पश्चिम बंगाल में होगी बेटी Vs. बुआ की जंग! इस पिच पर ममता बनर्जी के आगे कितना टिक पाएगी BJP? – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ तीखी हुई राजनीतिक जंग
  • TMC ने दिया नारा- बंगाल अपनी बेटी चाहता है, प्रशांत किशोर का आइडिया
  • इसका जवाब देने के लिए बीजेपी ने अब ‘बुआ जाओ’ नारे का इस्तेमाल किया है
  • बुआ कहकर बीजेपी अभिषेक बनर्जी के ‘घोटालों’ से ममता को जोड़ना चाहती है

कोलकाता
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly elections) का आधिकारिक तौर पर आगाज हो चुका है। इस बार के चुनाव बंगाल के राजनीतिक इतिहास से बिल्कुल जुदा चुनाव होंगे। यह पहली बार होगा कि राज्य में बीजेपी मजबूती से उतर रही है और सत्ताधारी पार्टी को सीधी टक्कर दे रही है। पार्टी के सीनियर नेता 294 में से 200 सीटें लाने तक का दावा कर रहे हैं। हालांकि यह तो 2 मई को नतीजों के साथ साफ होगा कि ‘नाबन्ना’ को नया मुख्यमंत्री मिलेगा या ममता बनर्जी (Mamata Banerjee news) लगातार तीसरी बार सीएम की कुर्सी पर कब्जा जमाएंगी। उससे पहले बीजेपी और टीएमसी में राजनीतिक जंग चरम पर पहुंच गई है और दोनों पार्टियों ने इसे ‘बेटी बनाम बुआ’ की जंग बना दिया है।

चुनावी जंग कैसे बुआ Vs. बेटी में तब्दील हो गई?

चुनाव जंग में यह दिलचस्प मोड़ 20 फरवरी को उस वक्त आया, जब टीएमसी ने ‘बंगाल अपनी बेटी चाहता है’ कैंपेन लॉन्च किया था। टीएमसी के इस कैंपेन के पीछे चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दिमाग माना जा रहा है। खुद प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, ‘भारत में लोकतंत्र के लिए एक अहम लड़ाई पश्चिम बंगाल में लड़ी जाएगी और बंगाल के लोग अपना संदेश देने के लिए तैयार हैं। वह सही फैसले के लिए दृढ़ निश्चय कर चुके हैं- बंगाल केवल अपनी बेटी चाहता है। 2 मई तक मैं अपने इस ट्वीट पर कायम रहूंगा।’

Bengal BJP vs Mamata Banerjee: ‘बंगाल अपनी बेटी चाहता है बुआ नहीं’…ममता के खिलाफ बीजेपी के तरकस से निकला नया तीर
बीजेपी कह रही ‘बुआ जाओ’, जवाब में गिनाए ‘बेटियों’ के नाम

इसका जवाब देने के लिए बीजेपी ने ‘बुआ जाओ’ नारे का इस्तेमाल किया है। पश्चिम बंगाल बीजेपी ने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर के साथ कैप्शन दिया गया है- ‘बंगाल अपनी बेटी चाहता है बुआ को नहीं।’ इस तस्वीर में पश्चिम बंगाल बीजेपी से जुड़ी कई महिला नेताओं की तस्वीर है। तस्वीर में पहले नंबर पर बीजेपी सांसद देबोश्री चौधरी और दूसरे नंबर पर सांसद लॉकेट चटर्जी हैं। देबोश्री बंगाल में बीजेपी का दलित चेहरा हैं। रायगंज से सांसद देबोश्री को मोदी सरकार में महिला और बाल विकास राज्य मंत्री बनाया गया था। इसके साथ बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष अग्निमित्रा पॉल, राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली समेत कई महिला नेताओं की फोटो है। वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी की तस्वीर है।

