बहरहाल आपको बता दें कि किसानों के आंदोलन को देखते हुए फिलहाल टिकरी और सिंघु बॉर्डर सील किया गया है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि यात्री आज यहां से यात्रा ना करें और वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल करें।
कृषि कानून के खिलाफ आर-पार की लड़ाई के मूड में दिख रहे किसानों के प्रदर्शन का आज 5वां दिन है। हजारों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डटे है तो इधर हरियाणा में सभी खाप ने किसानों के समर्थन का ऐलान कर दिया है। प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि ‘लोकतंत्र के मायने यहीं है कि जनता का जनता से राज चलाया जाए। जनहित के आगे देश के संविधान औऱ सर्वोच्च न्यायलय के कद छोटे हैं और तुम जनता के हित से खिलावड़ कर रहे हो।’
किसान का कहना था कि ‘वर्ष 1952 में धान की कीमत 3000-3500 रुपए थी अब 1100-1200 हो गई है…गेहू के समर्थन मूल्य का भी वही हाल है।’ किसानों का कहना था कि ‘इस कानून से उनकी आय दोगुनी नहीं होने वाली है। मंदिर में चांदी की ईंटे लग जा रही हैं और किसान आत्महत्या कर रहे हैं।’ जब किसान से यह पूछा गया कि सरकार यह कह रही है कि आप लोग किसान नहीं हैं? इसपर प्रदर्शन कर रहे किसान ने कहा कि ‘हम किसान नहीं हैं, आतंकवादी हैं क्या?…हम कह रहे हैं कि सरकार में नेता ही नहीं…चढ़ा दें हमें फांसी..वो कहते हैं हम किसान नहीं हैं तो हम कहते हैं वो लीडर नहीं हैं।’
We need politicians on the liberal side who can talk like this. https://t.co/2UwrRTBPG0
— Sanjukta Basu (@sanjukta) November 30, 2020
बहरहाल आपको बता दें कि किसानों के आंदोलन को देखते हुए फिलहाल टिकरी और सिंघु बॉर्डर सील किया गया है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि यात्री आज यहां से यात्रा ना करें और वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल करें। किसानों ने गृह मंत्री अमित शाह के उस प्रस्ताव को पहले ही नकार दिया है, जिसमें कहा गया था कि किसानों को दिल्ली सीमाओं से हटकर प्रदर्शन की प्रस्तावित जगह पर जुटना चाहिए। शाह ने कहा कि सरकार उनसे जल्द बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन उसके लिए उन्हें बुराड़ी पहुंचना होगा। बताया गया है कि किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं पर ही जुटे रहने का फैसला किया है।
पंजाब के 30 संगठनों सहित कई समूहों के किसानों ने कहा है कि जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता है तब तक वे यहां से नहीं हटेंगे और कुछ किसानों का कहना है कि वे सुनिश्चित करेंगे कि उनकी आवाज सुनी जाए। ये मुख्यत: पंजाब और हरियाणा के किसान हैं लेकिन मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के किसान भी यहां आए हुए हैं। हालांकि किसानों के प्रदर्शन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि सरकार किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है। किसानों से बातचीत की तारीख 3 दिसंबर मुकर्रर की गई है।
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