बेनतीजा वार्ता के बाद कृषि मंत्री ने कांग्रेस पर बोला हमला, कहा- समिति के आगे रखेंगे अपने विचार – अमर उजाला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 15 Jan 2021 05:47 PM IST

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
– फोटो : एएनआई

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केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन के बीच किसान नेताओं और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। अब अगली वार्ता 19 जनवरी को होगी। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि न कृषि कानूनों पर कोई समाधान निकला और न एमएसपी पर। 19 जनवरी को फिर मुलाकात होगी। उधर, कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि हम वार्ता के जरिए हल ढूंढने के प्रति सकारात्मक हैं और सुप्रीम कोर्ट की समिति के आगे अपने विचार रखेंगे।

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नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों पर कांग्रेस द्वारा केंद्र सरकार की आलोचना किए जाने पर राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि राहुल के बयान पर उनकी ही पार्टी ही उनका मजाक उड़ाती है। तोमर ने कहा कि 2019 में कांग्रेस के मैनिफेस्टो में ये वायदा उन्होंने किया था। अगर उन्हें याद न हो तो अपना मैनिफेस्टो उठाकर पढ़ लें। अगर ऐसा है तो वह प्रेस के सामने आएं और बताएं कि वो तब झूठ बोल रहे थे या आज झूठ बोल रहे हैं। कांग्रेस ने खुद कृषि सुधारों का वायदा किया था और आज हमारा विरोध कर रही है। 

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नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार इस ठंडे मौसम में आंदोलन कर रहे किसानों को लेकर चिंतित है। उधर, बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार से ही हम बात करेंगे। दो ही बिंदु हैं। कृषि के तीनों कानून वापस हों और एमएसपी पर बात हो। हम सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति के पास नहीं जाएंगे, हम सरकार से ही बात करेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए एक समिति गठित की है जो कृषि कानूनों पर किसानों की समस्याओं पर विचार करेगी।

इससे पहले बैठक के लंच ब्रेक के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करती है। सरकार सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति के सामने अपने विचार रखेगी। उन्होंने कहा था कि हम इस मुद्दे का समाधान वार्ता के जरिए करने का प्रयास कर रहे हैं। बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अब तक नौ दौर की वार्ताएं हो चुकी है। सरकार कानूनों में संशोधनों का प्रस्ताव दे रही है और किसान कानूनों को रद्द किए जाने के अपने रुख पर अड़े हैं।

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