एक्सपर्ट्स का दावा: कोरोना वायरस का इंडियन स्ट्रेन ज्यादा तेजी से फैलता है, लेकिन इसके घातक होने के सबूत बह… – Dainik Bhaskar

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नई दिल्ली3 घंटे पहले

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अचानक कोरोना के केस बढ़ने से दिल्ली के अस्पताल मरीजों से भर गए हैं। इसकी वजह इंडियन वैरिएंट को माना जा रहा है।

भारत में कोरोना की दूसरी लहर की वजह माने जा रहे वायरस के इंडियन स्ट्रेन पर नई जानकारी सामने आई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह स्ट्रेन ब्रिटेन के वैरिएंट की तहत बहुत तेजी से फैलता है, लेकिन अब तक इस बात के बहुत कम सबूत मिले हैं कि यह ओरिजिनल वायरस की तुलना में ज्यादा घातक है। एक और अच्छी बात यह है कि भारत में लगाई जा रहीं वैक्सीन इस पर कारगर हैं।

SARS-CoV2 का B.1.617 वैरिएंट, जिसे डबल म्यूटेंट या इंडियन स्ट्रेन कहा जाता है, महाराष्ट्र और दिल्ली में बड़े पैमाने पर मिला है। इसकी वजह से यहां आई महामारी की दूसरी लहर ने बुरी तरह प्रभावित किया है। देश के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के कई शहरों में जीनोम सिक्वेसिंग किए गए आधे से ज्यादा सैंपल में B.1.617 वैरिएंट मिला है। वहीं, मार्च के दूसरे सप्ताह में UK वैरिएंट की हिस्सेदारी 28% थी। नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के डायरेक्टर सुजीत सिंह ने पिछले सप्ताह जीनोम सिक्वेंसिंग पर हुए वेबिनार में यह खुलासा किया था।

महाराष्ट्र और दिल्ली में संक्रमण फैलने की वजह यही स्ट्रेन
दिल्ली और महाराष्ट्र में पिछले कुछ हफ्तों में संक्रमण के मामले काफी बढ़ गए हैं। इससे यहां का हेल्थ केयर सिस्टम चरमरा गया है। दिल्ली के कई अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी हो गई है और मरीजों की जान बचाने के लिए सरकार से लेकर हेल्थ केयर वर्कर्स तक जूझ रहे हैं।

स्टडी अभी पूरी नहीं
इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) देश भर में फैली 10 लैब में से एक है, जो वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग में शामिल है। इसके डायरेक्टर अनुराग अग्रवाल के मुताबिक, जहां तक हम जानते हैं, न तो ब्रिटिश वैरिएंट और न ही यह (B.1.617) गंभीर बीमारी या मौतों की बढ़ती संख्या से जुड़ा है। UK स्ट्रेन तेजी से फैलता है। हो सकता है कि B.1.617 इसके मुकाबले और ज्यादा तेजी से फैलता हो, लेकिन यह अब तक साबित नहीं हुआ है। इंडियन स्ट्रेन के कई गुण इसकी पुष्टि करते हैं। हालांकि, अब तक इस पर स्टडी पूरी नहीं हुई है।

देश के कई शहरों में अचानक कोरोना के केस तेजी से सामने आ रहे हैं। इससे हेल्थ सिस्टम पर दबाव काफी बढ़ गया है।

देश के कई शहरों में अचानक कोरोना के केस तेजी से सामने आ रहे हैं। इससे हेल्थ सिस्टम पर दबाव काफी बढ़ गया है।

जितना संक्रमण फैलेगा, मौतें भी उतनी ही ज्यादा होंगी
अनुराग अग्रवाल ने कहा कि इस बात की कोई तुलना नहीं है कि किस वैरिएंट की ट्रांसमिशन कैपेसिटी बढ़ी है। महाराष्ट्र के अनुभव को देखते हुए यह ज्यादा संक्रामक दिखता है, लेकिन यह साबित होना बाकी है। जनरल एविडेंस को देखते हुए यह (B.1.617) ज्यादा संक्रामक हो सकता है।

पिछले साल आई पहली लहर के मुकाबले राज्य में मौतों की संख्या बढ़ने के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा कि इसका सीधा संबंध इससे है कि वैरिएंट कितना संक्रामक है। उन्होंने कहा कि जितने ज्यादा मरीज संक्रमित होंगे, मौतें भी उतनी ही ज्यादा होंगी।

कोवीशील्ड इस वैरिएंट पर प्रभावी
नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (NCBS) के डायरेक्टर सौमित्र दास ने कहा कि B.1.617 कितना घातक है, इस पर अब तक कोई रिपोर्ट नहीं है। NCBS भी कोरोना की जीनोम सिक्ववेसिंग में शामिल है। यह पश्चिम बंगाल के कल्याणी में है। दास के मुताबिक, भारत में लगाई जा रहीं वैक्सीन इस वैरिएंट पर असरदार हैं।

सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी वायरस पर स्टडी कर रहा एक और अहम इंस्टीट्यूट है। कोवीशील्ड वैक्सीन की एफिकेसी के शुरुआती नतीजों को देखते हुए इंस्टीट्यूट का कहना है कि यह टीका B.1.617 वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी है।

महाराष्ट्र के गोरेगांव में ये बुजुर्ग दंपती वैक्सीन लगवाने पहुंचे हैं।

महाराष्ट्र के गोरेगांव में ये बुजुर्ग दंपती वैक्सीन लगवाने पहुंचे हैं।

अब तक 20 से ज्यादा देशों में फैला
यह स्ट्रेन पिछले साल नवंबर में पहली बार सामने आया था। इसके बाद से यह 20 से ज्यादा देशों में पहुंच चुका है। भारत में ट्रैवल की हिस्ट्री रखने वालों विदेशी नागरिकों में यह स्ट्रेन मिला है। भारत सरकार ने जीनोम सिक्वेसिंग के लिए जो कमेटी बनाई है, उसने बहुत ज्यादा सैम्पल्स की जांच नहीं की है।

भारत के 24 राज्यों में यूके, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका के वैरिएंट्स मिले हैं। इन्हें वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VoC) कहा जाता है। डबल म्यूटेंट भी इन्हीं में से एक है।

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