बिहार में ऑक्सिजन घोटाला? पटना के PMCH में 150 की जगह 348 सिलेंडर की खपत कैसे? कोर्ट ने कहा- भगवान भी माफ नहीं करेंगे – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में गड़बड़ी का मामला
  • PMCH में ऑक्सिजन की जरूरत से कई गुना अधिक खपत
  • लापरवाही के कारण ऑक्सिजन की कालाबाजारी का शक गहराया
  • पटना HC में पेश PMCH में ऑक्सिजन खपत रिपोर्ट से खुलासा

पटना
कोरोना महामारी के इस दौर में भी बिहार के सबसे बडे अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुछ और ‘खेल’ चल रहा है। PMCH में जितने ऑक्सिजन की खपत हो रही है, उससे कई गुणा ज्यादा खपत का हिसाब दिया जा रहा है। पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बनी जांच कमेटी ने इसे पकड़ा है।

PMCH में ऑक्सिजन घोटाला?
पटना हाईकोर्ट में पीएमसीएच में ऑक्सिजन खपत की रिपोर्ट पेश की गई। कोर्ट की ओर से नियुक्त कोर्ट मित्र अधिवक्ता मृगांक मौली ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि पीएमसीएच में 21 अप्रैल से दो मई के बीच 150 सिलेंडर की जरूरत थी, जबकि वहां 348 ऑक्सिजन सिलेंडर की खपत हुई। कोर्ट मित्र ने हाईकोर्ट से सिफारिश की है कि पीएमसीएच में ऑक्सिजन ऑडिटिंग एक स्वतंत्र निकाय से कराने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हाईकोर्ट के आदेश का सही अनुपालन नहीं हो पाएगा।

127 मरीजों पर खर्च किए गए 348 सिलेंडर
रिपोर्ट में पीएमसीएच के डॉक्टरों से आंकड़े इकट्ठे कर कोर्ट मित्र ने कुछ सनसनीखेज खुलासा किए हैं। एक दिन के चार्ट के अनुसार वहां कोविड मरीजों की संख्या 127 थी। उनमें नॉर्मल रेस्पिरेटरी वाले 125 मरीज ( रोजाना 1 सिलेंडर ) और 2 मरीज गम्भीर रेस्पिरेटरी ( रोजाना 3-4 सिलेंडर वाले) थे। यानि 24 घंटे में उन 127 मरीजों को ज्यादा से ज्यादा 150 सिलेंडर की ही जरूरत थी लेकिन चार्ट के मुताबिक उनपर 348 सिलेंडर की खपत की गई।
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रिपोर्ट में कहा गया कि किस मरीज पर कितने ऑक्सिजन सिलेंडर की खपत की गई, इसका कोई रिकॉर्ड जांच दल के सामने पेश नहीं किया गया। दरअसल, न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने इस मामले में कोर्ट का सहयोग करने के लिए कोर्ट मित्र को दायित्व सौंपा था। इससे पहले कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में साफ कहा है कि एनएमसीएच में कोविड के मरीजों की संख्या ज्यादा है लेकिन कोविड मरीजों के लिए ऑक्सिजन की आपूर्ति और खपत पीएमसीएच में ज्यादा कैसे है?

