किसान आंदोलन: कड़ाके की ठंड और ऊपर से बारिश के बावजूद डटे हैं किसान – BBC हिंदी

किसान आंदोलन 40वें दिन में पहुंच गया है और सर्दी रिकॉर्ड स्तर पर. मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली का बीते शुक्रवार का दिन पिछले 15 साल में सबसे ज़्यादा ठंडा था. उसके बाद शनिवार और रविवार को हुई बारिश ने किसानों के लिए और मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.

मौसम विभाग के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि अगले तीन दिन दिल्ली-एनसीआर में बारिश हो सकती है. सोमवार को दिल्ली में ओले पड़ने का भी अनुमान है.

उन्होंने कहा, “आने वाले दिनों में वेस्टर्न डिस्टर्बन्स की वजह से तापमान 7 से 8 डिग्री सेल्सियस रहने वाला है. अनुमान है कि एनसीआर के कुछ इलाक़ों में रविवार को ओले पड़ेंगे लेकिन दिल्ली में सोमवार को.”

मौसम विभाग के मुताबिक़ हवा की गति शनिवार को औसतन 15 किलोमीटर प्रति घंटा थी और सोमवार तक 25 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है.

बारिश के बाद हवा में नमी होने की वजह से दिल्ली का प्रदूषण स्तर भी बेहद गंभीर हो गया है. शनिवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 443 था.

ऐसे मौसम के बावजूद किसान अब भी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. हालांकि शनिवार को हुई हल्की बारिश की वजह से धरनास्थलों पर अव्यवस्था का माहौल हो गया.

सिंघु बॉर्डर पर स्टेज के पास लगाए गए किसानों के गद्दे भी भीग गए और कार्यक्रम चलाने में दिक्क़तें आईं.

किसान आंदोलन

जहां खाना बनता है वहां भी कुछ तंबुओं से पानी रिसने लगा और कीचड़ की वजह से लोगों को खाना खिलाने में भी समस्या हुई.

सिंघु बॉर्डर पर लंगर सेवा के लिए काम कर रहे साहब सिंह ने हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार से कहा, “खाना बनाना भी मु्श्किल हो गया क्योंकि बाहर रखी लकड़ियाँ गीली हो गईं. हमने किसी तरह बची हुई सूखी लकड़ियों और गैस सिलिंडर से काम चलाया. लेकिन असली समस्या शुरू हुई जब हम खाना बाँटने लगे. जिन चटाइयों पर लोग बैठ कर खाते हैं, वे पूरी गीली हो गई. कीचड़ भरी सड़कों पर लोगों को खड़े-खड़े खाना पड़ा.”

द हिंदू अख़बार के मुताबिक़ किसानों ने कहा है कि उनके पास सब इंतज़ाम है और ट्रकों के ऊपर प्लास्टिक शीट लगाई गई है ताकि बारिश का पानी अंदर न आ सके.

एक किसान सुखजीत सिंह ने द हिंदू से कहा, “अगले कुछ दिन तक बारिश का अनुमान बताया गया है. हम ठीक से इंतज़ाम कर रहे हैं लेकिन ऐेसे वक़्त में कपड़े सूखने में समस्या होती है, मच्छर बढ़ जाते हैं और कीचड़ की वजह से कपड़े ख़राब होते हैं. लेकिन हम यहां से नहीं हिलेंगे. वैसे भी वापस जाने के लिए बचा क्या है अगर कृषि क़ानून वापस ना लिए गए तो.”

वहीं सोशल मीडिया पर भी कई लोग बारिश को लेकर धरनास्थलों की तस्वीरें और वीडियो शेयर कर रहे हैं.

स्वतंत्र पत्रकार संदीप सिंह ने ट्विटर पर ये वीडियो पोस्ट की.

एक और सोशल मीडया यूज़र परमजीत सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर शनिवार सुबह बारिश के वक़्त की वीडियो शेयर की.

सोशल मीडिया यूज़र कमलप्रीत कौर ने सिंघु बॉर्डर पर बारिश की वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि मोदी सरकार को शर्म आनी चाहिए जिसने किसानों को ये सहने पर मजबूर किया. किसानों के साहस और जज़्बे को सलाम.

आज हो रही बारिश के बाद भी लोग धरनास्थल की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर कर रहे हैं. ट्रैक्टर टू ट्विटर यूज़र हैंडल ने आज ये तस्वीरे शेयर की.

किसानों और सरकार के बीच छह बार बातचीत हो चुकी है. 30 दिसंबर को हुई बातचीत में पराली जलाने पर सज़ा का प्रावधान हटाने और बिजली सब्सिडी की मांगों को सरकार ने सैद्धांतिक तौर पर मान लिया.

लेकिन विवादित कृषि क़ानूनों और एमएसपी के लिए क़ानूनी प्रावधान करने की मुख्य मांगों पर अब भी गतिरोध बना हुआ है.

किसान संयुक्त मोर्चा ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगले दौर की बातचीत में मुख्य मांगों पर ठोस फ़ैसला नहीं होता है तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौक़े पर वे दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे.

अगले दौर की बातचीत चार जनवरी को होगी.

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