Farmer Protest: यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर 32 साल बाद किसानों ने लगाई धारा 288, गाजियाबाद में बसाए जा रहे गांव – News18 इंडिया

धारा 144 के जवाब में किसानों ने लगाई धारा 288

Faremrs Agitation: गाजियाबाद में 32 साल बाद एक बार फिर किसानों ने धारा 288 लगा दी है. इसके तहत किसानों के अलावा किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है. पहली बार इस धारा का प्रयोग 1988 में किया गया था.

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  • Last Updated:
    December 1, 2020, 10:18 AM IST
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गाजियाबाद. कृषि कानून (Agriculture Act) के विरोध में किसानों (Farmers) का धरना प्रदर्शन सोमवार को भी बदस्तूर जारी है. यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने झोपड़ियां बनानी शुरू कर दी हैं. साथ ही जिला प्रशासन की धारा 144 के विरोध में भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) की धारा 288 को लागू कर दिया गया है. 32 साल बाद एक बार फिर इस धारा को लगाया गया है. इसके तहत किसानों के अलावा किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है. पहली बार इस धारा का प्रयोग 1988 में किया गया था.

यूपी गेट पर लगाए बैनर
यूपी गेट पर किसानों ने बैनर चस्पाकर चेतावनी लिख दी है. बैनर पर लिखा है, ‘धारा 288 लागू है. इसका मतलब है पुलिस प्रशासन की तरफ से धारा 144 लगाई हुई है, लेकिन उसके विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने धारा 228 लागू की है. यानी दिल्ली यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के अलावा किसी का भी प्रवेश वर्जित है. सिर्फ किसान ही इस क्षेत्र में आ सकते हैं. तो दूसरी तरफ एक सीमा रेखा खींच दी गई है. दिल्ली से किसी को भी इस सीमा को पार करने की अनुमति नहीं है.’

निर्णय होने तक धरना-प्रदर्शन जारी रखने का ऐलानकिसानों का कहना है जब तक कोई निर्णय नहीं निकलता किसान इसी तरह से धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे. देखना होगा कि मंगलवार को किसानों की केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से होने वाली वार्ता में क्या समाधान निकलता है. इस बीच शाम तक पंजाब, उत्तराखंड और यूपी से किसानों का जत्था पहुंचता रहा. किसानों की लगातार बढ़ रही संख्या के बीच राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार से वार्ता होने तक यूपी गेट पर ही डटे रहने का एलान किया. इसके बाद आगे की रणनीति बनाने की बात कही.

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32 साल बाद दूसरी बार लगाई गई धारा 288
राकेश टिकैत ने बताया कि यह भाकियू की अपनी धारा है. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने सबसे पहले 1988 में इस धारा का इस्तेमाल 1988 में दिल्ली में वोट क्लब पर किया था. इस धारा के तहत पुलिस को किसान की हद में नहीं आने दिया जाता है. इससे आंदोलन को भी उग्र नहीं होने दिया जाता है. कोई असामाजिक तत्व घुस जाए तो भाकियू उसके खिलाफ भी अपनी धारा-288 के तहत कार्रवाई करती है. यह शांतिप्रिय आंदोलन का तरीका है. टिकैत ने कहा कि भाकियू ने 32 साल बाद देश में दूसरी बार यह धारा लगाई है.

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