दूसरी लहर ने ऑक्सीजन से जुड़ी व्यवस्था की पोल खोली. अब सरकार ने ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए भी क़दम उठाने शुरू कर दिए हैं. सम्भव है कि ये वायरस अब तीसरी लहर के रूप में आकर नई कमियों की पोल खोले.

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इसलिए इससे बचने के दो ही तरीक़े हैं पहला सावधानी और दूसरा है तैयारी. Dutch दार्शनिक Desiderius Erasmus ( डसडेरियस इरैज़मस ) ने कहा था कि ‘Prevention is Better Than Cure.’हिन्दी में इसका अर्थ है इलाज से बेहतर है बचाव और बचाव के लिए ज़रूरी है सावधानी और तैयारी. इसलिए आज हम आपसे कहना चाहेंगे कि वो समय आ गया है, जब आपको अपने मास्क के साथ बच्चों के मास्क की भी चिंता शुरू कर देनी चाहिए. बच्चों के लिए जब तक कोई वैक्सीन नहीं आती तब तक मास्क ही उनके लिए वैक्सीन की तरह काम करेगा.

कोरोना मरीजों को नहीं दी जाएगी Plasma Therapy

अब हम आपको Plasma Therapy पर एक ज़रूरी अपडेट देना चाहते हैं. देश में मेडिकल रिसर्च करने वाली संस्था ICMR ने कोरोना मरीज़ों के इलाज से जुड़ी Guidelines को बदल दिया. नई Guidelines के तहत कोरोना मरीज़ों को इलाज के दौरान Plasma Therapy नहीं दी जाएगी.

आपको याद होगा 14 मई को हमने DNA में इस पर एक विश्लेषण दिखाया था. जिसमें हमने कहा था कि Plasma Therapy को इस तरह पेश किया गया है जैसे ये कोरोना का अचूक इलाज हो जबकि ये थेरेपी अधिकतर मामलों में कारगर नहीं होती. उस दिन हमने इस पर रोक लगाने की भी मांग की थी और अब ICMR ने भी इस पर अपना फ़ैसला दे दिया है.

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