Farmers Protest: किसानों को सशर्त बातचीत का प्रस्ताव स्वीकार नहीं, बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के घर हुई अहम बैठक – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • किसान संगठनों ने बुराड़ी मैदान में जाने के बाद बातचीत शुरू करने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार किया
  • नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली की सीमाओं पर चार दिन से प्रदर्शन कर रहे किसान फैसले पर अडिग
  • किसानों ने चेतावनी दी कि वे राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले सभी पांच प्रवेश मार्गो को बंद कर देंगे

नयी दिल्ली/चंडीगढ़
नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली की सीमाओं पर चार दिन से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने प्रदर्शनकारियों के बुराड़ी मैदान में जाने के बाद बातचीत शुरू करने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। किसानों ने रविवार को कहा कि वे कोई सशर्त बातचीत स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि वे राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले सभी पांच प्रवेश मार्गो को बंद कर देंगे।

किसानों की इस चेतावनी के बीच बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के घर पर उच्‍चस्‍तरीय बैठक हुई है जिसमें गृह मंत्री अमित शाह के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हुए। बताया जा रहा है कि यह बैठक करीब दो घंटे तक चली। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि इन कृषि सुधारों ने किसानों को नये अधिकार और अवसर दिये हैं और बहुत कम समय में उनकी परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है।

हालांकि इसके बाद भी गतिरोध कम होता नहीं दिखा। गृह मंत्रालय ने भी किसान संगठनों को आश्वासन दिया कि केंद्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल प्रदर्शनकारियों के बुराड़ी मैदान पहुंचने के बाद उनसे बातचीत करेगा। किसानों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर तीन दिसंबर की तय तारीख से पहले वार्ता की अमित शाह की पेशकश पर बातचीत की गयी, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारने से मना कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघु तथा टिकरी बार्डरों पर बिताने की बात कही।

किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें। उन्होंने दावा किया कि बुराड़ी मैदान एक ‘खुली जेल’ है। विपक्षी पार्टियों ने भी इस बात पर जोर दिया कि सरकार को किसानों के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू करनी चाहिए। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुरजीत एस फूल ने कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा रखी गई शर्त हमें स्वीकार नहीं है। हम कोई सशर्त बातचीत नहीं करेंगे। हम सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं। घेराव खत्म नहीं होगा। हम दिल्ली में प्रवेश के सभी पांच रास्तों को बंद करेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘बातचीत के लिए शर्त किसानों का अपमान है। हम कभी बुराड़ी नहीं जाएंगे। वह पार्क नहीं है बल्कि खुली जेल है।’ भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चाधोनी ने कहा, ‘हम उनके (सरकार) प्रस्ताव की शर्त को स्वीकार नहीं करेंगे। हम बातचीत करने को तैयार है लेकिन अभी कोई शर्त नहीं स्वीकार करेंगे।’ उधर, शनिवार को बुराड़ी में निरंकारी समागम मैदान पहुंचे किसानों ने वहां अपना प्रदर्शन जारी रखा।

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने शनिवार को 32 किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में ठंड के मौसम और कोविड-19 की परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि किसानों को बुराड़ी मैदान जाना चाहिए, जहां उनके लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। भल्ला ने कहा, ‘मैं आपसे निवेदन करता हूं कि सभी किसानों को लेकर आप दिल्ली की सीमा से बुराड़ी मैदान पहुंचें, जहां उनके लिए सभी सुविधाओं का प्रबंध किया गया है और वे शांतिपूर्वक अपना विरोध-प्रदर्शन करें तथा पुलिस इसकी अनुमति देगी।’

भल्‍ला ने कहा कि किसानों की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा के लिए केंद्र सरकार ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को तीन दिसंबर को आमंत्रित किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से बुराड़ी मैदान में आकर प्रदर्शन करने की अपील की है और कहा कि वे जैसे ही निर्धारित स्थान पर जाएंगे, उसी समय केंद्र वार्ता को तैयार है। शाह ने कहा कि किसानों के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए तीन दिसंबर को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठनों ने तत्काल वार्ता करने की मांग की है और केंद्र बुराड़ी के मैदान में किसानों के स्थानांतरित होते ही वार्ता को तैयार है।

प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में रविवार को कहा, ‘भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं।’ उन्होंने कहा, ‘किसानों की वर्षों से कुछ मांगें थीं और उन्हें पूरा करने के लिए हर राजनीतिक दल ने कभी न कभी वादा किया था, लेकिन वे कभी पूरी नहीं हुईं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘संसद ने काफी विचार-विमर्श के बाद कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार और अवसर भी मिले हैं। इन अधिकारों ने बहुत कम समय में किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है।’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी क्षेत्र में लोगों के लिए ‘सही जानकारी रखना और अफवाहों तथा किसी भी प्रकार के संशय से दूर रहना’ एक बड़ी ताकत होती है। उन्होंने खेती के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग कर रहे कुछ किसानों के उदाहरण भी प्रस्तुत किए। हालांकि किसान नेताओं ने दावा किया कि हरियाणा और पंजाब से और अधिक प्रदर्शनकारी इसमें शामिल होंगे।

हरियाणा के दादरी से निर्दलीय विधायक तथा ‘सांगवान खाप’ के प्रमुख सोमबीर सांगवान ने फोन पर कहा कि हरियाणा की अनेक खापों ने किसानों के प्रदर्शन को समर्थन दिया है और वे राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करेंगे। भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बीच किसान दिल्ली की सीमाओं पर सरकार के खिलाफ नारे लगा कर अपना विरोध जता रहे हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) प्रदर्शन कर रहे किसानों को भोजन मुहैया करा रही है।

प्रदर्शनकारी किसानों के दिल्ली की तरफ बढ़ने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच आरोप-प्रत्यारोप सुनने को मिले। सिंह और उनकी कांग्रेस पार्टी ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है और खट्टर सरकार की आलोचना की जिसने बीजेपी शासित हरियाणा से प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने का प्रयास किया। खट्टर ने रविवार को कहा कि अगर किसानों के दिल्ली के साथ लगी राज्य की सीमाओं पर एकत्रित होने से कोविड-19 महामारी के हालात बिगड़ते हैं तो वह अमरिंदर सिंह को जिम्मेदार को ठहराएंगे।

खट्टर ने आरोप लगाया कि पूरा प्रदर्शन कांग्रेस और पंजाब सरकार द्वारा प्रायोजित है। कृषि कानूनों पर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ‘सत्ता के नशे में चूर’ है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया, ‘वादा था किसानों की आय दोगुनी करने का, मोदी सरकार ने आय तो कई गुना बढ़ा दी लेकिन अडानी-अंबानी की!’ उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, ‘जो काले कृषि कानूनों को अब तक सही बता रहे हैं, वो क्या ख़ाक किसानों के पक्ष में हल निकालेंगे? अब होगी किसान की बात।’

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘भारत के 62 करोड़ किसानों और खेतिहर श्रमिकों के मुद्दों पर प्रधानमंत्री की जिद, अहंकार और अड़ियल रवैया आज के ‘मन की बात’ में उनके इस बयान में स्पष्ट दिखा कि संसद द्वारा गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से पारित तीनों किसान-विरोधी, कृषि विरोधी कानून सही हैं।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से केंद्र को तत्काल और बिना शर्त बातचीत करनी चाहिए। सरकार की पूर्व सहयोगी शिवसेना ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ ‘आतंकवादियों’ की तरह बर्ताव किया जा रहा है।

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