UP Panchayat Chunav: 2 मई को काउंटिंग से पहले टीचरों की ‘बगावत’, ‘मान जाए निर्वाचन आयोग, नहीं तो बॉयकॉट ही विकल्प’ – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • कोरोना के कहर के बीच यूपी में पंचायत चुनाव की मतगणना की तैयारी जोरों पर
  • 29 अप्रैल को पड़े थे आखिरी चरण के वोट, 2 मई को प्रदेशभर में होगी मतगणना
  • मतगणना ड्यूटी में लगे टीचरों ने की ‘बगावत’, निर्वाचन आयोग को लिखा पत्र
  • शिक्षक संघ ने कहा, 2 महीने बाद हो मतगणना, नहीं तो बॉयकॉट ही विकल्प बचेगा

लखनऊ
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण (Corona Virus in UP) की रफ्तार बेकाबू है। लगभग रोजाना 34 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं। शुक्रवार को ही प्रदेश में एक दिन में सबसे ज्यादा 332 मरीजों की मौत हुई है। इस बीच 2 मई को पंचायत चुनाव की मतगणना (UP Panchayat Chunav) की तैयारी जोरों पर है। हालांकि प्राथमिक शिक्षक महासंघ ने निर्वाचन आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिक्षक महासंघ की मांग है कि 2 मई को होने वाली मतगणना को कम से कम दो महीने आगे बढ़ाया जाए, नहीं तो मतगणना ड्यूटी में लगे शिक्षक इसका खुला बहिष्कार करेंगे। इससे कोई अव्यवस्था हुई तो उसकी जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की होगी।

शिक्षक महासंघ ने जारी की 706 मृत टीचरों की लिस्ट

शिक्षक महासंघ ने आरोप लगाया कि ट्रेनिंग से लेकर पोलिंग तक राज्य निर्वाचन आयोग ने कोरोना गाइडलाइन का कहीं भी पालन नहीं कराया, जिससे हालात भयावह हो गए। महासंघ ने एक लिस्ट जारी करते हुए दावा किया है कि चुनाव ड्यूटी करने वाले करीब 706 शिक्षक कोविड संक्रमण से जान गंवा चुके हैं, बड़ी संख्या में शिक्षक बीमारी से जूझ रहे हैं। इन शिक्षकों के परिवार में कितने लोग संक्रमित हैं, उसका तो कोई हिसाब ही नहीं है। इसलिए 2 मई को होने वाली मतगणना रोकी जाए।

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‘लगातार अनुरोध करते रहे, मगर निर्वाचन आयोग ने कोई इंतजाम नहीं किए’
शिक्षक महासंघ ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को भेजे पत्र में लिखा है कि कोरोना महामारी के बीच पंचायत चुनाव कराए गए। 12 अप्रैल को ही संघ ने आयोग से अनुरोध किया था कि निर्वाचन से पहले कोविड से बचाव की गाइडलाइन का पालन किया जाए लेकिन इसको लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए। शिक्षक-कर्मचारियों को बिना सुरक्षा उपायों के महामारी के समय मतदान कराने के लिए भेजा गया, जिससे बड़ी संख्या में शिक्षक और कर्मचारी संक्रमित हो गए। कोरोना संक्रमण से अब तक करीब 706 शिक्षक जान गंवा चुके हैं।
शिक्षक संघ ने जारी की कोरोना से जान गंवाने वाले टीचरों की सूची
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‘2 महीने बाद रिजल्ट आ जाएंगे तो इसमें क्या बुराई है?’
शिक्षक महासंघ और कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी, पेंशनर्स अधिकार मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहा, ‘2 मई को होने वाली मतगणना को शिक्षकों और कर्मचारियों में डर है। निर्वाचन आयोग ने शुरुआत से हम लोगों की नहीं सुनी और अब भी नहीं सुन रहा है। ऐसे में हमारे सामने क्या विकल्प बचता है? पंचायत चुनाव करा ही लिए गए हैं, ऐसे में अगर रिजल्ट 2 महीने बाद भी आ जाएं तो क्या नुकसान है इसमें?’

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‘2 मई को मतगणना के खिलाफ शिक्षक संघ, बहिष्कार ही बचेगा विकल्प’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर साफ कह दिया है कि 2 मई को होने वाली मतगणना में कोई भी शिक्षक और कर्मचारी हिस्सा नहीं लेगा। हम नौकरी जिंदा रहने के लिए ही तो करते हैं, जब जीवन ही नहीं बचेगा तो नौकरी का भी क्या करेंगे। प्रदेश के सभी प्राथमिक शिक्षक 2 मई को मतगणना के खिलाफ हैं और अगर इसे रोका नहीं गया तो बहिष्कार के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।’

हाई कोर्ट भी लगा चुका है निर्वाचन आयोग को फटकार

कोरोना संक्रमण के बीच पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी फटकार लगाई थी और राज्य निर्वाचन आयोग से पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मृत सरकारी कार्मिकों की संख्या का ब्योरा तलब किया है।

अखिलेश और प्रियंका ने भी सरकार को घेरा
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने भी पंचायत चुनाव में शिक्षकों की कोरोना संक्रमण से मौत के मुद्दे पर सरकार को घेरा है। अखिलेश ने ट्वीट किया है कि जिन अधिकारी, शिक्षक और कर्मचारियों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई है उन्हें सरकार 50 लाख की आर्थिक सहायता दे। वहीं, कांग्रेस की महासचिव और प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने लिखा है कि पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में शिक्षकों की मौत डरावनी है। उन्हें 50 लाख रुपये का मुआवजा और आश्रित को नौकरी दी जाए।

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