Babri masjid case: कोर्ट में नहीं मौजूद रहेंगे आडवाणी, जोशी, उमा और दो अन्य आरोपी, जानें क्या है कारण – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • CBI की विशेष अदालत बाबरी विध्वंस मामले में सुनाएगी फैसला
  • कोर्ट ने सभी आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने का जारी किया था नोटिस
  • आडवाणी, जोशी और उमा भारती समेत दो अन्य आरोपी नहीं पहुंच सकेंगे कोर्ट
  • पांचों आरोपियों के वकील कोर्ट में दे सकते हैं प्रार्थना पत्र, सभी ने बताए अलग-अलग कारण
  • उमा भारती को हो गया है कोरोना वायरस, ऋषिकेश के एम्स में हैं भर्ती

लखनऊ
28 साल बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस केस (Babri Demolition Case) में बड़ा फैसला आना वाला है। इस केस में बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani), मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi), उमा भारती (Uma Bharti) समेत 32 आरोपियों पर लखनऊ की सीबीआई अदालत फैसला सुनाएगी। कोर्ट ने सभी आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा था लेकिन फिलहाल पांच आरोपी कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकेंगे।

बताया जा रहा है कि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, रामचंद्र खत्री और सुधीर कक्कड़ सीबीआई कोर्ट में उपस्थित नहीं रहेंगे। पांचों आरोपियों की तरफ से उनके वकील कोर्ट में प्रार्थनापत्र दे सकते हैं।

आडवाणी का स्वास्थ्य ठीक नहीं
लालकृष्ण आडवाणी की उम्र 92 साल है। उम्र अधिक होने के कारण वह ठीक से चलने-फिरने में असमर्थ हैं। उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है। ऐसे में वह कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकते हैं। उनके वकील कोर्ट में प्रार्थनापत्र दे सकते हैं।

उमा भरती कोरोना पॉजिटिव इसलिए नहीं आ सकेगीं
वहीं उमा भारती को बीते सोमवार को कोरोना वायरस पॉजिटिव मिला था। उनकी तबीयत खराब होने के बाद उन्हें ऋषिकेश के एम्स में भर्ती कराया गया है। उमा भारती के अस्पताल में होने के चलते वह कोर्ट में नहीं आ सकती हैं। उनकी भी गैर मौजूदगी रहेगी।


दो अन्य आरोपी इसलिए नहीं रहेंगे मौजूद
आडवाणी और उमा के अलावा जोशी की उम्र भी बहुत ज्यादा है वह भी कोर्ट में नहीं आ सकते हैं। एक अन्य आरोपी रामचंद्र खत्री हरियाणा के सोनीपत की जेल में एक दूसरे केस को लेकर बंद हैं, जिसके कारण उनकी भी उपस्थिति कोर्ट में नहीं हो सकती है। कारसेवक सुधीर कक्कड़ भी मौजूद नहीं रहेंगे।

गैर मौजूदगी में कोर्ट यह ले सकता है फैसला
विशेषज्ञों की मानें तो आरोपियों की गैर मौजूदगी में कोर्ट फैसले को टाल सकता है। वकील रवि सिंह ने बताया कि कोर्ट या तो फैसला टाल सकता है या आरोपियों की अनुपस्थिति में फैसला दे सकता है। अगर आरोपियों को बरी किया जाता है तो कोर्ट फैसला सुना देगा। वहीं अगर आरोपियों को दोषी करार दिया जाता है तो जो दोषी कोर्ट में मौजूद नहीं होंगे, उनके खिलाफ तत्काल एनबीडबल्यू जारी किया जा सकता है।

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