शशिधर पाठक, अमर उजाला, जालंधर
Published by: प्रियंका तिवारी
Updated Thu, 22 Apr 2021 11:28 AM IST
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के निवासी राज कुमार चौधरी ने कहा, ‘मैं अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहता। हालांकि, इसके लिए मुझे 15 दिनों तक मजदूरी न करने के लिए नुकसान भी झेलना होगा क्योंकि मैं चुनावी परिणामों के बाद पांच मई तक काम पर वापस लौटूंगा।’
यूपी और पश्चिम बंगाल में अगले चरण के चुनाव से पहले मजदूर अपने मूल राज्यों में लौट रहे हैं।
– फोटो : सोशल मीडिया
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
विस्तार
पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से शुरू हुए विधानसभा चुनाव को लेकर मतदाता काफी उत्सुक हैं। बता दें राज्य में आठ चरणों में मतदान कराया जा रहा है और पांच चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है। यहां आज यानी बृहस्पतिवार को छठे चरण का मतदान जारी है, जिसके बाद सातवें व आठवें चरण की वोटिंग क्रमश: 26 व 29 अप्रैल को होनी है। इधर, उत्तर प्रदेश में भी 15 अप्रैल से चार चरणों में पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं। ऐसे में पंजाब में रहने वाले बंगाल व उत्तर प्रदेश (यूपी) के मतदाता अपने-अपने प्रदेश में वोट डालने के लिए वापस जा रहे हैं। आइए जानते हैं इन राज्यों के मतदाताओं का क्या कहना है-
पंजाब में काम करने वाले कई मजदूर अपने गृह राज्य में वापस जा रहे
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के निवासी राज कुमार चौधरी मतदान करने की हड़बड़ी में नजर आए। उन्होंने कहा कि वह अपने गृह राज्य को जानी वाली ट्रेन को किसी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते। उन्होंने बताया कि उन्हें बंगाल में 29 अप्रैल को होने वाले अंतिम चरण के चुनाव के दौरान वोट डालना है।
चौधरी ने कहा, ‘मैं अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहता। हालांकि, इसके लिए मुझे 15 दिनों तक मजदूरी न करने के लिए नुकसान भी झेलना होगा क्योंकि मैं चुनावी परिणामों के बाद पांच मई तक काम पर वापस लौटूंगा।’ बता दें, चौधरी की तरह ही कई अन्य मजदूर भी बंगाल में बचे हुए तीन चरणों के विधानसभा चुनाव में वोट डालने के लिए लौट रहे हैं।
चलाई जा रहीं विशेष बसें
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के दौरान अपना वोट डालने के लिए मनोज कुमार भी जालंधर बस स्टैंड के पास मंगलवार को एक विशेष निजी बस में सवार हुए। उन्होंने कहा, ‘मैं पिछले दो दशकों से जालंधर की अनाज मंडी और आलू के खेतों में काम कर रहा हूं। मैं यहां फरवरी में आलू की कटाई और अप्रैल-मई में गेहूं की खरीद के लिए आया था, लेकिन इस बार चुनावों के कारण मुझे गेहूं खरीद का काम बीच में ही छोड़ना पड़ा।’
मुर्शिदाबाद के दिनकर कुमार भी 26 अप्रैल को मतदान करने के लिए ट्रेन में रवाना हुए। इसके अलावा बहराइच (उत्तर प्रदेश) के निवासी नंद किशोर ने कहा कि उनके गांव में 26 अप्रैल को चुनाव होंगे और उन्हें पता चला है कि इसके लिए कुछ निजी कंपनियां विशेष बसें चला रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैंने ट्रेन के बजाय बस से जाने का फैसला किया।’ किशोर साल के लगभग आठ महीने पंजाब में बिताते हैं। लगभग चार महीने तक वह अनाज मंडियों में गेहूं और धान की खरीद के दौरान काम करते हैं और बाकी समय अन्य श्रम कार्य करते हैं या फिर रिक्शा चलाते हैं।
किशोर ने कहा, “हम गेहूं की कटाई के समय चार पैसे बना लेते हैं पर चुनाव भी जरूरी है इसलिए वापस जा रहे हैं। जालंधर के मार्केट में काम कर रहे यूपी के अमित कुमार ने कहा, ‘हम कटाई के मौसम में रोजाना 500 रुपये कमा लेते हैं और इन रुपयों से घर वापस लौटने पर हमें काफी मदद मिलती है।
मतदान है जरूरी
उल्लेखनीय है कि कई मजदूरों के पास गेहूं खरीद के सीजन में अच्छा पैसा कमाने का मौका है, लेकिन इसके बजाय वे मतदान करने के लिए अपने मूल राज्यों में लौट रहे हैं। इसे देखते हुए जालंधर में कई निजी बस ऑपरेटर सक्रिय हो गए हैं और वहां पंचायत चुनाव के अगले चरण से पहले यूपी के लिए विशेष बसें चला रहे हैं। एक बस ऑपरेटर ने बताया कि प्रति व्यक्ति से 1,500 से 2,000 रुपये तक का किराया लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन बसों को अगले दो दिनों तक चलाया जाएगा।
वहीं, पंजाब के अनाज मंडी मजदूर संघ के अध्यक्ष राकेश तुली ने कहा कि कई प्रवासी जो गेहूं के मौसम के लिए आते थे, वे यूपी और पश्चिम बंगाल के चुनावों के कारण अपने-अपने राज्यों में ही रुक गए हैं और मजदूर पंजाब आ चुके थे वे भी अब अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव तिथि के अनुसार वापस जा रहे हैं।
आगे पढ़ें
पंजाब में काम करने वाले कई मजदूर अपने गृह राज्य में वापस जा रहे