मुंगेर गोलीकांड से किसको कितना राजनीतिक नफा-नुकसान, नेताओं के बयानों से समझें पर्दे के पीछे की कहानी – Navbharat Times

मुंगेर
बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar chunav news) के पहले चरण की वोटिंग के एक दिन पहले मुंगेर जिले (Munger firing) में मां दुर्गा की मूर्ति विसर्जन के दौरान गोलीबारी और पथराव होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और सुरक्षाकर्मियों सहित दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे। यह घटना मुंगेर शहर के कोतवाली थाना अंतर्गत दीन दयाल उपाध्याय चौक पर सोमवार देर रात हुई। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि पुलिस गोलीबारी में 20 साल के एक युवक की मौत हो गयी। इस घटना के बाद शासन प्रशासन की चुस्ती के बीच बुधवार को वोटिंग कराई गई। लेकिन इसके अगले ही दिन गुरुवार को मुंगेर की जनता का सब्र टूट गया और वे रोड पर उतर आए। रोड पर उतरकर मुंगेर के लोगों ने उग्र प्रदर्शन किए। पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद शासन (इस वक्त शासन प्रशासन चुनाव आयोग के हाथ में है) हरकत में आया और मुंगेर की एसपी लिपि सिंह और डीएम को हटा दिया।

सोशल मीडिया पर सवाल, कार्रवाई में क्यों हुई देरी?
मुंगेर पुलिस गोलीकांड में कार्रवाई करने में शासन ने इतना समय क्यों लिया इसपर सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक पर सवाल उठ रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि गोली चलाने का आदेश देने वाली एसपी लिपि सिंह पर कार्रवाई करने में इतना वक्त क्यों लग गया। सीपीआई नेता कन्हैया कुमार समेत अन्य विपक्षी नेता भी सवाल पूछ रहे हैं कि इस मामले में शासन प्रशासन को एक्शन लेने में इतना समय क्यों लग गया।

यहां बता दें कि आरोपी एसपी लिपी सिंह जेडीयू के राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह की बेटी हैं। आरसीपी सिंह सीएम नीतीश कुमार के विश्वासपात्र माने जाने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी हैं।

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बीजेपी क्यों है चुप: कांग्रेस
मुंगेर की इस घटना पर कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी के रवैये पर सवाल उठाया है। कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी शासन में हिंदू धार्मिक जुलूस को निशाना बनाए जाने के लिए इस पार्टी पर कटाक्ष किया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बाद में दिन में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने नीतीश कुमार की तुलना, ब्रिटिश सेना के अधिकारी रेजिनाल्ड डायर से की जिन्होंने अमृतसर में सैन्य कार्रवाई की अगुवाई की थी। जन अधिकार पार्टी के संस्थापक और मधेपुरा से पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने ट्वीट कर पूछा, ‘मुंगेर की एसपी लिपि सिंह जनरल डायर है तो नरसंहार का मुख्य साजिशकर्ता लार्ड चेम्सफोर्ड कौन है? दुर्गा जी के विसर्जन को गए युवाओं का हत्यारा कौन? नीतीश, नरेंद्र मोदी या बीजेपी-जेडीयू’

भागलपुर और दरभंगा की घटना पर अटैकिंग रहने वाली बीजेपी क्यों है शांत?
विपक्षी दल आवाज उठा रहे हैं कि रामनवमी व भारतीय नववर्ष के मौके पर भागलपुर में हुई हिंसा और दरभंगा जिले में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर एक चौराहे का नामकरण करने वाले बीजेपी कार्यकर्ता के पिता की सिर काटकर हुई हत्या मामले में बीजेपी जिस तरह का रवैया दिखाई थी वह मुंगेर की घटना में क्यों नहीं दिखा रही है। खासकर हिंदुत्व का बड़ा चेहरा माने जाने वाले गिरिराज सिंह सरीखे नेता मुंगेर की घटना पर मजबूती के साथ क्यों सामने नहीं आ रहे हैं।

मार्च 2018 की दरभंगा की घटना में कार्रवाई के लिए गिरिराज सिंह समेत बीजेपी के तमाम नेता लगातार बयानबाजी करते देखे गए थे। साथ ही 2016 के भागलपुर हिंसा मामले में भी इसी तरह का रवैया देखने को मिला था, लेकिन मुंगेर की घटना पर कुछ भी बोलने से बीजेपी के नेता बच रहे हैं।

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एलजेपी नेता चिराग पासवान ने तो यहां तक कह दिया है कि नीतीश कुमार के खिलाफ पहले से ही इनती नाराजगी थी और इस घटना से उनके प्रति जनता का गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया है।

राजनीति के जानकार मानते हैं कि मुंगेर की घटना का असर ना केवल इस जिले में बल्कि आसपास के जिलों में होने वाली वोटिंग में भी दिख सकता है। कन्हैया कुमार पहले ही कह चुके हैं कि मुंगेर की घटना में बीजेपी खुद को पाक साफ साबित करने की कोशिश कर रही है। वह इसका सारा ठिकरा जेडीयू और नीतीश कुमार पर फोड़ने की कोशिश में जुटी है। जबकि शासन में अगर बीजेपी साझेदार है तो उनकी भी जिम्मेवारी तय होनी चाहिए।

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