DNA ANALYSIS: Farmers Protest, कृषि कानूनों पर रोक लगी, तो क्‍या मान जाएंगे किसान? – Zee News Hindi

नई दिल्‍ली:  पिछले 47 दिनों से सरकार और किसानों के बीच एक टेस्‍ट मैच (Farmers Protest) चल रहा है और मुमकिन है इस टेस्ट मैच का परिणाम भी ड्रॉ जैसा ही रहे.  इसलिए अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका अहम हो गई है, जिसे आप इस मैच का अंपायर भी कह सकते हैं. लेकिन ये मैच ड्रॉ कैसे हो सकता है, इसे आपको सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 11 जनवरी को हुई, इस मामले की सुनवाई से समझना होगा. 

कृषि कानूनों पर क्‍या होगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला? 

सुप्रीम कोर्ट में कल कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद्द करने के विषय पर बहस हुई और मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे (S A Bobde)  ने कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों (Farm Laws)  के लागू होने पर रोक नहीं लगाती तो फिर ये फैसला अदालत को लेना होगा. सरल शब्दों में कहें तो कृषि कानूनों पर रोक लगाने के बजाय इन कानूनों के अमल पर रोक लग सकती है और ये एक तरह से कुछ समय के लिए ड्रॉ जैसी स्थिति होगी. सबसे पहले हम आपको  सुनवाई की पांच बड़ी बातें बताना चाहते हैं- 

1. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि जब लोग खुदकुशी कर रहे हैं तो वो कृषि कानूनों पर रोक क्यों नहीं लगा सकती?  मुख्य न्यायाधीश ने ये भी कहा कि अगर सरकार इस पर फैसला नहीं लेगी तो उसकी तरफ से तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाई जा सकती है. 

2. हालांकि सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल  के के वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया और उन्होंने दलील दी कि नए कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट तब तक रोक नहीं लगा सकती, जब तक ये कानून मौलिक अधिकारों और संविधान के प्रावधानों के खिलाफ न हों और किसी भी याचिका में इसका जिक्र नहीं है. 

DNA ANALYSIS: क्‍या Supreme Court से निकलेगा किसान आंदोलन का हल?

3. इस पर मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे (S A Bobde)  ने नाराजगी जताई और कहा कि सरकार इस मामले को सही तरीके से सुलझाने में अब तक नाकाम रही है.  उन्होंने कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाने का भी सुझाव दिया. 

4. और ये भी कहा कि जिस तरह से आंदोलन चल रहा है, उसके परिणाम गंभीर  हो सकते हैं और हिंसा की वजह से अशांति का माहौल पैदा हो सकता है और कोर्ट नहीं चाहती कि उसके दामन पर खून लगे. 

5. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसानों की तरफ से पेश हुए वकील दुष्यंत दवे से पूछा गया कि अगर कानूनों के अमल पर रोक लगाई जाती है तो क्या किसान अपना आंदोलन (Farmers Protest)  खत्म कर देंगे. इस पर दुष्यंत दवे कुछ जवाब नहीं दे पाए और उन्होंने किसान संगठनों से इस पर चर्चा करने का भरोसा दिया. 

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कृषि कानूनों की समीक्षा रिपोर्ट आने तक इनके अमल पर लगेगी रोक?

अब यहां दो स्थितियां बनती हुई दिख रही हैं. पहली ये कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर विचार करते हुए कृषि कानूनों के अमल पर फिलहाल के लिए रोक लगा दे और फिर कोर्ट द्वारा बनाई गई कमिटी के फैसले का इंतजार करे.  तब तक किसान भी अपना आंदोलन वापस ले लें. हालांकि इसकी संभावना काफी कम है. 

दूसरी स्थिति ये हो सकती है, सुप्रीम कोर्ट नए कृषि कानूनों की समीक्षा रिपोर्ट आने तक इनके अमल पर रोक लगा दे. इस स्थिति में भी किसानों और सरकार को कमेटी  के सुझावों का इंतजार करना होगा और कुछ समय के लिए इस मामले में ड्रॉ जैसी स्थिति बन जाएगी. हालांकि ये स्थायी समाधान नहीं होगा.  समाधान तभी निकल सकता है, जब दोनों पक्षों की तरफ से सभी बातों पर सहमति बन जाए, जिसकी उम्मीद फिलहाल काफी कम है. हालांकि सरकार ने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला मानने के लिए तैयार है. लेकिन किसान अब भी इस बात पर अड़े हैं कि उन्हें कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा दूसरा कोई भी विकल्प मंजूर नहीं है.  अब इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होगी और संभव है इस मामले में ड्रॉ जैसा कोई फैसला आ सकता है.

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