बीजेपी का ममता को बुआ कहने के पीछे मकसद क्या?
हालांकि सवाल यही है कि चुनाव से कुछ दिन पहले इस नई तरह की लड़ाई का असल फायदा किसे मिलेगा? क्या बीजेपी की ‘बेटियां’ टीएमसी की ‘बुआ’ पर भारी पड़ेंगी? ममता को ‘बुआ’ कहने के पीछे बीजेपी का असली मकसद क्या है? इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार नीरेंद्र नागर का स्पष्ट मत है कि बीजेपी के इस ‘बुआ’ वाले तीर का कुछ असर नहीं होने वाला। नीरेंद्र नागर पश्चिम बंगाल की राजनीति को गहराई से जानते-समझते हैं और पिछले कुछ महीनों से कोलकाता में ही रहकर जमीनी राजनीति को देख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी जब ममता को बुआ कहती है तो उसका सीधा इशारा उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी की ओर होता है। बीजेपी अभिषेक के कथित भ्रष्टाचार को आधार बनाकर ममता को टारगेट कर रही है। हालांकि लोकसभा-विधानसभा जैसे बड़े चुनावों में किसी नेता के रिश्तेदार के करप्ट होने का उसकी राजनीति पर कोई खास असर पड़ता नहीं है। सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने तेजस्वी यादव हैं, जिनके पिता लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में जेल में हैं मगर फिर भी वह बिहार विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देते हैं और 23 पर्सेंट वोट शेयर के साथ सबसे ज्यादा 75 सीटें लेकर आते हैं।’

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West Bengal Elections: बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग पर ममता आगबबूला, क्या चुनाव लंबा खिंचने से होता है फायदा-नुकसान, समझिए
‘बुआ’ ममता के आगे कितना टिक पाएंगी बीजेपी की ‘बेटियां’?
नीरेंद्र नागर ने आगे बताया, ‘बंगाल में बीजेपी के पास कोई बड़ा नेता नहीं है। ओपिनियन पोल में 50 पर्सेंट लोग ममता को दोबारा सीएम बनते देखना चाहते हैं जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी के दिलीप घोष को 20 फीसदी लोग सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं। दोनों की लोकप्रियता में 30 फीसदी का अंतर है, जो बहुत बड़ा है। चुनाव को बेटी बनाम बुआ करके बीजेपी को कोई फायदा नहीं होता दिख रहा। बीजेपी ने जिन ‘बेटियों’ का नाम लिया वे ममता बनर्जी के आगे कहीं नहीं टिकती हैं। ममता की जो स्ट्रीटफाइटर की छवि है उसका उन्हें पहले भी फायदा मिलता रहा है और इस बार भी मिलेगा।’

बंगाल में 8 चरणों में चुनाव, ममता आगबबूला
पश्चिम बंगाल की 294 सीटों वाली विधानसभा के लिए इस बार आठ चरणों में चुनाव होने हैं। कई जिलों में 2-3 चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं। इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल उठाए हैं। ममता ने कहा कि बीजेपी ने चुनाव आयोग का इस्तेमाल किया है। बीजेपी पूरे देश को बांट रही है और यही कोशिश वह पश्चिम बंगाल में भी करेगी। गृह मंत्री और पीएम अपनी ताकत का दुरुपयोग न करें। आखिर बंगाल में 8 चरणों में चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं? जो बीजेपी ने कहा, वही चुनाव आयोग ने किया।

बंगाल में कब चुनाव और मतगणना?

पश्चिम बंगाल में पहले चरण की अधिसूचना 2 मार्च को जारी होगी, पहले चरण में 30 सीटों पर 27 मार्च को मतदान होगा। राज्य में वोटों की गिनती 2 मई को होगी। 2016 में राज्य में 77,414 पोलिंग बूथ थे। इस साल पोलिंग बूथों में 31.65% की बढ़ोतरी हुई है और इस बार 1,01,916 पोलिंग बूथों पर वोट पड़ेंगे।

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