SC on Farmers Protest LIVE: किसान आंदोलन पर आज सुप्रीम सुनवाई, अदालत के रुख पर केंद्र की नजर – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • 47वें दिन में पहुंच चुका है किसान संगठनों का आंदोलन, अबतक कोई नतीजा नहीं
  • पिछले साल लागू नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं किसान नेता
  • केंद्र से सात दौर की बातचीत में नहीं निकला हल, अगली मीटिंग 15 जनवरी को
  • संयुक्त किसान मोर्चा की अपील, आत्महत्या जैसा कोई कदम न उठाएं किसान

नई दिल्‍ली
सुप्रीम कोर्ट में आज बेहद अहम सुनवाई होनी है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली की कईं सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई हैं, जहां सुनवाई शुरू हो चुकी है। शीर्ष अदालत के रुख पर केंद्र सरकार की निगाहें टिकी होंगी जिसकी किसान संगठनों से अबतक की बातचीत फेल साबित हुई है। गतिरोध उसी तरह बरकरार है। केंद्र ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी। वहीं, किसान नेता कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। माना जा रहा है कि शीर्ष अदालत कोई बीच का रास्ता निकाल सकती है। यहां हम आपको सुनवाई से जुड़ी हर LIVE Updates देंगे।

चीफ जस्टिस:
मिस्टर साल्वे, सबकुछ एक आदेश के जरिए हासिल नहीं किया जा सकता है। किसान कमिटी के पास जाएंगे। अदालत यह आदेश पारित नहीं कर सकती है कि नागरिक प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं।

हरीश साल्वे: अगर अदालत कानून पर रोक लगाती है तो किसान अपना आंदोलन वापस ले लें।

CJI: किसान कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें अपनी समस्याओं को कमिटी के सामने कहने दें। हम कमिटी की रिपोर्ट फाइल करने के बाद कानून पर कोई फैसला करेंगे।

चीफ जस्टिस: हम अपने इंटेशन को सबको साफ-साफ बता दें। हम इस मसले का सर्वमान्य समाधान चाहते हैं। यही वजह है कि हमने आपको पिछली बार (केंद्र सरकार) कहा था कि क्यों नहीं इस कानून को कुछ दिन के लिए स्थगित कर देते हैं? आप या तो समाधा हैं या फिर समस्या हैं।आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं ? नहीं तो हम लगा देंगे।

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे- जिस तरह से प्रक्रिया चल रही है, हम उससे निराश हैं। उन्होंने अटार्नी जनरल से कहा कि शीर्ष अदालत सरकार के किसान आंदोलन को हैंडल करने के तरीके से बेहद नाराज है। अदालत ने कहा, ‘हमें यह भी नहीं मालूम कि आपने कानून को पास करने से पहले किस तरह की प्रक्रिया का पालन किया।’

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है। डीएमके एमपी तिरुचि सिवा, आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने तीनों कृषि कानूनों की वैधता पर सवाल उठाते हुए याचिका दाखिल की थी।

कमिटी का गठन कर सकता है SC
किसान और सरकार के बीच चल रहे झगड़े को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट किसी कमिटी का गठन कर सकता है। ऐसे में दोनों पक्ष इसके जरिए अपना विवाद सुलझा सकते हैं।

दिल्ली की सीमा से किसानों को हटने के लिए कह सकती है अदालत
अदालत किसानों को दिल्ली की सीमा से हटाकर किसी विशेष जगह प्रदर्शन करने को कह सकता है। साथ ही सरकार को किसानों के साथ बातचीत का आदेश भी दे सकता है।

सरकार को कानून में बदलाव का दे सकती है आदेश

ये भी हो सकता है कि अदालत केंद्र सरकार को कृषि कानून में बदलाव का भी आदेश दे। हालांकि ये सब सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत के फैसले से ही साफ हो पाएगा।

क्‍यों अहम आज की सुनवाई?
प्रधान न्‍यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। चूंकि केंद्र और किसान संगठनों के बीच अगली बैठक 15 जनवरी को होनी है, ऐसे में SC की राय बेहद अहम हो जाती है। 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। इसके अलावा बेंच में शामिल पीठ में जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम ने कहा था कि अगर सोमवार (11 जनवरी) को बताया जाता है कि चर्चा अभी भी जारी है, तो वह (कोर्ट) सुनवाई स्थगित कर देगा। इससे पहले, 17 दिसंबर 2020 को शीर्ष अदालत ने विरोध जताने को मौलिक अधिकार बताते हुए किसानों को हिंसा या किसी भी नागरिक के जीवन या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के बिना विरोध जारी रखने की अनुमति दी थी।

आंदोलन का 47वां दिन, डिगने को तैयार नहीं किसान
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आंदोलन सोमवार को 47वें दिन में प्रवेश कर गया। केंद्र सरकार के साथ कई दौर की बातचीत फेल होने के बाद, किसान संगठनों के नेता आंदोलन तेज करने की रणनीति बनाने में लगे हैं। अगले दौर की बातचीत 15 जनवरी को होनी है। किसान संगठनों ने एलान किया है कि 26 जनवरी से पहले उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वो गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्‍टर परेड निकालेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत का कहना है कि अगर केंद्र संग बैठक में नतीजा नहीं निकल रहा तो किसान भी बैठे हुए हैं। उन्‍होंने आईएएनएस से बातचीत में रविवार को कहा, “सरकार ने इस आंदोलन को इतना बढ़ा दिया, अगर बातचीत करें तो क्या नहीं हो सकता। हम चाहते हैं कि फैसला हो लेकिन सरकार भी तो चाहे।”

संयुक्त किसान मोर्चा की प्रदर्शनकारियों से अपील
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में आंदोलन जारी है। मोर्चा ने प्रदर्शनकारी किसानों से आत्महत्या जैसा कोई कदम नहीं उठाने की अपील की है। रविवार को एक बयान में कहा गया कि ‘आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है, बल्कि यह अपने आप मे एक समस्या है, इसलिए प्रदर्शनकारी किसान स्वयं के जीवन को खत्म करने जैसा कोई फैसला न लें।’

कांग्रेस 15 को करेगी राजभवनों का घेराव
मुख्‍य विपक्षी दल कांग्रेस ने बीजेपी पर ‘जिद्दी और घमंडी रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया है। पार्टी 15 जनवरी को सभी राज्यों में ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाएगी और उसके नेता एवं कार्यकर्ता राजभवनों का घेराव करेंगे। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि ‘समय आ गया है कि मोदी सरकार देश के अन्नदाता की चेतावनी को समझे, क्योंकि अब देश के किसान काले कानून खत्म करवाने के लिए करो या मरो की राह पर चल पड़े हैं।’

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