ताउते तूफान: जानिए बीच समुद्र में कैसे फंस गए थे ONGC के 638 लोग, 93 अभी भी लापता – नवभारत टाइम्स

अरब सागर में भारतीय नौसेना के जहाज, हेलिकॉप्‍टर्स P305 बार्ज पर मौजूद 93 लोगों की तलाश में हैं जो उसके डूबने से पहले लाइफ जैकेट पहनकर समुद्र में कूद गए थे। यह बार्ज मुंबई से करीब 35 नॉटिकल मी‍ल (करीब 65 किलोमीटर) दूर डूबा। बार्ज पर कुल 273 लोग सवार थे जिनमें से 180 को बचाया जा चुका है। इसके अलावा तीन और वेसल समुद्र में भटक गई थीं।

कुल चार वेसल्‍स (मुंबई तट के दो बार्ज, गुजरात के पीपाराव बंदरगाह से भटका एक बार्ज और एक ड्रिलशिप) के लिए बड़े पैमाने पर सर्च और रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन शुरू क‍िया गयाा। यह चारों बॉम्‍बे हाई में ONGC के एक ऑफशोर प्‍लेटफॉर्म्‍स को दुरुस्‍त करने में लगे थे। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि इनपर सवार लोग समुद्र में कैसे फंस गए।

समुद्र में कहां थे ये चारों वेसल?



  • P305 पर 273 लोग मौजूद थे। इसकी लोकेशन मुंबई से करीब 70 किलोमीटर दूर थी। जब साइक्‍लोन आया, तब यह बार्ज बॉम्‍बे हाई की हीरा ऑयल फील्‍ड के नजदीक ऐंकर डाले हुए था। बार्ज का ऐंकर टूट गया और यह समुद्र में फंस गया। सोमवार रात को इसके डूबने से पहले, इसका क्रू लाइफ जैकेट्स पहनकर समुद्र में कूद गया। मंगलवार शाम तक 180 लोगों को बचाया जा चुका था।
  • GAL कंस्‍ट्रक्‍टर पर 137 लोग थे। यह पालघर से 38 नॉटिकल मील दूर था। P305 की तरह यह भी समुद्र में भटक गया। सभी क्रू को बचा लिया गया है।
  • सपोर्ट स्‍टेशन 3 पर 196 क्रू समेत कुल 220 लोग थे। लोकेशन गुजरात के पीपावाव बंदरगाह से 15-20 नॉटिकल मील थी। यह बार्ज भटकने के बाद ऐंकर डालने में कामयाब रहा। सभी क्रू सुरक्षित है।
  • सागर भूषण ड्रिलशिप पर 101 लोग मौजूद थे। इसकी लोकेशन भी पीपावाव से 15-20 नॉटिकल मील बताई जा रही है। यह ड्रिलशिप मंगलवार शाम तक भटक रहा था, हालांकि हालात स्थिर नजर आ रहे थे।

क्‍या साइक्‍लोन ने रास्‍ता बदला या फिर…?



हमारे सहयोगी टाइम्‍स ऑफ इंडिया को सूत्रों ने बताया कि हर वेसल पर मौजूद ‘मास्‍टर’ सभी चेतावनियों को ध्‍यान में रखकर फैसला करता है। मौसम के इनपुट्स मिलने के बाद, मास्‍टर यह तय करता है कि साइक्‍लोन के रास्‍ते से कितने नॉटिकल मील दूर चले जाना सेफ रहेगा। ONGC के एक पूर्व एक्‍जीक्‍यूटिव ने कहा कि ऐसे हालात में जिंदगियां बचाना प्राथमिकता होती है, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर नहीं।

कंपनी के लोगों ने कहा कि साइक्‍लोन ने अपना रास्‍ता बदला और दबाव अचानक कम हो गया जिससे जितने कठिन हालातों का अनुमान था, उससे कहीं ज्‍यादा मुश्किल स्थित‍ि बन गई। हालांकि मौसम विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि साइक्‍लोन की तीव्रता को लेकर पर्याप्‍त चेतावनियां दी गई थीं। चक्रवात अक्‍सर अपना रास्‍ता बदलते हैं और इसीलिए जब सुरक्षित दूरी का फैसला करते हैं तो एरर मार्जिन ध्‍यान में रखते हैं।

बार्ज के एक पूर्व सदस्‍य ने TOI को बताया कि एक अकमोडेशन वेसल करीब तीन मंजिला इमारत जितनी ऊंची होती है। हर बार्ज के 8 ऐंकर होते हैं जो करीब 3-4 किलोमीटर लंबे होते हैं। उन्‍हें उठाने में कई दिन लग जाते हैं क्‍योंकि उन्‍हें दूसरे जहाजों से खींचा जाता है और फिर बार्ज पर रखा जाता है। यही तरीका लंगर डालते वक्‍त अपनाते हैं।

रेस्‍क्‍यू के बाद ढूंढने होंगे इन सवालों के जवाब



ONGC के पूर्व निदेशक वेद प्रकाश महावर ने कहा, “मान लीजिए 4,000 फीट की गहराई पर एक कुआं खोदा जा रहा है। आप रुक कर वहां से जा नहीं सकते। कुएं को सुरक्षित करना जरूरी है और डिल को बाहर निकालना पड़ता है ताकि कोई बड़ा हादसा न हो जाए। ONGC का ड्रिलशिप ‘सागर भूषण’ तैयार था और जब इसके ऐंकर टूटे तो यह भटक गया।” उन्‍होंने कहा कि P-305 इसलिए डूबा क्‍योंकि वह भटकने के बाद एक प्‍लेटफॉर्म से टकरा गया।

तो सवाल यह उठता है कि क्‍या क्रू ने ऐसे हालात के लिए बने प्रोटोकॉल्‍स का पालन किया? क्‍या बार्ज को मूव करने के लिए पर्याप्‍त समय नहीं था? क्‍या सूचना अपर्याप्‍त थी? या फिर जिस तरह से चक्रवातों की संख्‍या बढ़ रही है, उसे देखते हुए प्रोटोकॉल्‍स को अपडेट करने की जरूरत है? इन सब सवालों के जवाब ढूंढने होंगे।

वीडियो: रेस्‍क्‍यू मिशन में जुटे नेवी के पांच-पांच जहाज

लाइफ जैकेट्स पहने हुए हैं लापता लोग, उम्‍मीद बरकरार



रेस्‍क्‍यू मिशन में भारतीय नौसेना के पांच जहाज लगाए गए हैं। इसके अलावा हेलिकॉप्‍टर्स और कोस्‍ट गार्ड्स की भी मदद ली जा रही है। डीजी शिपिंग के सूत्रों ने कहा कि P-305 के सभी क्रू ने लाइफ जैकेट्स पहन रखी थीं। जो लापता हैं, वह समुद्र में कहीं न कहीं उतरा रहे होंगे, इसकी उम्‍मीद बनी हुई है। जिन लोगों को रेक्‍स्‍यू किया गया, वह घंटों तक समुद्र में अपनी लाइफ जैकेट्स के सहारे उतराते रहे। रेस्‍क्‍यू में लगे लोगों को तेज हवाओं और काफी ऊंची लहरों का सामना करना पड़ रहा है।

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