PMCH में ऑक्सिजन सिलेंडर की कालाबाजारी का शक
ऑक्सिजन सिलेंडर की कालाबाजारी की आशंका जताते हुए कोर्ट ने डॉ उमेश भदानी की तीन सदस्यीय एक्पर्ट कमेटी और इस मामले में नियुक्त हुए कोर्ट मित्र मृगांक मौली से आग्रह किया था कि वे पीएमसीएच का दौरा कर कोर्ट को सही जानकारी दें। कोर्ट मित्र ने विशेषज्ञ कमेटी के साथ पीएमसीएच का दौरा 1 मई को किया। वहां तीन बातें स्पष्ट हुईं। पीएमसीएच में मुख्यत: डी टाइप ऑक्सिजन सिलेंडर का इस्तेमाल होता है, जिसमें प्रति सिलेंडर 7 हजार क्यूबिक लीटर (7 एमटी ) गैस रहती है।
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अस्पताल के विभिन्न वार्ड में कोविड सहित अन्य मरीजों जिन्हें ऑक्सिजन की जरूरत थी, उनमें 99 फीसदी नॉर्मल रेस्पिरेशन वाले मरीज थे, जिन्हें खून में नॉर्मल ऑक्सिजन की सेचुरेशन स्तर पाने के लिए 5 लीटर/मिनट की दर से रोजाना लगभग एक सिलेंडर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। वो भी तब जबकि लगातार ऑक्सिजन सिलेंडर से ही सांस लेते रहें। एक फीसदी मरीज ही कोविड के गंभीर मरीज ऐसे मिले, जिन्हें अपने खून में नार्मल ऑक्सिजन लाने के लिए 15 लीटर/मिनट ऑक्सीजन की दर से रोजाना 3 सिलेंडर की जरूरत होती है।

प्रसूति वार्ड में 3 मरीजों पर 32 सिलेंडर खर्च
वहीं पीएमसीएच के क्रिटिकल वार्ड में 30 अप्रैल को नार्मल रेस्पिरेशन वाले (5 लीटर/ मिनट ) मात्र 13 मरीजों को जहां ऑक्सिजन सिलेंडर लगा हुआ था और उनसे बीच-बीच में ऑक्सिजन मास्क हटा भी लिया जाता था। इसलिए अमूमन उन पर एक दिन में जहां 13 सिलेंडर खर्च होने चाहिए थे, वहां 120 सिलेंडरों की खपत दिखाई गई। सबसे चौंकाने वाली बात डॉक्टरों की शिकायत थी कि अधिकांश सिलेंडरों में स्टैंडर्ड प्रेशर (150 केजी/स्क्वायर सेंटीमीटर) से कम ( 120-130 यूनिट) ही पाया गया था।












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प्रसूति रोग वार्ड में मात्र तीन मरीज को ही ऑक्सिजन दिया गया था और उन तीनों की खपत एक दिन में 32 ऑक्सिजन सिलेंडर दिखाया गया था। ईएनटी विभाग में 23 मरीजों पर 63 ऑक्सिजन सिलेंडर की खपत दिखाया गया। टाटा वार्ड में 48 मरीजों के लिए जहां अधिकतम 50 सिलेंडरों की जरूरत थी, वहां एक दिन में 143 सिलेंडर खर्च हो गए। ऑक्सिजन आपूर्ति करने वाले ठेकेदार कम्पनियों की कोई सुचारु व्यवस्था नहीं है। अस्पताल प्रशासन उन ठेकेदारों के मुंशी पर ऑक्सिजन सिलेंडर के लिए निर्भर रहता है। यहां तक कि प्रेशर स्विच एब्सॉर्बशन प्रणाली से गैस उत्पादन के लिए ऑक्सिजन प्लांट को बंद पाया गया। 2 मई तक उस प्लांट से ऑक्सिजन उत्पादन शुरू नहीं हुआ था।

‘कोर्ट नहीं खड़ा होगा तो भगवान भी माफ नहीं करेंगे’
सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर कोर्ट आज नहीं खड़ा होगा तो भगवान भी माफ नहीं करेंगे। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी को सही मान आगे कोर्ट बढ़ते चला गया लेकिन हकीकत कुछ और ही निकला। राज्य सरकार ने गत वर्ष 26 नवंबर को कोर्ट को बताया था कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए सारी व्यवस्था कर ली गई है। लेकिन आज पता चल रहा है कि सरकारी तैयारी क्या है? कोर्ट ने कहा कि ऑक्सिजन आपूर्ति में दिक्कत क्यों हो रही है?

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