राज्य के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा कि कम गुणांक वालों को दी गई नियुक्ति पत्र रद्द कर अधिक गुणांक पाने वालों को दी जाएगी (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से कहा कि एनआईसी और बेसिक शिक्षा परिषद से गलती हुई है. इस भूल की जांच के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है. शिक्षक भर्ती में जो भी गलतियां हुई हैं उनको सुधारा जाएगा और सरकार गलत चयन को रद्द करेगी
- News18Hindi
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Last Updated:
October 19, 2020, 10:56 PM IST
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उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग में हाईकोर्ट को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एनआईसी और बेसिक शिक्षा परिषद से यह गलती हुई है. इस भूल की जांच के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है. उन्होंने कहा कि शिक्षक भर्ती में जो भी गलतियां हुई हैं उनको सुधारा जाएगा. प्रदेश सरकार गलत चयन को रद्द करेगी.
राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को कहा कि कम गुणांक वालों को दी गई नियुक्ति पत्र निरस्त (रद्द) कर अधिक गुणांक पाने वालों को दी जाएगी.
संजय कुमार यादव और अन्य की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. जस्टिस अजीत कुमार की एकल पीठ में इसकी सुनवाई की जा रही है. हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई अब 17 नवंबर को होगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में 17 नवंबर को सुनवाई की अगली तारीख तय की है
प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती चयन प्रक्रिया चल रही
बता दें कि उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया चल रही है. इन पदों के लिए जून महीने में 67,867 अभ्यर्थियों की अंतिम सूची जारी हुई थी. लेकिन काउंसलिंग के पहले ही दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चयन पर रोक लगा दी थी. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के 21 मई के आदेश पर 31,661 पदों पर शिक्षक चयन को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था.
सरकार ने आदेश दिया कि चयनितों की नई सूची जून माह में जारी अंतिम सूची से ही बनाई जाए. बेसिक शिक्षा परिषद ने 31,277 पदों पर अभ्यर्थियों का अंतिम रूप से चयन कर के सभी जिलों में भेजा. दो दिन काउंसलिंग के बाद शुक्रवार को सभी चयनितों को नियुक्ति पत्र वितरित किया गया था.