पहले से थी उम्मीद कि रीयल एस्टेट को ना मिले राहत
पहले से ही उम्मीद की जा रही थी कि सरकार ब्याज पर ब्याज माफ करने की ये राहत रीयल एस्टेट सेक्टर को नहीं देगी। इस मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया था कि ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि रीयल एस्टेट सेक्टर को पहले ही ‘स्पेशल विंडे फॉर अफॉर्डेबल एंड मिड इनकम हाउसिंग’ (SWAMIH) के तहत मदद मुहैया कराई गई है। केंद्र की तरफ से SWAMIH स्कीम की सारी जानकारी दी जा जाएगी, जिसके तहत 10 हजार करोड़ रुपयों की मंजूरी दी गई थी, ताकि जिन घरों का निर्माण कार्य रुका हुआ है, उसे दोबारा शुरू किया जा सके।
लोन मोराटोरियम पर सरकार ने दी है ये राहत
अब तक लोन के ब्याज पर भी ब्याज लगना था यानी कि कंपाउंडिंग इंस्ट्रेस्ट (चक्रवृद्धि ब्याज), लेकिन अब लोन के ब्याज पर ब्याज नहीं देना होगा। मौजूदा राहत के अनुसार सरकार पर करीब 5000-6000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। अभी ये राहत हर कर्जदार को नहीं मिली है। ऐसे में अगर सरकार ये तय करती है कि वह हर कर्जदार को ये राहत देगी तो उस पर करीब 10 हजार से 15 हजार करोड़ रुपये तक का बोझ बढ़ेगा। ब्याज पर लगने वाले ब्याज से राहत के बाद एक सवाल ये बड़ा उठ रहा है कि इससे किसे-किसे फायदा मिलेगा और इस राहत के बाद आम आदमी के कितने पैसे बचेंगे।
किसे-किसे मिलेगा इसका फायदा?
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा है कि एमएसएमई लोन, एजुकेशन, हाउसिंग, कंज्यूमर, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया और उपभोग लोन पर ब्याज पर लगने वाले ब्याज को माफ किया जाएगा। सरकार के मुताबिक 6 महीने के लोन मोराटोरियम समय में 2 करोड़ रुपये तक के लोन के ब्याज पर ब्याज की छूट दी जाएगी। इससे ग्राहकों पर पड़ने वाले बोझ से उन्हें राहत मिलेगी।