कोरोना के खिलाफ कैसे काम करेगी DRDO की नई दवा, जानें हर सवाल का जवाब – News18 हिंदी

कोरोना के इलाज के लिए डीआरडीओ की दवा को मंजूरी मिल गई है (सांकेतिक तस्वीर)

DRDO Anti covid drug: डीआरडीओ की यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीज की रिकवरी को तेज कर सकती है और मेडिकल ऑक्सीजन पर उसकी निर्भरता को घटा सकती है.

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(श्रेया ढौंडियाल) नई दिल्ली. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन द्वारा विकसित कोरोनोवायरस बीमारी (कोविड -19) के खिलाफ दवाई को साल भर परीक्षण के बाद आपातकालीन उपयोग के लिए डीजीसीआई ने मंजूरी दे दी है. क्या है इसका मतलब? भारत ने बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है, दवा के क्लिनिकल उपयोग को मंजूरी देने के बाद सरकार को उम्मीद है कि उससे मेडिकल ऑक्सीजन पर निर्भरता कम होगी और अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी.कैसे काम करेगी? जब 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा, शरीर में प्रवेश करती है, तो यह वायरस द्वारा संक्रमित कोशिकाओं के अंदर जमा हो जाती है. एक बार वहां जाने के बाद, यह वायरस के ऊर्जा उत्पादन और मेटाबॉलिक रिएक्शन को और इसे गुणा करने से रोकती है. DRDO का कहना है कि इसका “केवल वायरल संक्रमित कोशिकाओं का चयन कर उन्हें इकट्ठा करना” इसे अद्वितीय बनाता है. इसे कैसे लिया जाए?
यह दवा पाउडर के रूप में आती है और इसे पानी में घोलकर पिया जा सकता है. क्या ये गेम चेंजर साबित हो सकती है? यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीज की रिकवरी को तेज कर सकती है और मेडिकल ऑक्सीजन पर उसकी निर्भरता को घटा सकती है. अस्पतालों के ट्रायल में, ऐसा पाया गया कि 42 फीसदी मरीज, जिन्हें रोजाना इस दवा के दो सैशे दिए गए, तीसरे दिन उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी. सामान्य तौर पर इलाज में, सिर्फ 30 प्रतिशत मरीजों का ऑक्सीजन ही तीसरे दिन हटाया जाता है. जबकि दवा मध्यम और गंभीर कोविड मामलों में प्रभावी पाई गई है और 65 साल से ऊपर के लोगों में भी अच्छी तरह से काम करती है, इसे सहायक इलाज के रूप में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गई है. दूसरे शब्दों में, यह कोई चमत्कार इलाज नहीं है और अन्य तत्वों में शामिल उपचार प्रोटोकॉल का हिस्सा होगा. कितनी होगी इसकी कीमत? इसकी कीमत का फिलहाल ऐलान नहीं हुआ है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसके हर सैशे की कीमत 500-600 रुपये तक हो सकती है. डीआरडीओ का कहना है कि 2-डीजी जो आसानी से बड़ी खेप में बनाया जा सकता है. इस प्रोजेक्ट में डॉ रेड्डीज़ लैब, डीआरडीओ की इंडस्ट्री पार्टनर है, जिसने अस्पतालों के लिए तय मात्रा में इसका निर्माण भी शुरू कर दिया है. यह फिलहाल दवा की दुकानों पर उपलब्ध नहीं हो सकेगी.

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