भारत के ड्रग रेगुलेटर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने तीन जनवरी को सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) की सिफारिशों को मानते हुए कोवीशील्ड और कोवैक्सिन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। कोवीशील्ड के तो फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे आ गए हैं, पर कोवैक्सिन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं।
कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। इसे भारत में पुणे के अदार पूनावाला की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बना रहा है। वहीं, कोवैक्सिन स्वदेशी वैक्सीन है, जिसे भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर बनाया है। इसके फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं।
ड्रग रेगुलेटर ने जिस तरह इन दोनों वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया है, उस पर सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल तो कोवैक्सिन को लेकर है, जिसका ट्रायल्स डेटा उपलब्ध नहीं है यानी यह किसी को नहीं पता कि यह वैक्सीन कितनी असरदार है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इमरजेंसी अप्रूवल देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रखी गई। आइए समझते हैं कि विशेषज्ञों की आपत्ति क्या है और सरकार का उस पर क्या कहना है?
Our experience with inactivated vaccines not having serious adverse events was also observed in Phase II done among 380 study participants in BBV152 trial in 21280 Person days follow up.
No serious adverse events seen. Only 7% persons receiving 6 microgram dose had mild symptoms. pic.twitter.com/AEcINWUL84— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) January 3, 2021
इमरजेंसी अप्रूवल का क्या बना है आधार?
- ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया वीजी सोमानी ने कहा था कि हम किसी भी ऐसी वैक्सीन को मंजूरी नहीं देंगे जिसकी सुरक्षा को लेकर थोड़ी भी चिंता होगी। यह दोनों ही वैक्सीन 110% सेफ है। हल्का बुखार, दर्द और एलर्जी जैसे साइड-इफेक्ट्स वैक्सीन से होते ही हैं।
- इसी तरह के दावे कोविड-19 पर बने नेशनल टास्कफोर्स के सदस्य भी कर रहे हैं। उनका दावा है कि कोवैक्सिन को दिया अप्रूवल कोवीशील्ड से अलग है। एम्स-दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोवैक्सिन का इस्तेमाल बैक-अप के तौर पर होगा।
- डॉ. गुलेरिया के मुताबिक भारत बायोटेक का अंतिम डेटा आने तक कोवीशील्ड ही लगाई जाएगी। जिन्हें कोवैक्सिन लगाएंगे, उनकी सहमति लेंगे। निगरानी होगी। यह सबकुछ क्लीनिकल ट्रायल्स जैसा होगा। जब कोवैक्सिन का अंतिम डेटा आ जाएगा तो उसे भी कोवीशील्ड की तरह अनुमति दी जाएगी।
- ICMR के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव का कहना है कि कोवैक्सिन के एफिकेसी डेटा के लिए हमने NIV, पुणे में बहुत काम किया है। बंदरों पर 14 दिन तक ब्रोंकोस्कोपी की गई। हर दिन लक्षण देखे गए और वैक्सीन का असर देखा गया।
- उनका कहना है कि कोवैक्सिन के फेज-1 ट्रायल्स में 375 वॉलंटियर और फेज-2 में 380 वॉलंटियर शामिल थे। दोनों ही फेज में कोई भी गंभीर साइड-इफेक्ट नहीं दिखा। अब तक 23 हजार वॉलंटियर्स को फेज-3 ट्रायल्स के तहत पहला डोज दिया है। पर सेफ्टी से जुड़ी कोई भी चिंता नहीं दिखी है।
- डॉ. भार्गव के मुताबिक कोवैक्सिन के जरिए पूरे वायरस को टारगेट किया गया है। अन्य वैक्सीन ने वायरस के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट किया है। ऐसे में नए स्ट्रेन के खिलाफ कोवैक्सिन की क्षमता उसके अप्रूवल में महत्वपूर्ण रही है। यह स्ट्रेन अब 34 देशों में आ चुका है। इस वजह से इसे रोकना बेहद जरूरी है।
It would make every Indian proud that the two vaccines that have been given emergency use approval are made in India! This shows the eagerness of our scientific community to fulfil the dream of an Aatmanirbhar Bharat, at the root of which is care and compassion.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 3, 2021
वैक्सीन अप्रूवल प्रक्रिया पर किस तरह के सवाल उठ रहे हैं?
