भास्कर एक्सप्लेनर: दुनिया में 270 वैक्सीन बन रहीं और 13 को इमरजेंसी अप्रूवल, सरकार के फैसले से वैक्सीन फॉर … – Dainik Bhaskar

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25 मिनट पहलेलेखक: रवींद्र भजनी

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भारत में वैक्सीन की कमी को दूर करने और सबको वैक्सीन लगाने की दिशा में सरकार ने बड़ा फैसला किया है। अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन के साथ-साथ WHO में अप्रूवल पा चुकी वैक्सीन को अब भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मिल जाएगा। ऐसी 13 वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुका है। सरकार के फैसले से फाइजर, मॉडर्ना के साथ ही जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन भारत में तत्काल उपलब्ध हो जाएगी।

भारत में इस समय कोवैक्सिन और कोवीशील्ड के साथ ही रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V को भी मंजूरी दे दी गई है। कोवैक्सिन और कोवीशील्ड का रोज का प्रोडक्शन 25 लाख डोज के करीब का है, जबकि इस समय देश में औसतन 32 लाख डोज दिए जा रहे हैं। स्पुतनिक-V को मंजूरी मिलने के बाद ये आंकड़ा बढ़ सकता है। भारत में रूसी वैक्सीन को डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी डेवलप कर रही है। इसके साथ-साथ हिटरो बायोफार्मा और ग्लैंड फार्मा में भी प्रोडक्शन होगा। भारत में 35.2 करोड़ डोज सालाना प्रोडक्शन हो सकेगा। यानी वैक्सीन की कमी अगले कुछ हफ्तों में दूर होने की उम्मीद की जा सकती है। नए फैसले से सबको वैक्सीनेशन में आ रही अड़चनें दूर होंगी।

आइए, समझते हैं कि इसका आप पर असर क्या होगा?

क्या इसके बाद दुनियाभर में उपलब्ध सभी वैक्सीन भारत में भी मिलने लगेगी?

  • नहीं। भले ही ऐसा बोला जा रहा हो, पर ऐसा होने वाला नहीं है। दुनियाभर में 270 के करीब वैक्सीन बन रही है। इनमें से सिर्फ 13 को अलग-अलग देशों में इमरजेंसी यूज अप्रूवल या अप्रूवल मिला है। इनमें से दो वैक्सीन- कोवीशील्ड और कोवैक्सिन पहले ही भारत में उपलब्ध है। इसके अलावा रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V को भी भारत सरकार ने सोमवार को मंजूरी दे दी है।

कौन-सी वैक्सीन उपलब्ध हो जाएंगी?

  • भारत सरकार ने साफ कहा है कि सिर्फ अमेरिकी रेगुलेटर USFDA, यूरोपीय संघ के रेगुलेटर EMA, यूके के रेगुलेटर UK MHRA, जापान के रेगुलेटर PMDA और WHO की ओर से लिस्टेड इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में शामिल वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी यूज अप्रूवल दिया जाएगा।
  • इस समय अमेरिका में मॉडर्ना, फाइजर के साथ सिर्फ जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को अप्रूवल मिला हुआ है। इसी तरह यूरोपीय संघ में इन तीन के अलावा एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को अप्रूवल दिया गया है। UK में फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई जा रही है। जापान में सिर्फ फाइजर की वैक्सीन। WHO ने अब तक सिर्फ दो ही वैक्सीन को मंजूरी दी है- फाइजर और एस्ट्राजेनेका।
  • ऐसे में फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन ही ऐसी है, जिनका इस्तेमाल इन देशों में हो रहा है और हमारे यहां नहीं। इन वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मिलना तय माना जा सकता है।

किस वैक्सीन की उपलब्धता जल्दी होगी?

  • जिन तीन वैक्सीन को अप्रूवल मिलने की उम्मीद है, उनमें सबसे पहले जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन उपलब्ध होने के आसार हैं। कंपनी ने इसके लिए हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल E से करार किया है। J&J के जेनसेन फार्मा की Ad26.CoV2.S वैक्सीन अमेरिका और अन्य देशों में हुए ट्रायल्स में 66% इफेक्टिव साबित हुई है। सरकार के फैसले के बाद यह वैक्सीन सबसे जल्दी उपलब्ध होने वाली वैक्सीन में शामिल होगी। बायोलॉजिकल E के पास इसके सालाना 60 करोड़ डोज बनाने की क्षमता है।

इस फैसले का भारत के टीकाकरण कार्यक्रम पर क्या असर होगा?

  • पिछले हफ्ते नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) डॉ. वीके पॉल की अध्यक्षता में नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (NEGVAC) की बैठक हुई थी। इसमें ही भारत में सभी लोगों को वैक्सीनेशन के दायरे में लाने की संभावनाओं पर बात हुई।
  • NEGVAC ने सरकार को सिफारिश दी थी कि दुनिया के नामी रेगुलेटर की ओर से मंजूर वैक्सीन को भी भारत में टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाए। इसके लिए न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स 2019 के सेकंड शेड्यूल में तय नियमों के आधार पर लोकल क्लीनिकल ट्रायल्स के बजाय ब्रिजिंग क्लीनिकल ट्रायल्स की पेशकश की गई है।
  • इसके अनुसार विदेशी वैक्सीन को जब भी मंजूरी दी जाएगी तो 100 लोगों को डोज दिए जाएंगे। 7 दिन तक निगरानी होगी। जब वैक्सीन सुरक्षित साबित होगी तब पूरे देश में उसे मंजूरी दी जाएगी।

विदेशी वैक्सीन को अप्रूवल देने में क्या चुनौतियां आ सकती हैं?

  • विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के फैसले के बाद भी हालात एकाएक नहीं बदल जाएंगे। फाइजर की वैक्सीन के लिए दिसंबर में ही इमरजेंसी अप्रूवल मांगा गया था। कंपनी अपने कोल्ड बॉक्स भी देने को तैयार थी, जिसमें वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है। पर सरकार ने उसे मंजूरी नहीं दी थी।
  • उनका कहना है कि फाइजर और J&J की वैक्सीन भारत में मई तक उपलब्ध हो सकती है। तब सरकार 18 वर्ष की उम्र के ऊपर के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन का फैसला भी ले सकती है। तब तक किसी भी तत्काल बदलाव की उम्मीद करना ठीक नहीं है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को मंजूरी दी थी, तब भी समस्याएं थीं। कोवीशील्ड का ब्रिजिंग ट्रायल हुआ नहीं था। कोवैक्सिन के ट्रायल्स चल रहे थे। इफेक्टिवनेस के आंकड़े नहीं थे। रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V को भी मंजूरी ऐसे समय पर दी गई है, जब उसके ब्रिजिंग ट्रायल्स के नतीजे पूरी तरह से नहीं आए हैं।
  • सरकार ने अब तय किया है कि विदेशी वैक्सीन के डोज शुरुआत में 100 लोगों को देकर सात दिन मॉनिटरिंग करेंगे। पर विशेषज्ञों का सवाल है कि क्या सात दिन की मॉनिटरिंग से समझ आ जाएगा कि यह वैक्सीन भारतीयों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है? इमरजेंसी अप्रूवल के बाद ब्रिजिंग ट्रायल्स कराए तो भी उनका मतलब क्या रह जाएगा? फाइजर की वैक्सीन को देश में लागू किया तो इसे सुरक्षित रखने के लिए -70 डिग्री सेल्सियस तापमान कैसे उपलब्ध कराएंगे?

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