प्रयागराज : सरकार ने दिखाए खाली बेड, हाईकोर्ट ने फोन करवाया …पकड़ा गया झूठ – अमर उजाला – Amar Ujala

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Wed, 05 May 2021 06:49 AM IST

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उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों के लिए इलाज के अमानवीय हालात का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल को सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब मांगा था। ताजा सुनवाई में सरकार कोई जवाब पेश नहीं कर पाई, अतिरिक्त एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने दो दिन का अतिरिक्त समय मांगते हुए कहा कि जवाब के लिए विस्तृत हलफनामा बनाया जा रहा है ताकि उसमें मांगी गई तमाम सूचनाएं शामिल हों। 

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सरकार का पोर्टल पैदा करता है शक

हाईकोर्ट में अधिवक्ता अनुज सिंह ने बताया कि सरकार ने सभी अस्पतालों में लेवल 2 और 3 के खाली बेड की संख्या बताने के लिए पोर्टल शुरू किया है लेकिन उसमें गलत जानकारी दी जा रही है। इस पर कोर्ट ने अनुज सिंह को सुनवाई के दौरान ही अदालत में ही फोन करने को कहा। नंबर डायल किया गया और हाईकोर्ट के सामने अस्पताल ने जवाब दिया कि लेवल 2 और 3 का कोई बेड खाली नहीं है।

उस समय भी पोर्टल पर खाली बेड दिखाए जा रहे थे। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का यह पोर्टल शक पैदा करता है। सरकार दावा करती है कि प्रदेस में 17614 आइसोलेशन बेड और 5510 आईसीयू बेड हैं औक इनकी कोई कमी नहीं है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही सामने आ रही है। 

रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित जब्त सामान की मालखाने में बर्बादी

अवैध रूप से जब्त ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन/गोलियां और ऑक्सीमीटर को मालखाने में रखे जाने पर अदालत ने कहा इन वस्तुओं को मालखाने में रखना किसी भी तरह से जनहित में नहीं है क्योंकि ये सभी खराब हो जाएंगे। इस पर गोयल ने कहा कि वह इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष उठाएंगे ताकि इनका उचित उपयोग हो सके और ये बेकार ना जाएं।

चुनाव ड्यूटी में मौत के आंकड़ों पर न्यायिक नोटिस दिया था, सत्यापन को नहीं कहा

हाईकोर्ट ने प्रदेश में चुनाव के दौरान ड्यूटी पर लगाए गए स्टाफ में संक्रमण और मृत्यु के बारे में उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग से पिछली तारीख पर जवाब मांगा था। इस पर आयोग ने ताजा सुनवाई में बताया कि उसने संबंधित जिलों के डीएम को इन मामलों के सत्यापन के लिए कहा है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि उसने इन मामलों को सही मानते हुए ही न्यायिक नोटिस दिया था, न कि वेरिफिकेशन के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग का ऐसा ढीला रवैया सहा नहीं जाएगा। 

 

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