भारत के ड्रग रेगुलेटर, DCGI, के फैसले पर मुख्य रूप से चार आपत्तियां सामने आ रही हैं-
1. विश्वसनीयताः इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ बायो-एथिक्स के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनंत भान के मुताबिक सिर्फ चीन और रूस ने ही फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे आने से पहले वैक्सीन अप्रूव की है। भारत ने भी ऐसा ही किया है। इससे रेगुलेटरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता कठघरे में है।
2. नियमः ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क की मालिना आईसोला का कहना है कि वैक्सीन को किस नियम के तहत अप्रूव किया गया है, यह जानकारी ही नहीं दी है। वैक्सीन से जुड़ी शर्तों के बारे में भी नहीं बताया है।
3. पारदर्शिताः एपिडेमियोलॉजिस्ट गिरिधर बाबू का कहना है कि अगर कोवैक्सिन का इस्तेमाल अब भी क्लीनिकल ट्रायल्स की तरह ही होगा, तो सहमति लेने की प्रक्रिया क्या होगी? इस तरह के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया है।
4. सिक्योरिटी डेटाः इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल एथिक्स के एडिटर डॉ. अमर जेसानी ने कहा कि SEC ने कोवैक्सिन को मंजूरी देने के मुद्दे पर कोई डेटा पेश नहीं किया है। कैसे पता चलेगा कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सेफ और इफेक्टिव है?
Years of socialism and propaganda have made us cynical about everything. Now if Fiji sent us the damn vaccine we would be fine. But if it’s made in India we will have a zillion conspiracy theories. No wonder our scientists and cutting edge engineers leave India!
— SUHEL SETH (@Suhelseth) January 4, 2021
विशेषज्ञों की मुख्य चिंता क्या है?
- देश की टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट्स में से एक डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि रेगुलेटरी प्रक्रिया से कंफ्यूजन की स्थिति बनी है। कोवैक्सिन को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है तो उसका क्लीनिकल ट्रायल मोड में इस्तेमाल कैसे होगा? ऐसा पहले तो कभी हुआ नहीं, अब कैसे होगा? इसका असर पता चल जाता और फिर इमरजेंसी अप्रूवल देते तो कोई दिक्कत नहीं होती।
- उनका यह भी कहना है कि कोवीशील्ड के SII ट्रायल्स को फेज-2/3 ट्रायल्स कहा जा रहा है। पर इसमें वहीं सब है जो दुनियाभर में फेज-2 ट्रायल्स में होता है। यानी इसमें सेफ्टी और इम्युनोजेनेसिटी देखी जा रही है, उसके असर का एनालिसिस नहीं हो रहा है। अगर किसी ने पूछ लिया कि हमारा अप्रूवल चीन और रूस से किस तरह अलग है, तो मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है।
This is all we are saying. Of course we will be proud if the vaccine turns out to work effectively. But offering it before Phase3 clinical trials have proven efficacy is a violation of every scientific protocol &unheard of in the world. Jingoism is no substitute for common sense. https://t.co/aRlU8TvYHT
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 4, 2021
विशेषज्ञों की आपत्तियों पर क्या है सरकार के तर्क?
- डॉ. गुलेरिया का कहना है कि कोरोनावायरस के खिलाफ कोई एंटी-वायरल दवा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जिस तरह रेमडेसिविर और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन को सीमित अप्रूवल दिया गया, उसी तरह कोवैक्सिन को अप्रूवल दिया गया है।
- उनका कहना है कि ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप में केस तेजी से बढ़े हैं। अगर हमारे यहां भी तेजी से केस बढ़े तो हमें भी बैक-अप के तौर पर कोवैक्सिन का इस्तेमाल करना होगा। यह कोरोना के प्रसार को रोकने में कारगर हथियार हो सकता है।
- कोवैक्सिन के असरदार होने के संबंध में डेटा नहीं होने पर डॉ. गुलेरिया का कहना है कि फिलहाल SII की वैक्सीन का ही ज्यादा इस्तेमाल होगा। जब कोवैक्सिन के फेज-3 ट्रायल्स का अंतरिम डेटा सामने आएगा, तो उसे भी कोवीशील्ड की तरह अप्रूवल मिलेगा।
- उनका कहना है कि कोवैक्सिन के इस्तेमाल को लेकर सतर्कता रखी जाएगी। यह वैक्सीन की मार्केटिंग करने की अनुमति नहीं है। यह ट्रायल्स मोड में ही लगाई जाएगी। यानी इसका डेटाबेस मेंटेन होगा। जिन्हें वैक्सीन लगेगी, उनमें साइड-इफेक्ट्स की मॉनिटरिंग होगी।
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Source: DainikBhaskar.com