तोड़फोड़-हंगामे के चलते खट्टर का हेलिकॉप्टर भी नहीं उतर पाया; CM बोले- यह कांग्रेस और कम्युनिस्टों का काम

हरियाणा के करनाल में रविवार को होने वाली मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की महापंचायत रद्द हो गई। किसानों ने उस जगह जमकर तोड़फोड़ की, जहां ये सभा होनी थी और इसके चलते खट्टर का हेलिकॉप्टर भी नहीं उतर पाया। इस घटना पर सीएम नाराज दिखे। शाम को खट्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा, ‘इस आंदोलन के पीछे कांग्रेस और कम्युनिस्टों का बड़ा हाथ है। कांग्रेस नेताओं के लगातार उकसाने वाले बयान आ रहे हैं। कम्युनिस्ट नेता इस मौके को भुनाना चाहते हैं।’

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, कुछ बिंदुओं पर बात अटकी हुई है, लेकिन जहां तक मैं सोचता हूं केंद्र सरकार इन तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी।

नौजवानों ने वादा तोड़ा: खट्टर
खट्टर ने कहा, ‘दिल्ली की सीमाओं पर जो धरने दिए जा रहे हैं खासकर टिगरी और सिंघु बॉर्डर पर, उसके लिए हमारा भी फर्ज बनता है कि किसानों को हकीकत बताई जाए। नहीं तो एक साइड का भ्रम लोगों में फैलता रहेगा। इसलिए हमने महापंचायत बुलाई थी। कल तय हुआ था कि ये लोग रैली स्थल के बाहर शांति से प्रदर्शन करेंगे, लेकिन नौजवानों ने अपना वादा तोड़ा। रैली में बवाल कर दिया।’

खट्‌टर ने और क्या कहा?

  • जनता को मैं इतना बेहतर ढंग से न समझा पाता, जितना इस घटना ने संदेश दे दिया है।
  • मेरे पास फोन आ रहे हैं कि ये ठीक नहीं हुआ। यही नहीं, इन लोगों ने किसानों की भी बदनामी कराई है।
  • ये किसानों का रवैया नहीं हो सकता। हमारे देश का किसान कितना ही कम पढ़ा-लिखा हो, उसकी सिस्टम में गहरी आस्था होती है, वो बहुत समझदार है।
  • आज की घटना के लिए गुरनाम सिंह चढ़नी जिम्मेदार है। इसने दो दिन पहले एक वीडियो चलाया और लोगों को उकसाने का काम किया।
  • मैं जनता का प्रतिनिधि हूं, मुझे जनता के आशीर्वाद से ये स्थान मिला है। अब वो बहुत ज्यादा एक्सपोज होते जा रहे हैं।

नाराज किसानों ने हेलीपैड तोड़ दिया था
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर रविवार को करनाल के कैमला गांव में किसान महापंचायत रैली करने वाले थे। प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। यहां गढ़ी सुल्तान के पास पुलिस ने नाका लगा रखा था। लेकिन, बेकाबू आंदोलनकारी हेलीपैड और रैली स्थल तक पहुंच गए। हेलीपैड को भी तोड़ दिया। उन्हें संभालने के लिए पुलिस को आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। प्रदेश भाजपा प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ के साथ बहस भी हुई। आखिरकार खराब मौसम का हवाला देकर CM का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा।

करनाल: किसान प्रदर्शन न कर पाएं, इसके लिए पुलिस ने खेतों में भी घेराबंदी कर दी।

दिल्ली में किसानों की बैठक
सुप्रीम कोर्ट में 11 जनवरी को कृषि कानूनों को रद्द करने की अर्जी पर सुनवाई होनी है। इससे पहले भी बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि स्थिति में कोई सुधार नहीं है। हम किसानों की हालत समझते हैं।

चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर बंद
इधर, दिल्ली का चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर बंद कर दिया गया है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने रविवार को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि किसानों के आंदोलन के मद्देनजर दोनों बॉर्डर को बंद करने का फैसला किया गया है। आनंद विहार, DND, भोपरा और लोनी बॉर्डर से दिल्ली आने वाले लोगों को वैकल्पिक रूट लेने की हिदायत दी गई है।

देशभर में राजभवन घेरेगी कांग्रेस
कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस ने 15 जनवरी को देशभर में राजभवन के बाहर धरना-प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि हर राज्य के राजभवन का कांग्रेस कार्यकर्ता घेराव करेंगे।

अब आगे क्या करेंगे किसान ?

  • 13 जनवरी: लोहड़ी को देशभर में ‘किसान संकल्प दिवस’ के रूप में मनाएंगे। तीनों कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी।
  • 18 जनवरी: ‘महिला किसान दिवस’ मनाएंगे। हर गांव से 10-10 महिलाओं को दिल्ली बॉर्डर पर लाएंगे।
  • 23 जनवरी: सुभाषचंद्र बोस की याद में ‘आजाद हिंद किसान दिवस’ मनाकर राज्यों में राज्यपाल के निवास का घेराव करेंगे।
  • 26 जनवरी: राजपथ पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। दावा है कि इसमें एक लाख ट्रैक्टर होंगे। महिलाएं इसकी अगुवाई करेंगी।

पिछली 9 में से सिर्फ 1 बैठक का नतीजा निकला

पहला दौरः 14 अक्टूबर
क्या हुआः
मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।

दूसरा दौरः 13 नवंबर
क्या हुआः
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

तीसरा दौरः 1 दिसंबर
क्या हुआः
तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।

चौथा दौरः 3 दिसंबर
क्या हुआः
साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।

5वां दौरः 5 दिसंबर
क्या हुआः
सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।

6वां दौरः 8 दिसंबर
क्या हुआः
भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

7वां दौर: 30 दिसंबर
क्या हुआ:
नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।

8वां दौर: 4 जनवरी
क्या हुआ:
4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है।

9वां दौर: 8 जनवरी
क्या हुआ:
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी माना कि 50% मुद्दों पर मामला अटका हुआ है। किसानों ने बैठक में तल्ख रुख अपनाया। किसान नेताओं ने पोस्टर भी लगाए, जिन पर गुरुमुखी में लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Farmers Protest Kisan Andolan Delhi Burari LIVE Update Haryana Punjab Farmers Delhi Chalo March Latest News Today 10 January

Source: DainikBhaskar.com

Related posts